Bhartiyam Logo

All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Dec 25, 2016

ऊंची मूर्तिया देश की गरीबी और दुर्दशा को ढाँक नहीं सकती

विश्व की ऊंची प्रतिमाओ की होड मे सरकार ने पहले गुजरात मे 182 मीटर ऊंची बल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा बनाने का ऐलान किया और अब उस से भी आगे बदकर 192 मीटर ऊंची प्रतिमा मुंबई से सवा मील दूर समुद्र की एक चट्टान पर बनाए जाने की घोसणा की गयी है |इतिफाक से दोनों ही विशाल प्रतिमाओ के निर्माता है पिता -पुत्र राम और अनिल सुतार || |लगता है कोई ''नव राष्ट्रिय स्मारक निर्माण"” परियोजना पर काम हो रहा है | कोई अचरज नहीं होगा अगर जल्दी ही राजस्थान मे महाराणा प्रताप की प्रतिमा की भी घोसणा हो जाये |
आखिर इन स्मारकों का उद्देस्य क्या है ? जानकार सूत्र बताते है की आज़ादी के बाद देश के स्वर्णिम काल और नाको की ''अनदेखी ''की गयी है | इसलिए भविष्य की पीदी को 'हक़ीक़त' बताने का राष्ट्रीय प्रयास है | यानि की स्वतन्त्रता के बाद के सरकारो ने यह नहीं किया और वे इस राष्ट्र अपमान की दोषी है |
इस संदर्भ मे दो सवाल है --- देश की प्राथमिकता क्या होनी चाहिए ? स्थानो के नाम परिवर्तन करना और स्मारक बनवाना ? अथवा भूख - बेरोजगारी और शिक्षा तथा स्वास्थ्य की देखभाल करना | 125 करोड़ की आबादी वाले इस देश मे लगभग 40%लोग गरीबी रेखा के नीचे अभी भी है | यह तथ्य मोदी जी के लिए काँग्रेस शासन का रिपोर्ट कार्ड हो सकता है --परंतु वे दो साल मे मे कितना कर पाये है उनका रिपोर्ट कार्ड सिर्फ " वादे ही वादे भर है | यथार्थ मे नोटबंदी के प्रहार के अलावा जनता जनार्दन को महसूस करने लायक कोई आँय तथ्य नहीं है |
अमेरिका और चीन ने जो प्रतिमाए बनवाई वे उनकी ''उपलब्धि '' का संकेत है | ब्रिटेन से दस्ता मुक्त होने की लड़ाई के जीत के बाद ही स्वतन्त्रता की देवी की प्रतिमा का निर्माण हुआ | सरदार बल्लभ भाई पटेल का योगदान सामूहिक प्रयास मे उनकी भागीदारी था | देशी रियासटो का विलिनीकरण किसी सम्राट या राजा का अश्वमेघ यज्ञ नहीं था जो उनका प्रयास कहा जाये | यह जवाहर लाल नेहरू मंत्रिमंडल का फैसला था जिसमे पटेल गृह मंत्री थे और उन्होने अपना कर्तव्य कुशलता से निभाया |कुछ लोग काश्मीर के विलिनीकरण मे विलंब का दोष नेहरू को देते है | वे भूल जाते है की वह भी मंत्रिमंडल का समूहिक फैसला ही था | किसी का स्वार्थ या महत्वकांछा नहीं थी | जैसा की दुर्भावना पूर्वक किया जा रहा है | अभिलेखागार के दस्तावेजो को गलत बताने की हिमाकत करने वाले -पल -पल मे जी रहे है,, वे ना तो इतिहास को झूठला सकते है और नाही वर्तमान को धुंधला कर सकते है और भविष्य

पटेल और शिवाजी की प्रतिमा पर लगभग एक हज़ार करोड़ रुपये का व्यय अनुमानित है | जानकारो के अनुसार इन प्रयासो से देश का गौरव आने वाली पीड़ी को बताना है | अगर हम अपने इतिहास को देखे तो मिस्र के फैरो ही अपनी मूर्तिया बनवाते थे और उन्हे कब्र के स्थापित करते थे | भारत मे शासको की प्रतिमा लगाने का रिवाज राजपूत काल से प्रारम्भ हुआ | उसके पहले हमारे आरध्यों ---राम और व्कृष्ण की प्रतिमा बनाए जाने का इतिहास नहीं मिलता | भीष्म और और परशुराम की प्रतिमा नहीं है | हा सहस्त्रर्जुन का मंदिर ओंकारेसवार मे है |
इसका कारण वेदिक धर्म मे पुनर्जनम सिधान्त है | जिसके अनुसार शरीर नष्ट होता है आत्मा अज़र - अमर है | इसलिए शरीर को स्थायित्व देने का ख्याल हमारी सभ्यता मे नहीं है | जिनकी मन मे हो वे जाने

No comments:

Post a Comment