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Jul 2, 2016

गूजर -- जाट लड़ रहे और सुप्रीम कोर्ट ने दिया ओबीसी दर्जा

गूजर -- जाट लड़ रहे और सुप्रीम कोर्ट ने दिया ओबीसी दर्जा
राजस्थान मे गुज़रो द्वरा कई वर्षो से पिछड़े वर्ग मे आरक्षण की मांग के बाद राहत की आश मिली | वनही हरियाणा मे ज़ाट आंदोलन मे अरबों रुपये की संपाती नष्ट हुई पर अभी कोई परिणाम नहीं निकला | परंतु इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक वर्ग को बिन मांगे ही पिछड़े वर्ग का दर्जा दिये जाने का निर्देश केंद्र सरकार को दिया है |

केंद्र सरकार द्वरा ने एक रिट द्वारा अदालत के अप्रैल 2014 के उस फैसले पर स्पष्टीकरण चाहा था जिसमे कहा गया था की गे -लेसबियन और बाइसेक्सुअल को थर्ड जेंडर मे रखा गया था | न्यायमूर्तियों ने केंद्र सरकार से कहा की अदालत के फैसले मे पूरी स्पष्टता है | उन्होने कहा की स्त्री - पुरुष के बाद तीसरे श्रेणी मे किन्नर आते है | सरकार को चाहिए की वह "”फार्म"” मे संशोधन कर के तीसरी श्रेणी को भी शामिल करे |

इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया की "”इन्हे पिछड़े वर्ग "””'की आरक्षण की श्रेणी मे रखे | इनको शिक्षा और सरकारी सेवाओ मे वही हक़ मिलना चाहिए जो पीएचडी जातियो को मिलता है | इतना ही नहीं शिक्षा या नौकरी के छेत्र मे इनकी पहचान भी इसी श्रेणी मे की जानी चाहिए | आरक्षण की लड़ाई मे इस वर्ग को तो बिन मांगे ही यह सुविधा अदालत ने दिला दी जिसके लिए गूजर और ज़ाट अभी संघर्ष कर रहे है |

इसी बीच पाकिस्तान मे मौलवियों ने वनहा के किन्नरो को शादी करने का भी ''हक़ ' दे दिया है | फतवे के हिसाब से "”” जिस किन्नर मे नारी केलक्षण हो वह ऐसे किन्नर से विवाह कर सकती है जिसको बाहरी तौर पर मर्द के लक्षण हो | उन्होने स्पष्ट किया की इनमे भी ""नर और मादा "” होते है अतः वे शादी कर सकते है | परंतु कुछ किन्नर ऐसे भी होते है जिनमे "”””दोनों "” ही वर्ग के लक्षण होते है ऐसे लोगो को शादी की इज़्ज़जात नहीं है | उन्हे अकेले ही रहना होगा | फतवे मे साफ किया गया की इस श्रेणी मे वे लोग आएंगे "”जिनके वक्ष भी है और लिंग भी "”” ऐसे उभय लिंगी पाकिस्तान की परिभाषा के अनुसार किन्नरो की श्रेणी मे नहीं आते है |


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