सत्ता
के संरक्षण मे शक्ति का अहंकार
बनाम जिगित्सा कंपनी
प्रदेश
मे स्वास्थ्य की सेवाये सुलभ
कराने के लिए मरीजो को तत्काल
अस्पताल पहुँचने के लिए जिस
कंपनी को सरकार ने ठेका दिया
वह श्रम कानूनों को ठेंगा
दिखा रही है |
जी
हाँ जिगित्सा नामक यह कंपनी
अपने वहाँ चालको से बारह घंटे
की ड्यूटी लेने पर ज़िद्द पकड़
ली है |
हालांकि
लगभग एक माह से ड्राईवर और
ईमरजेंसी मेडिकल टेकनीशियन
जो की गिनती मे एक हज़ार से
ज्यादा है काम पर नहीं आ रहे
है |
उप
श्रम आयुक्त ने हड़ताली कर्मियों
की याचिका पर कंपनी को आदेश
दिया है की वह आठ घंटे से अधिक
की ड्यूटी नहीं ले सकती |
परंतु
कंपनी के प्रबंध निदेशक नरेश
जैन का कहना है की वे मोटर
विहकिल कानून के अनुसार वे
बारह घंटे की ही पाली रखेंगे
| उन्होने
उप श्रम आयुक्त के फैसले को
नहीं माना है |
पिंगल
अर्थात कविता के व्याकरण मे
जिन "””भाव"”
की
व्याख्या की गयी है =----उनमे
एक है "””जुगुप्सा
'' जिसका
अर्थ है अत्यधिक अप्रिय द्र्श्य
,,कुछ
वैसा ही सेवा के नाम पर व्यापार
करने वाली कंपनी कर रही है |
श्री
जैन ने दावाव किया है की उन्होने
हाजरों लोगो को अपनी शर्तो
पर काम करने के लिए भर्ती कर
लिया है |
स्वस्थ्य
मंत्री रुष्टम सिंह ने भी
कंपनी को जल्दी से जल्दी सेवाये
चालू करने और हरताली कर्मियों
से बात करने के निर्देश दिये
है |
परंतु
कंपनी को उनकी परवाह नहीं है
|
आखिर
ऐसा क्यो हो रहा है ?
जाबा
श्रम कानूनों का खुला उल्लंघन
हो रहा है तब सरकार क्यो चुप
बैठी है ?
कहते
है की कंपनी गुजरात की है और
इसे एक केन्द्रीय मंत्री का
वरदान प्रापत है |
जो
भी हो सरकार की साख इस मामले
मे गिरती जा रही है |
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