मदर
टेरेसा को संत उपाधि पर कुछ
प्रतिकृया और वास्तविकता
अल्बानिया
मे जन्मी ,और
भारत जिनकी कर्म भूमि रही ,
लगभग
पचास वर्षो तक जिनकी पहचान
निराश्रितों और कुष्ट रोगियो
के लिए आशा की लौ मदर टेरेसा
को रविवार को वैटिकन मे पोप
ने संत के रूप मे कैथोलिक ईसाई
धर्म मे मान्यता दी |
नवभारत
टाइम्स मे मेरे सहयोगी रहे
प्रख्यात पत्रकार डॉ वेद
प्रताप वेदिक ने आज नया इंडिया
मे एक आलेख मे लिखा है की
"”उन्हे
संत बनाने की प्रक्रिया नितांत
अवैज्ञानिक है "”
उन्होने
संत के लिए आवश्यक चमत्कारो
को भी अमान्य किया "”
उनके
अनुसार उन्होने दुनिया के
बदनाम और दागी लोगो से "”आर्थिक
"”मदद
ली | इतना
ही नहीं उन्होने कलकत्ता मे
निराश्रितों और कुष्ट रोगियो
की उनकी सेवा को "”धर्मांतरण
"” की
प्रक्रिया का एक अंग बताया |
इसके
लिए उन्होने मदर टेरेसा के
बारे मे एक बंगाली सज्जन द्वरा
लिखी गयी किताब का उधारण दिया
--तथा
एक डाकुमेंटरी का भी हवाला
दिया जिसमे मदर द्वारा अवांछित
लोगो से धन लेने की बात कही
गयी थी |
उनके
आरोपो की सत्यता के बारे मे
कोई विवाद उठाने से पूर्व
वेदिक जी से मेरे कुछ प्रश्न
है --- महात्मा
- संत
– साधु - स्वामी
और महामंडलेश्वर -मंडलेश्वर
--बाबा
आदि के जो विशेषण आज कल समाज
मे अनेक भगवा धारी लोग लगाए
फिरते है – अथवा जो मठाधीश
अपने भक्तो को राजनीतिक दलो
की ओर मोड़ने के लिए इस्तेमाल
किए जाते है ---क्या
उन्हे "”धार्मिक
"” रूप
से "”पूज्य
"” मानना
चाहिए | योन
शोसन के आरोपो से जेल मे बंद
आशाराम के "”चेले
"” क्या
उन पर चल रहे मुकदमे से अंजान
है ? अथवा
जानकार भी भोले बन रहे है और
सरकार पर आरोप लगा रहे है की
"”राजनीतिक
"”कारणो
से उन्हे फंसाया गया है |
पहले
यही आरोप मनमोहन सिंह पर लगता
था अब नरेंद्र मोदी पर लग रहा
है | उनकी
अकूत ज़मीन जायदाद उनके और
उनके पुत्र और रिश्तेदारों
के नाम है खरबो रुपये की संपति
के वे बेनामी मालिक है |
इसी
कड़ी मे मथुरा मे हुए गोलीकांड
का भी ज़िक्र करना उचित होगा
--जो
जय गुरुदेव की अरबों रुपयो
की संपाति पर क़ब्ज़े का असफल
प्रयास था | हरियाणा
मे एक डेरा है बाबाब राम रहीम
का जो जब चलते है तो दस -बारह
करो का काफिला चलता है |
वे
अपने ऊपर एक फिल्म भी बनवा
चुके है | एक
और डेरा है जिसके स्वामी का
देहावसान हो जाने के बाद उनके
शिष्यो ने शव को अंतिम साँसकर
के लिए नहीं ले जाने दिया |
वेदिक
जी मई जिस धर्म का उल्लेख कर
रहा हूँ वह आपकी भाषा मे "””हिन्दू
"”है
| जिसमे
दर्जनो भगवा वस्त्रधारी
महिला के यौन शोषण और धोखा धड़ी
और अन्य अपराधो मे भी लिप्त
पाये गए | परंतु
इन सभी महानुभावों के "”भक्तो
"” की
श्रद्धा ने कभी "”वैज्ञानिकता
और तथ्यो "””
की
जांच - परख
''नहीं
की | फिर
भी वे बाबा है लोग उनके पैर
छूते है दान देते है उन्हे
परमात्मा का "”दूत
"” मानते
है | पर
इनमे से कितनों ने समाज के लिए
परोपकार का कारी किया हो तो
मुझे बता दीजिये ?
मेरी
द्राशती मे अगर "”तप"”
की
मिसाल देनी हो तो दिगंबर मुनियो
की देनी होगी |
जो
नितांत "”अपरिग्रह
"” का
पालन करते है |
जादा
- गर्मी
-धूप
शीट बरसात सहते है भूमि पर
सोते है | एक
समय अंजुरी भर कर भोजन करते
है | पैदल
ही विचरण करते है कोई सवारी
नहीं स्वीकार करते |
उनकी
तुलना मे महामंडलेस्वर जो
विदेशी और एयर कंडीसन कारो
मे चलते है --- बिना
चाँदी या स्वर्ण मंडित सिंहासन
के और छात्र तथा छावर के सवारी
नहीं निकलती |
जिन
सन्यासियों के लिए स्त्री
छूना निषेध है वे अपने चरणों
मे उन्हे स्थान देते है |
स्त्री
के साथ एकांत भगवा वस्त्रधारियों
के लिए ''पाप''
है ---
परंतु
उत्तर से दक्षिण भारत के दर्जनो
ऐसे नाम गिनाए जा सकते है जो
ऐसा करते है |
ये
वेदिक धर्म की सनातन परंपरा
की किस कड़ी का पालन करते है ??
इनमे
कोइ भी समाज के लिए कल्याण
नहीं करता | अपना
और थोड़ा बहुत अपने ''भक्तो
'' का
''कल्याण
'' करते
है | भूखे
को भोजन और रोगी को इलाज़ तथा
निराश्रित को आश्रय का काम
तो मदर टेरेसा ने भारत मे किया
इतना तो वेदिक जी आप भी मानेंगे
| भूख
गरीबी की सबसे बड़ी कमजोरी है
--जो
उस से कोई भी पाप कराति है |
उनको
भोजन देने का पुण्य तो उन्हे
मिलेगा की नहीं ?
भोजन
सुलभ करने जैसा महान कार्य
हमारे सीख धर्म के गुरुद्वारों
के '''लंगर''
मे
होता है |जनहा
बिना भेदभाव के सबको पेट भर
भोजन मिलता है --बिना
यह पूछे हुए की वह किस धर्मा
का है ?
वेदिक
जी आपने लिखा है की वे बीमार
के गले मे दो घूंट जल ड़ाल कर
उसे ईसाई बनाती थी – मुझे कहते
हुए संकोच है की ईसाई धर्म मे
धर्मांतरण की लंबी प्रक्रिया
है -वैसी
ही जैसे वेदिक धर्म द्विज
बनाने की | एक
प्रश्न और उनके यानहा के बीमारों
को कितनों को ''दफनाया
''गया
और कितनों का दाह संस्कार हुआ
-जरा
पता कर ले | कलकत्ता
नगर निगम से आंकड़े मिल जाएंगे
| और
अंत मे एक प्रश्न के साथ बात
समाप्त करूंगा की – मोहनदास
करमचंद गांधी को इस देश ने
क्यो '''महात्मा
'' कहा
क्यो उन्हे ''राष्ट्रपिता
'' का
नाम दिया क्या वे इसके पात्र
थे की नहीं ? आप
का उत्तर नहीं होगा परंतु फिर
आप उनही के बराबर के व्यक्ति
का नाम बता दीजिएगा |
बंदे
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