Bhartiyam Logo

All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jul 31, 2017

बोलने और आवाहन करने मे बहुत बड़ा अंतर है मोदी जी -
महात्मा ने भारत छोड़ो का आव्हान दिया था -आप भाषण दे रहे है

स्वतन्त्रता आंदोलन मे महात्मा गांधी द्वरा अंग्रेज़ो भारत छोड़ो का नारा दिया गया था --जो उनकी अहिंसक लड़ाई का ब्रह्मास्त्र सिद्धहुआ \ उस आंदोलन की 75वी वर्षगांठ पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो के अपने हफ्तावारी कार्यक्रम ''मन की बात मे '' गंदगी - सांप्रदायिकता -जातिवाद - भ्र्ष्टाचार-गरीबी और आतंकवाद को देश छोडने की हुंकार भरी है ! उन्होने अपने भासद मे महात्मा के आवाहन का उल्लेख क्यो किया -यह समझने की बात है | आज़ादी के बाद देश मे प्रजातांत्रिक मूल्यो और आपसी सद्भाव को शायद सबसे ज्यड़ा धक्का इसी दौर मे लग रहा है | अंग्रेज़ो को जाने के लिए आंदोलन हुए -गिरफ्तारिया हुई -जेल गए पर सब कुछ कानून के डायरे मे हुआ | आन्दोलंकारियों की भीड़ तो बहुत बड़ी होती थी ---और बिन बुलाये लोगो की होती थी पर हिंसक नहीं होती थी | जैसी आजकल एख़लक और जावेद की हत्या के लिए हुई | उस समय भी अनेक संगठन अंग्रेज़ो का साथ दे रहे थे -लोगो को उनकी पहचान भी मालूम थी |परंतु उनके साथ "”आंदोलंकारियों "”” ने ना तो उन्हे राष्ट्र विरोधी कहा और नाही उनके साथ दुर्व्यवहार हुआ | जैसा की आज कल हो रहा है | आज देश मे नैतिक मूल्यो को ज़मीन बंजर हो गयी है --- आपसी सद्भाव राजनीतिक विचारो की बलि चढ गया है | इसलिए प्रधान मंत्री जी देश की ऊसर हो चुकी समझ मे अब नफरत और हिंशा की ही फसल उग रही है | जिन पाँच दुर्गुणों और कमजोरियों को भागने के लिए आपने कहा है -वह देश के बहरे कानो मे नहीं पड़ेगा | अब लोग "”भीड़ है "” जो नारे लगती हुई किसी को जान से मार सक्ति है -किसी का घर जला सकती है -परंतु दुर्घटना मे फंसे किसी व्यक्ति को अस्पताल नहीं पाहुचा सकती ---मोबाइल से उसका विडियो क्लिप बना सकती है |

प्रधान मंत्री जी आपकी सरकार केरल मे संघ के कार्यकर्ता की हत्या पर संगयन ले कर देश का गृह मंत्री और राज्यपाल --मुख्यमंत्री को तलब कर लेता है ---परंतु वह संवेदना सरदार सरोवर के दस हज़ार '''विस्थापितो ''' के लिए नहीं जागती ?
महात्मा गांधी ने तो गोरखपुर के चौरी -चोरा मे पुलिस थाना जलाने पर कांग्रेस का आंदोलन स्थगित कर दिया था --और कहा था की अगर हिंसा हुई है तो जिम्मेदार लोगो को अपना अपराध स्वीकार करना होगा | फलस्वरूप 50 लोगो पर मुकदमा चला और 19 लोगो को सजाये हुई |

मूल्य कहने से नहीं आत्मसात होते -उनके पीछे "”त्याग और तपस्या "” शुचिता की शक्ति होती है --तब वे जनमानस को झकझोरते है | एक पुराना उदाहरण है जिसमे एक माता अपने पुत्र के मीठा खाने के अवगुण की शिकायत लेकर एक महात्मा के पास गयी |उन्होने कुछ दिन बाद आने को कहा | दुबारा महात्मा ने बच्चे को मीठा मत खाने को कहा | माता ने पूछा की अगर इतना ही कहना था तब उस दिन क्यो नहीं कह दिया था ? महतमा ने उत्तर दिया क्योंकि उस दिन मई खुद भी मीठा खाता था |जब मैंने छोड़ दिया - तब मई "”कहने लायक बना " वरना मेरा कहना बेकार जाता "”







No comments:

Post a Comment