सिक्किम
के चीनी नहले पर -हांगकांग
का दहला उचित नहीं होगा ?
पीपुल
रिपब्लिक ऑफ चाइना द्वरा भारत
को सीमा विवाद मे अपना "”हक़
"” पाने
के लिए सिक्किम मे अलगाव वादियो
को शह देने की चेतावनी – वैसी
ही है जैसी अमेरिकी राष्ट्रपति
डोनाल्ड ट्रम्प ने चुनाव
पूर्व घोषणा की थी की वे परिणाम
को तभी स्वीकार करेंगे जब
उन्हे "विजेता
" घोषित
किया जाएगा !!
आज
पंचशील का हवाला देने वाला
चीन पड़ोसी देश की "सार्वभौमिकता
" को
चुनौती दे रहा है |
कुछ
- कुछ
ऐसा ही गल्फ कंटरीज कन्फ़्र्द्रेशन
कतर के साथ कर रहे है |
इन
सभी मसलो मे ताकत के बल पर
"सत्य"
को
दबाने और झुठलाने की ही कोशिश
है |
1962 के
सैन्य मुठभेड़ की याद दिलाते
हुए यह कहना की अब चीन भी "तब
से काफी आगे बढ चुका है !
यानहा
उसे यह स्मरण कराना ज़रूरी है
की तब से अब के बीच बंगला देश
और पाकिस्तान की लड़ाइयो मे
भारत "विजेता
"
बन
के निकला था |
परंतु
यानहा स्थिति भिन्न है --उसने
हमारे घर मे आग लगाने की
धम्की दी है "”
जिसका
फौरी जवाब हांगकांग मे चल
रहे अलगाववादी आंदोलन को हवा
देकर की जा सकती है |
ब्रिटेन
जिसने हांगकांग को चीन को
सौपा था --तब
वनहा के नागरिकों को कानून
का राज्य -
निष्पक्ष
न्यायपालिका --नागरिक
अधिकारो की गारंटी देने का
वचन लिया था
|
आज
वे सभी वादे बेकार साबित
हो रहे है |
हांगकांग
मे सिंधी व्यापारियो की प्रभावी
उपस्थिती हमे मदद कर सकती है
|
क्योंकि
चीन की वर्तमान नीतियो
से इन लोगो का व्यापार भी आखिर
मे प्रभावित होगा _-
या
तो इन्हे भारत या ब्रिटेन वापस
जाना पढ सकता है अथवा वे मूल
निवासी के अधिकार के साथ
ब्रिटेन भेजे जा सकते है जैसा
युगांडा मे तानाशाह ईदी अमीन
ने भारतीयो के साथ किया था |
चीन
मे वैसे ही कम्युनिस्ट सैनिक
शासन से त्रसत ऊईगर मुस्लिमो
पर अत्याचार हो रहे है |
जिस
प्रकार करेन समुदाय और
होरंगिया मुस्लिमो के साथ
म्यांमार की सैनिक शासन ने
किया था और आज भी प्रजातांत्रिक
शासन मे जारी है |
अभी
पिछले सप्ताह 18
ऊईगर
मुस्लिमो को चीन ने मिश्र की
सरकार से इन विद्यारथियों को
प्रत्यावर्तन किए जाने को
कहा था |
जिसके
फलस्वरूप जनरल सीसी की सरकार
ने अल अजहर इस्लामिक विश्व
विद्यालय मे अध्ययन रत इन
मुस्लिमो को गिरफ्तार कर चीन
भेजे जाने की कारवाई की है |
चीन
के ऐसे आशंतुष्ट तत्वो को
हमारी खुफिया एजेंसिया बढावा
देकर सिक्किम का जवाब दे सकती
है |
इतिफाक
से प्रधान मंत्री के सुरक्षा
सलाहकार डोवाल साहब खुद ऐसी
गतिविधियो मे माहिर रहे वे
काफी कुछ कर सकते है |
इतना
तो साफ है की अशांत उत्तर -
पूर्व
के राज्यो मे अलगाव वादी
गतिविधियो को हम सहन नहीं कर
सकते |
वरना
उत्तर मे काश्मीर की आग अगर
नागा -
मिज़ो
-
मईति
जन जातियो मे भड़की तब देश की
सुरक्षा खतरे मे पद जाएगी |
इस
अवसर पर सिक्किम के मुख्य
मंत्री पावन चमलिंग का ब्यान
चिंतित कर देने वाला है ---की
हम {सिक्किम
}
चीन
और भारत के बीच सैंडविच बनने
के लिए नहीं "मिले
थे "|
उन्हे
भी शायद इतिहास को अपने तरीके
से देखने की आदत है --जैसा
अक्सर राजनेताओ मे होता है
|
सिक्किम
के तत्कालीन "चोगयाल
ने एक अमेरिकी महिला से विवाह
किया था -जिसके
बाद सिक्किम ने भारत के
"”संरक्षित
राज्य "”
के
दर्जे से मुक्त हो कर आज़ाद
होने की बात की थी |
तत्कालीन
प्रधान मंत्री इन्दिरा गांधी
ने इस समस्या का सूत्र खोजने
का काम अपनी खुफिया एजेंसियो
को सौपा था |
तब
पता चला की चोगयाल की नव विवाहिता
पत्नी हक़ीक़त मे अमेरिका की
सेंट्रल इंटलिजेंस एजेंसी
की "”एजेंट
"”
थी
|
यह
सत्य चोगयाल को बताया गया |
उसके
उपरांत उनसे गद्दी छोड़ने को
कहा गया |
तब
भारतीय सेना को वनहा पर हमेशा
के लिए तैनात किया गया |
किस्सा
यह की सिक्किम मे कोई ''जनमत
संग्रह ''
नहीं
हुआ था |
इसलिए
उनका कहना की ''हमने
चुना था ''
गलत
है |
प्रधान
मंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका
और इजरायल यात्रा के दौरान
देश मे घाट रही इन घटनाओ को
जीएसटी और नोटबंदी के जशन से
ढका नहीं जा सकता |
जरा
सी गफलत या ज़िद्द देश को बहुत
मंहगी सीध हो सकती है |
उन्हे
भारतीय जनता पार्टी से और उनकी
प्रांतीय सरकारो की अपेक्षा
देश की ''अखंडता
और एकता "”
को
सुरक्षित रखना होगा |
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