आस्था
की अति या अलग दिखने की चाह
अभी
हाल मे एक खबर नजरों से गुजरी
की कनाडा मे एक महिला सिख को
जज नियुक्त किया गया |
वैसे
इस खबर मे कोई अटपटी बात नहीं
थी --परंतु
अचरज तब हुआ जब जब उसे "”पगड़ीधारी
"” सिख
बताया गया !!
भारतवर्ष
मे जनहा सिख मत का उदय हुआ वनहा
भी सिख महिलाए पगड़ी नहीं पहनती
है , तब
कनाडा मे ऐसा क्यो हुआ ??
सिख
मत मे एक संप्रदाय है "”निहंग'''
मात्र
उनकी महिलाओ को पगड़ी मे देखा
गया है |
अब
सवाल यह उठता है की पालविनदेर
कौर नाम की की इस महिला को
पगड़ीधारी क्यो बताया गया --और
उसका चित्र भी पगड़ी बांधे हुए
ही प्रकाशित हुआ !!
क्या
यह अपनी आस्था को सार्वजनिक
रूप से बताने के लिए किया गया
प्रयास है अथवा कोई और कारण
?
समझ
मे नहीं आता की आस्था की इसी
"”अति
"
के
कारण ही समाज मे तनाव बदता
है |
इस्लाम
मे सुन्नी संप्रदाय के लोग
जो भारत प्रायद्वीप मे रहते
है वे अपने को अलग दिखने की
चाह मे अक्सर गोल टोपी लगाए
दिखते है |
क्या
यह टोपी ही उनकी पहचान है
---अथवा
उनके द्वरा "”कलमा
"”
पढा
जाना ??
इस
इलाके मे "”हन्फ़ि
"”
हदीस
को माना जाता है --जिसमे
सर को ढाकना और नमाज़ के समय
हाथ बांध कर खड़े होने की रिवायत
है |
परंतु
इंडोनेसिया और मलेसिया के
मुस्लिम ऐसी पाबंदी को नहीं
अपनाते है |
हालांकि
इंडोनेसिया मे इधर हाल मे
ईसाई और इस्लाम के अनुयाईओ
मे काफी तनाव रहा है |
एक
प्रांतीय गवर्नर जो की ईसाई
थे --उन्हे
"””इशनिन्दा
"”
के
आरोप मे सज़ा सुनाई गयी |
बाद
मे शरिया अदालत ने उनकी सज़ा
को निलंबित कर दिया |
यह
आरोप अक्सर इस्लामी राज्यो
मे "”प्रताड़ना
"”
का
कारण बना है |
पाकिस्तान
मे मे भी कई ईसाई लोगो को या
तो भीड़ द्वारा "”संगसार
"”
करके
मौत के घाट उतार दिया गया -अथवा
अदालतों द्वरा उन्हे आदि सज़ा
सुनाई गयी |
इस
अपराध मे अभियुक्त को बचाव
मे कुछ भी कहने या करने का मौका
नहीं होता |
गवाही
मे बस तीन मुस्लिमो का कथन ही
अंतिम मान लिया जाता है |
इन
दो घटनाओ से साफ होता की धर्म
या आस्था का सार्वजनिक रूप
से प्रदर्शन ही ऐसी ''अप्रिय
''
गहतनाओ
का मूल मे है |
अमेरिका
मे दाढी और पगड़ी धारी सिखो को
वनहा के गोरे युवको द्वरा
इस्लामी मुल्को का समझा जा
कर -हिंसक
हमले होते है |
ऐसी
घटनाए रोकी जा सकती है अगर
इन धर्मो के लोग दूसरे लोगो
के समान ही दिखाई पड़े |
परंतु
अपने को अलग पहचान बताने के
अतिरेक के कारण ही घटनाए होती
है |
वैसे
अमेरिका मे आजकल दूसरे धर्मो
के प्रति नफरत का भाव अधिक
दिखाई पद रहा है |
ट्रम्प
के शासन मे यहूदियो के उपासना
स्थल साइनगोग मे आनेक हमले
हो रहे है |
आम
तौर पर यहूदी इस्लामी राष्ट्रो
मे असुरक्षित होते है |
परंतु
अब वे अमेरिका मे भी नफरत का
शिकार हो रहे है |
गुरुद्वारों
पर तो अनेक हमले हो ही चुके
है |
इन
सब घटनाओ से राज्य और शासन की
नागरिकों पर ढीली पकड़ ही कारण
हो सकती है |
No comments:
Post a Comment