धर्म
के हाथो मे राजदंड ---
क्न्हा
-क्न्हा
और फलित
वैसे
भगवा वस्त्र सन्यासी का वस्त्र
है ---जो
आदिगुरु शंकराचार्य के अनुसार
संसार से वैराग्य और मोह
त्यागने के बाद पहना जाता है
|
सन्यास
की दीक्षा लेने के पहले व्यक्ति
को परिवार से नाता तोड़ना पड़ता
है |
शास्त्रो
के अनुसार अपना पिंड दान भी
स्वयं कर के गुरु द्वारा दिये
गए नाम की ही पहचान होती है |
आदित्यनाथ
योगी गोरखनाथ मठ के प्रमुख
है |
जो
नाथ संप्रदाय अथवा जिसे आम
भोजपुरी -अवधी
भाषा मे कनफ़टवा जोगी
कहा जाता है |
गोरखपुर
का नाम भी इसी मठ के कारण ही
हुआ |
वैसे
विश्व मे तीन राष्ट्र है जिनके
प्रमुख भी अपने -
अपने
धर्म के प्रमुख भी भी है |
इस
श्रंखला मे सर्वप्रथम है रोमन
कथोलिक के मुखिया पोप|
उन्हे
राष्ट्र प्रमुख का दर्जा
दुनिया भर के देश देते है |
उनका
राष्ट्र वैटिकन सिटी है
|
जिसका
छेत्रफल 0.44
वर्ग
किलो मीटर है
|
परंतु
वे धार्मिक और सम्प्र्भु सत्ता
है |
दूसरा
उदाहरण ईरान के आयतोल्ला का
है जो निर्वाचन से परे है परंतु
वे दुनिया भर मे फैले इस्लाम
के शिया समुदाय के धर्मगुरु
है |
आम
तौर पर सुन्नी समुदाय मे
"”फतवा"”
आदि
मौलवी देते है |
परंतु
शिया समुदाय मे किसी स्थानीय
मौलवी द्वरा ऐसा नहीं किया
जाता है |
विवाद
होने पर दुनिया के किसी भी
कोने से उस मसले को ईरान भेज
दिया जाता है |
उनकी
सत्ता राजनीतिक और प्र्शासन
से ऊपर है |
उनका
चुनाव धर्म गुरुओ की काउंसिल
करती है |
तीसरा
उधारण है ग्रेट ब्रिटेन का
एलीज़ाबेथ प्रथम के समय से
राजगद्दी पर बैठना वाला चर्च
ऑफ इंग्लंड का प्रमुख भी होता
है |
साथ
ही वह राजसत्ता का प्रतीक है
|
संवैधानिक
प्रमुख होने के नाते उनके
धार्मिक सलहकार को लॉर्ड ऑफ
कैन्टरबरी की उपाधि मिलती है
|
उनका
खर्चा भी राजकोष से मिलता है
|
मज़े
की बात है की इस्लाम के 73
फिरको
मे से सुन्नी संप्रदाय सबसे
बड़ा है |
सऊदी
अरब मे मक्का और मदीना को दुनिया
के सभी इस्लाम के अनुयाई अपना
तीर्थ मानते है |
| परंतु
दूसरे विश्व युद्ध मे तुर्की
मे खलीफा का तख़्ता पलट करने
के बाद ---इस्लाम
की दुनिया मे किसी भी एक धरम
गुरु का वर्चस्व नहीं रहा |
भारत
मे दाऊदी बोहरा है -
फ्रांस
मे खोजा मुस्लिमो के प्रमुख
आग़ा खान है |
कादियानी
और अहमदिया संप्रदाय के अलग
अलग धरम गुरु है |
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