काला
धन -नकली
नोट और आतंक वाद का धन -
कनहा
है ?
8
नवंबर
को राष्ट्र व्यापी प्रसारण
मे प्रधान मंत्री नरेंद्र
मोदी ने 500
और
1000
के
नोटो को
बेकार कागज का टुकड़ा करार दिया
था
जिसका उद्देस्य देश मे छुपे
कालेधन और नकली करेंसी और
आतंकवाद को पोषित करने वाली
अर्थ व्यवस्था को समाप्त करना
बताया था |
एक
अनुमान था की 14
लाख
करोड़ की करेंसी मे से जो काला
धन होगा वह "”प्रचलन"”
से
बाहर हो जाएगा |साथ
ही आतंकवादी हरकतों को मिलने
वाला पैसा भी बंद हो जाएगा |
परंतु
बीते तीस दिनो की घटनाए इन
सभी "”वादो
"””
को
''जुमला"””
ही
साबित कर रहे है |
काश्मीर
मे नोटबंदी के सात दिन के भीतर
ही मारे गए आतंकवादी के पास
2000
के
नए नोट पाये गए --आखिर
ये कान्हा से आये ?
इसके
उपरांत कर्नाटक मे दो इंजीनीयरों
के पास से चार करोड़ की नयी
करेंसी बरामद हुई |
फिर
चंडीगढ मे गुडगाव मे कार से
भी लाखो रुपये के नए नोट बरामद
हुए |
जिसको
कन्हा से और कैसे प्रापत किया
इसका खुलासा नहीं हुआ|
समाचार
पत्रो मे छपने वाली खबरों के
अनुसार लगभग सप्ताह मे तीन
चार घटनाओ मे लाखो रुपये की
नयी करेंसी बरामद हो रही है
|
अभी
एक खुलासा हुआ की केन्द्रीय
मंत्री अरुण जेटली ने अपने
पास रखे 65
लाख
रुपये बंकों मे जमा कराया |
प्रदेश
के एक अफसर ने भी बैंको मे एक
करोड़ रुपये जमा कराये |
यानहा
सवाल इस बात का नहीं है की यह
रुपया कन्हा से आया |,,बल्कि
इस बात का है की “”
जब सारे देश वासियो को घर का
बचा धन बैंको मे जमा करने का
हुकुम दिया --तब
इन विशिष्ट जनो को इतनी धनराशि
रखने का अधिकार कैसे ??
क्योकि
जेटली जी को इतनी बड़ी नक़द राशि
घर मे रखने की ज़रूरत क्या थी
?
फिलहाल
बैंको के पास 12
लाख
हज़ार करोड़ रुपये पहुँच गए है
|
अभी
31
दिसम्बर
तक का संभावना है की यह राशि
14
लाख
करोड़ भी हो सकती है |
उस
स्थिति मे काला धन – नकली करेंसी
– आतंकवादियो का धन का पता
कैसे चलेगा ????
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