आ
से अब आपातकाल तो बा से बाबरी
मस्जिद क्यो नहीं ?
जिस
प्रकार केन्द्रीय सरकार शहरो
और संस्थाओ तथा स्थानो के और
योजनाओ के नाम परिवर्तन कर
के "” अपने
परिवर्तन और विकास की "चुनावी
''घोसणा
को अमली जामा पहना रही है ,उसी
श्रख्ला मे देश के इतिहास को
मनमाफ़िक "बनाने
''की
भी कोशिस जारी है|
हर
सरकार को बदलाव का अधिकार है
| परंतु
वास्तविकता और तथ्यपरक्ता
के साथ | इतिहास
को विरुदावली या तबरा [[
इस्लाम
के एक वर्ग द्वारा दूसरे वर्ग
को बुरा-भला
कहने का रिवाज ]]]
केंद्र
सरकार द्वारा विपक्षी दलो
को खलनायक और स्वयम को नायक
के रूप मे पेश करने का यह प्रयास
आज भले लिखा जा सकता है |
परंतु
इतिहास के पाठ्यक्रम मे तो
सभी की भूमिका की विवेचना तो
होगी | क्योंकि
तथ्य या सच कभी झुठलाया नहीं
जा सकता |
इसी
तारतम्य मे नव नियुक्त मानव
संसाधन मंत्री प्रकाश जावडेकर
के पदभार लेते ही "”अंदर
के सूत्रो ""से
खबर आई की अब दस्वी और बारहवी
कक्षा के पाठ्यक्रम मे आपातकाल
कैसे लगा -
क्या
क्या अत्याचार कुछ संगठनो
के सदस्यो के साथ हुए |
इस
असंवैधानिक स्थिति मे कैसे
कैसे "””लोकतन्त्र
के सेनानियो "”
ने
कष्ट सहे |
तत्कालीन
प्रधान मंत्री इन्दिरा गांधी
ने संविधान का ''दुरुपयोग"”
किया
| 25 जून
1975 से
21 मार्च
1977 की
अवधि को कुछ संगठनो ने ''देश
के इतिहास मे काला अध्याय
बताया है "''
परंतु
आपात काल को काला अध्याय बताने
वाले संगठनो ने ही 6
दिसम्बर
1992 को
उत्तर प्रदेश के फ़ैज़ाबाद ज़िले
मे अयोध्या स्थित सैकड़ो साल
पुरानी एक मस्जिद को विश्व
हिन्दू परिषद -बजरंग
दल- राष्ट्रीय
स्वयं सेवक संघ -
भारतीय
जनता पार्टी और अनेक
"””सेनाओ
"” के
लोगो ने मुसलमानो के उपासना
गृह को तोड़ डाला |
यह
तब हुआ जब तत्कालीन मुख्य
मंत्री कल्याण सिंह ने सुप्रीम
कोर्ट मे पेश होकर शपथ पत्र
देकर कहा था की ''''उनकी
सरकार '''' इस
धार्मिक स्थल को सुरक्शित
रखने के लिए सभी उपाय करेगी
"”” | परंतु
उनकी क़सम झूठी निकली – उनके
अफसरो ने तोड़ फोड़ करने वालों
को ना तो रोका और ना ही मस्जिद
की रक्षा
नहीं
कर पाये और उस घटना का मुकदमा
अभी भी सुप्रीम कोर्ट मे लंबित
है | जिस
पर फैसला "”टलता
जा रहा है "””
| क्यो
ऐसा हो रहा है ---इसका
अनुमान सहज ही लगे जा सकता है
|
दोनों
ही घटनाये देश के इतिहास मे
दर्ज़ होनी चाहिए "”
वास्तविक
रूप मे "” |
अगर
आपात कल के लिए इन्दिरा गांधी
दोषी थी तो मस्जिद गिराने
के जिम्मेदार लोगो //अभियुक्तों
मे एक तो मोदी मंत्रिमंडल की
सदस्य भी है |
24 वर्ष
पूर्व हुई इस शरमनाक घटना को
अब "””हिन्दू
अभिमान "””
की
घटना बताने का प्रयास भी बहुत
से संगठनो द्वारा किया जा रहा
है | परंतु
यह भी तथ्य है की उस घटना के
बाद विश्व भर मे भारत की निंदा
हुई | एवं
इस्लामिक देशो ने तो काफी
"”'सख्त"”
रुख
अपनाया | कुछ
सिरफिरे लोगो ने मस्जिद को
गिराए जाने को लेकर देश मे
अनेक स्थानो पर सांप्रदायिक
दंगे हुए |
हजारो
जाने गयी अरबों रुपये की संपति
{ राष्ट्रीय
और निजी ]] का
नुकसान हुआ |
गोधरा
अग्निकांड भी इसी घटना का
परिणाम था ---जिसके
कारण अहमदाबाद मे कई दिनो तक
मुस्लिम बस्तियो मे हमले हुए
और एक सांसद को भी आग के हवाले
कर दिया गया |
अब
इतिहास मे यह सब भी लिखा जाएगा
तब वह वास्तविक होगा नहीं तो
प्र्थवी राज रासो की तरह यह
भी एक विरुदावली ही होगी
--इतिहास
तो क़तई नहीं |
No comments:
Post a Comment