पार्टी नशा और परिणाम -साथी की मौत पर हँसती युवा पीड़ी
हाल ही मे दो घटनाओ ने विचलित करने का काम किया है | इसमे एक घटना राष्ट्रीय मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय प्रद्योगिकी संस्थान की है जनहा स्विमिंग पूल के किनारे शराब की पार्टी कर रहे फाइनल इयर के छात्रों मे से एक अभय आनंद की पूल मे डूब जाने से मौत हो गयी | जब पार्टी कर रहे छात्रों को संस्थान की प्राकटोरियल बोर्ड के सामने बुलाया गया --तब उन्हे साथी की मौत पर कोई शोक या अफसोस नहीं था !!उनका बयान था की ऐसी पार्टी तो कैम्पस मे होती रहती है यह कौन से नयी बात है ! यह जवाब आम आदमी को हिला देने के लिए काफी है ! जब पाँच साल तक छात्रावास और कालेज मे दिन - रात रहने वाले ऐसा भी जवाब दे सकते है यह सोच नितांत भोगवादी सभ्यता का ही परिणाम है ! अभय आनंद अपने अध्यापक पिता की एकमात्र संतान थे | जिन 14 छात्रों को चार मार्च को हुई इस दुर्घटना मे लिप्त पाया गया उन पर बोर्ड ने 50,000 रुपए प्रति छात्र जुर्माना किया , तथा उन्हे
छात्रावास से निकाल दिया गया है , जिन छात्रों का कोर्स पूरा नहीं हुआ है उन्हे भी हॉस्टल खाली करने का आदेश दिया गया है | सबसे शरम की बात यह है की इस घटना मे स्टूडेंट काउंसिल के प्रेसिडेंट और सेक्रेटरी भी शामिल थे |
अभय आनंद की मौत को उसके साथियो ने दुर्घटना का रूप देने की कोशिस की ,परंतु उसके पिता ने मोबाइल फोन की फोटो से यह साबित किया की इन 14 छात्रों की हरकत की वजह से उनके लड़के की असामयिक मौत हुई | एक माह तक संस्थान की चली जांच मे जब दोषी छात्रों को उन फोटो को दिखाया गया जिनमे शराब की बोतल लेकर नाच रहे है तब भी काउंसिल के सचिव हंस रहे थे ! उनको तनिक भी पछतावा नहीं था |इस घटना से संस्थान के अनुशासन की ढिलाइ और वनहा आरएच रहे छात्र और छात्राओ की हालत का पता चलता है | देश के इन श्रेष्ठ संस्थानो मे जनहा भर्ती के लिए दिन - रात एक करना पड़ता है , वनहा कितनी बदइंतजामी और लापरवाही है | लड़को को दंड देने से ही इस घटना की इतिश्री नहीं हो जाती | इस संस्थान के अध्यापक वर्ग को भी ज़िम्मेदारी नियत की जानी चाहिए | क्योंकि अभिभावक अपने पुत्र और पुत्रियों को संस्थान की सुरक्षा और ज़िम्मेदारी पर भेजते है | परंतु यनहा इस तरह का व्यवहार मिलता है | इस से छात्रों की स्वार्थपरता और आत्ममुग्धता तो विचलित कर देने वाली है !
दूसरी घटना इटारसी की है जनहा बारहवि क्लास की छात्रा से बलात्कार करने के बाद पठार से मार कर हत्या करने वाले अभिलाष दूधमल को जब सत्र न्यायाधीश ने मौत होने तक जेल मे रहने की सज़ा सुनाई ,तब अपराधी के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी | उल्टे उसस्ने अपनी माता को आसवासन दिया की छह माह मे बाहर आ जाऊंगा ! कितना बड़ा तमाचा होगा हमारी न्याया व्यवस्था पर ! जिसमे अपराधी ऐसा कह रहा है |
इन दोनों घटनाओ से यह सिद्ध होता है की संवेदनशीलता - या कानून का डर अपराधी और मुंहजोर लोगो के लिए नहीं है | सोचने की बात है की की हम किस समय मे रह रहे है जब भारतीय मूल्यो की धाज़्जीया उद रही है और हम धरम और संसक्राति का नारा लगा रहे है ?
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