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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jun 10, 2017

उपवास अथवा अनशन --उद्देश्य और सार्थक्ता पर सवाल ??


मुख्य मंत्री शिवराज सिंह ने 6जून को मंदसौर मे पुलिस के गोली चलाने से मारे गए पाँच किसानो से -भड़की आग मे प्रशासन और पुलिस का रुतबा तो खतम हो गया ----बचा तो उनका दमनकारी चेहरा !! 9 जून को जब भोपाल की फंडा विकास खंड मे किसानो ने अपनी मांगो के समर्थन राजमार्ग पर बसो से तोड़ फोड़ की तब पुलिस के भारी बल से शांत कराया जा सका | परंतु राजधानी तक किसानो के आंदोलन की आंच पहुचने पर मुख्य मंत्री को लगा की अब शासन की ताक़त से उत्तेजित किसानो को शांत नहीं किया जा सकता | तब उन्होने घोसना की "”वे अनिश्चित कालीन उपवास ((अनशन)) पर दशहरा मैदान मे बैठेंगे ----- जब तक आंदोलन शांत नहीं हो जाता "”” परंतु उम्मीद है की यह अनशन एक दिनी ही होगा "””|
यन्हा दो प्रश्न है ----पहला की इसे उपवास कहे अथवा अनशन ? क्योंकि अपनी "”मांग "” के लिए किया जाने वाला उपवास अथवा भूख हड्ताल को अनशन ही कहते है | उपवास किसी क्रत कर्म के फलस्वरूप उपजी अपराध भावना का प्रयाश्चित स्वरूप होता है | मेरी समझ से यह उपवास नहीं अनशन है जिसे अखबार और प्रचार तंत्र उपवास बता रहा है | प्रदेश मे पाँच दिनो मे भिन्न -भिन्न जिलो मे जो तांडव मचा उस से यह तो साफ है की कनही -कनही सरकार स्थिति की सम्हालने मे असफल रही |
असफलता का पहला सबूत --तो गोली चलाने को लेकर हुआ गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा "” की पुलिस ने गोली नहीं चलायी " फिर सरकार की ओर से कहा गया की सीआरपीएफ़ ने गोली चलायी | आखिर मे सरकार ने माना की गोली चली | मुख्य मंत्री ने मारे गए लोगो के परिवारों को 10 लाख फिर 50 लाख और अंत मे 1 करोड़ और नौकरी दिये जा ने की घोषणा की |

फिर मुख्य मंत्री ने आंदोलन मे हिंशा फैलाने के लिए काँग्रेस पार्टी पर आरोप लगाया | करफ़्यू और धारा 144 लगा कर स्थिति को शांत करने की कोशिस की गयी |
8 जून को काँग्रेस नेता राहुल गांधी को मंदसौर पहुंचने की खबर ने प्रशासन को अलर्ट कर दिया | अब तक राजनीतिकपार्टी भी आंदोलन को समर्थन देने का ऐलान कर चुकी थी | किसी प्रकार राहुल राजस्थान की सती सीमा पर मारे गए लोगो के परिवार जनो से मिले |

इस पूरे घटना चक्र मे शिवराज सरकार किसानो की मांगो के संबंध मे कोई सार्थक पहल नहीं कर सकी | सिवाय अपने को "””मीर और और दूसरी पार्टियो को चोर "” साबित करने के बयान सत्तारूद दल से आते रहे |

13 सालो मे शिवराज सरकार को "”जन आक्रोश "” का पहली बार इतना विकराल रूप का सामना करना पड़ा | हालांकि गोली चालान की घटना की अदालती जांच की घोषणा ने आन्दोलंकारियों के उद्देस्य को पराजित कर दिया है | अब सारा मामला इस जांच और आंदोलन मे गिरफ्तार किए गए 400 से अधिक लोगो के मुकदमे को लेकर ही होगी |
वैसे उज्जैन मे 3 तारीख को मुख्य मंत्री और संघ समर्थित किसान संघ ने किसान आंदोलन को वापस लिए जाने का दावा किया था |+ जिसकी हवा दूसरे ही दिन निकाल गयी जब किसान यूनियन ने उनको आंदोलन से दरकिनार कर दिया | वस्तुतः इस पहल ने कीससनों के मन मे मुख्य मंत्री की नीयत पर शंका करने का पक्का आधार दे दिया था | साथ ही यह भी साबित हो गया की संघ के आनुषंगिक संगठन की आम आदमियो मे कितनी पैठ है और कितना वे दावा करते है |

अगर इस आंदोलन को सही तरीके से नहीं सुलझ्या गया तब आगे अनाज की खरीद मे भयंकर तकलीफ होगी

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