क्या
संघ के आनुषंगिक संगठनो की
बैठक मे मंदिर का मुद्दा तय
भोपाल
मे राष्ट्रिय स्वयम सेवक संघ
के उत्तर प्रदेश और मध्य
प्रदेश के सभी संबन्धित संगठनो
की तीन दिन चली बैठक मे उत्तर
परदेश के चुनावो के मद्दे नज़र
शायद फिर से "”
राम
मंदिर "””
का
मुद्दा जनता के मध्य ले जाने
का फैसला किया गया है |
इस
का संकेत 22
अगस्त
को अचानक से भोपाल के बाज़ारो
मे ऑटो और कारो मे लगे स्पीकरो
से अचानक फिर "””
जय
श्री राम और हमको मंदिर का
निर्माण चाहिए "””
जैसे
नारे गूंजने लगे |
सह
सर कार्यवाह भैया जी जोशी ने
राजधानी मे दो दिन पूर्व सभी
संगठनो से मंत्रणा के लिए
बैठक की थी |
यद्यपि
परंपरा के अनुसार संघ की ओर
से ना तो कोई विज्ञप्ति जारी
हुई नाही कोई बयान इस विषय मे
आया , परंतु
अचानक "”राम
भक्तो का ---
मोदी
से मंदिर निर्माण "”
का
आग्रह करना वह भी बाज़ारो मे
सार्वजनिक रूप से --इस
बात को तो इंगित करता है की
हरी झंडी मिल गयी है |
अन्यथा
संघ जैसे अनुशासित संगठन की
सहमति के बिना सडको पर मोदी
भक्तो द्वरा जय श्री राम का
नारा लगाना और मंदिर निर्माण
की मांग करना वह भी मध्य प्रदेश
मे जब की यानहा कोई चुनाव प्रचार
नहीं हो रहा है ,,
कान
तो खड़े करता है |
परंतु
बहस के लिए ही सही यह मान ले
की यह राम भक्तो की "”
अनन्य"”
मांग
है तो – फिर इस मसले का हल संघ
और - संगठन
तथा केंद्र सरकार बैठ करके
निकाल सकते है |
परंतु
ऐसा नहीं हो रहा है |
साधू
- संतो
और --विश्व
हिन्दू परिषद ने तो गौ रक्षा
की हिंसक वारदातों की निंदा
करने के लिए प्रधान मंत्री
को सार्वजनिक रूप से आलोचना
की है | क्योंकि
उनका विश्वास था की केंद्र
मे सम्पूर्ण सत्ता मिलते ही
मंदिर निर्माण का '''रास्ता
'''' खोज
लिया जाएगा |
परंतु
दो वर्ष गुजर जाने के बाद ऐसा
हो न सका |
भारतीय
जनता पार्टी को लोक सभा मे
पूर्ण बहुमत प्रपट होने के
बाद भी इस मुद्दे को ठंडे बस्ते
डालने जैसी कारवाई से ''भक्त
और समर्थक '''
निराश
है |
वास्तव
मे विगत समय मे उत्तराखंड और
अरुणाञ्चल प्रदेश मे मे सरकार
बनाने की कोशिसों के असफल होने
से राजनैतिक और न्यायालय के
कारण हुई इस पराजय से मोदी जी
और उनके सहयोगी अमित शाह -अरुण
जेटली भी सब अदालतों को '''उनकी
सीमा बताने लगे |
बात
इतनी बिगड़ी की सुप्रीम कोर्ट
द्वारा नियुक्ति के लिए भेजे
गए जजो के नामो को तीन माह बाद
भी केंद्र ने रोक रखा है |
क्योंकि
मोदी सरकार "”मन
माफिक "”
फैसलो
के लिए मन पसंद लोगो को जजो
के रूप मे चाहती है |
इसीलिए
प्रधान न्यायडिश ठाकुर के
बार - बार
कहने पर भी जेटली जी और मोदी
जी उच्च न्यायालय के स्थानो
को भरने मे दिलचस्पी नहीं दिखा
रहे है |
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