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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jul 13, 2017

क्या अंतर है बुरहान वानी और आनदपल सिंह मे ? सिर्फ ,,,,,
अभी कुछ वक़्त पहले काश्मीर मे आतंकवाद के अपराध मे फांसी की सज़ा पाये बुरहान वानी की बरसी पर वनहा के कुछ संगठनो ने बहुत बड़ी रैली निकाली थी | जो निश्चय ही 2 या 3 हज़ार लोगो की भीड़ रही होगी | परंतु विगत बुधवार को राजस्थान के नागौर ज़िले के सावराड ग्राम मे "कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल सिंह ''की अंतिम क्रिया मे धारा 144 लगी होने के बावजूद लगभग 60 से 70 हज़ार परिजन एकत्र हुए | जिनहोने रेल्वे की पटरी उखाड़ी -पुलिसकप्तान के वाहन मे आग लगाई और 20 लोगो को उपद्रव कारियों ने घायल कर दिया | जिसमे 16 पुलिस जन थे | इतना ही नहीं भीड़ ने गनर से उसकी एके 47 राइफल भी छिन ले गए |
इस घटना की खबर खबरी चैनलो मे नहीं आई !! क्यो | बुरहान वानी भी एक अपराधी था तब आनंदपाल भी फ़रारी मुजरिम था | जो एंकाउंटर मे मारा गया | क्यो सरकार उसकी बेटी को जो दुबई मे रह रही है -जिसके ऊपर भी आपराधिक मुकदमे दर्ज़ है --उनको वापस लेने की मांग पर विचार क्यो ? चुरू मे 21 जून को हुई पुलिस मुठभेड़ मे मारे गए आनंदपल की घटना की जांच सीबीआई से करने की मांग कितनी जायज है ?
दोनों घटनाओ मे मारे गए लोग कानून के अपराधी थे ---बस फर्क इतना है की एक मुसलमान था दूसरा हिन्दू |
नागौर ज़िले मे के सावरद ग्राम मे गत 12 जुलाई को "" आनंद पाल '' के शव की अंतिम क्रिया मे एकत्र हुए हजारो राजपूतो की भीड़ ने पुलिस कप्तान और उनकी पार्टी पर हमला कर दिया | फलस्वरूप एसपी के वहाँ को आग लगा दी गयी और फायरिंग मे 20 लोग घायल हुए | जिनमे 16 पुलिस जन शेस भीड़ के लोग थे | उप्द्र्वि भीड़ ने सावराद रेल्वे स्टेशन की पटरी उखाड़ दी ,यानहा तक पुलिसजनों को कमरे मे बंद कर आग लगाने की कोशिस की गयी | उपद्रव कारियों ने एसपी के गनर की ए के 47 राइफल लेकर भाग गए | गौर तलब है की 24 जून को चुरू ज़िले मे पुलिस के साथ हुई एक मुठभेड़ मे फरार आनंद पाल को राजस्थान पुलिस ने मार गिराया | तभी से उसके शव का विडियो बना कर आनद की माता सावित्री ने समस्त राजपूतो की आन को ललकारा था | जिस्की प्रतिकृया मे बुधवार 12 जुलाई को लगभग एक लाख राजपूत उनकी अंतिम क्रिया के लिए पहुंचे थे | ज़िला प्रशासन ने मंगलवार 11 जुलाई से उस इलाके मे धारा 144 लगा दी थी | परंतु पर्याप्त पुलिस बल मौके पर नहीं भेजा गया -जबकि तनाव पहले से बना हुआ था | रेल्वे सुरछा बल ही मौके पर अतिरिक्त बल था ? नागौर के ज़िला प्रशासन ने इस घटना को बहुत ही हल्के ढंग से लिया | उन्होने धारा 144 लगाने की औपचारिकता तो पूरी की परंतु उसे पालन कराने के लिए बंदोबस्त नहीं किया --आखिर क्यो ?

ऐसी ही एक घटना काश्मीर मे हुई थी आतंकवादी बुरहान वानी की "”बरसी " पर निकले जुलूस को देश और संविधान -कानून के खिलाफ बताया गया था | देश की मीडिया मे उस जुलूस की काफी चर्चा हुई | परंतु एक चैनल ने भी नागौर मे पुलिस की गाड़ी के जलाने और रेलवे की संपाती को नुकसान पहुचने की बात खबरों मे नहीं आई | इस घटना के कारण दो ट्रेन को रोकना पड़ा | 16 पुलिस वाले घायल हुए | और आनंदपाल के शव की अंतिम क्रिया नहीं हो सकी | राजपूत समाज के गिरिराज सिंह ने आनदपल की दुबई मे रह रही लड़की "चीनू"” के खिलाफ आपराधिक मामले वापस लेने की भी मांग वसुंधरा राजे सरकार से की है | तथा मुठभेड़ की जांच सीबीआई से करने का वादा अगर सरकार लिखित मे देगी ----- तब राजपूत समाज 16जुलाई को दाह संस्कार कर सकता है | अब देखना होगा की आगामी रविवार को क्या होगा ? क्या अंतिम क्रिया शांति पूर्वक तरीके से सम्पन्न हो जाएगी अथवा 22 दिन से से पड़ा हुआ शव फिर कोई चिंगारी तो नहीं उठेगी ?

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