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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jun 4, 2016

जोगी का सपना रमन मुक्त या कांग्रेस्स मुक्त प्रदेश ?

रमन मुक्त या काँग्रेस मुक्त छतीस गढ जोगी का सपना ?
कोटमी ग्राम मे अपने समर्थको की 5 जून को होने वाली सभा का खुला अजेंडा तो प्रदेश को मुख्य मंत्री रमन सिंह के भ्ष्टाचार से मुक्त करना है ---परंतु वास्तविकता कुछ और है | राज्य के निर्माण के उपरांत बने पहले मुख्य मंत्री के रूप मे अजित जोगी ने कलक्टरी के प्रशासनिक करतबो के साथ राजनीतिक कलाबाजिया भी दिखाई थी | परंतु उनके नेत्रत्व मे काँग्रेस पार्टी विधान सभा चुनाव मे पराजित हुई | पराजय का कारण भी उनके और उनके चिरंजीव अमित जोगी द्वारा बड़े पैमाने पर धन उगाही के आरोप थे | उनके काल मे केबल इंडस्ट्री पर तमिलनाडु की तर्ज़ पर आकाश नेट वर्क का प्रदेश मे जाल बनाया गया | जो लोग अपने इलाको मे केबल चला रहे थे उन्हे इस "”धंधे "”से जाने को कहा गया -----अब उन लोगो ने क्यो ऐसा किया ,यह कोई भी अंदाज़ लगा सकता है | उन तीन सालो मे सिर्फ जोगी जी के परिवार का साम्राज्य ही बड़ा | काँग्रेस पार्टी को कोई लाभ नहीं हुआ |

अगर देखा जाये तो इंदौर के कलेक्टर रहते हुए उन्हे स्वर्गीय अर्जुन सिंह ने राजनीति मे प्रवेश दिलाया| उन्हे राज्य सभा के माध्यम से संसद मे भेजा गया | प्राशासनिक सेवा मे रहते हुए उन्हे अफसरशाही के गुर तो आते ही थे | परंतु सांसद बनाने के उपरांत "”'जन प्रतिनिधि "” का प्रोटोकाल समझने के कारण उनसे वारिस्ठ अफसर भी उन्हे जब "”सर "” कहते थे तो शायद उनके अहम को बहुत शांति मिलती थी | क्योंकि अफसर के रूप मे उन्हे "”बहुत सफल"” अफसर का खिताब उनके सहयोगी देते थे | उस दौरान उन्होने "””मनचाही"” पोस्टिंग ही प्राप्त की ! इस से उनकी सफलता का राज़ समझा जा सकता है |

जब मध्य प्रदेश का पुनर्गठन हुआ और छतीस गढ का उदय हुआ तब उस छेत्र मे कांग्रेस विधायकों का बहुमत होने के कारण कांग्रेस सरकार का बनना तय था ---मुश्किल थी तो मुख्य मंत्री के पद को लेकर थी | उस इलाके मे आज़ादी के पहले से विद्या चरण और श्यामा चरण शुक्ल का प्रभाव था | अविभाजित मध्य प्रदेश के पहले मुख्य मंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल की विरासत को उक्त दोन भाइयो ने पाला पोसा था | स्वाभाविक रूप से आम आदमी के मन मे यह अंदाज़ था की उक्त दोनों भाइयो मे ही कोई नए राज्य की कमान सम्हालेंगे | परंतु कांग्रेस की अंदरूनी कीचेन कैबिनेट मे कुछ और ही पक रहा था | मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री दिग्विजय सिंह ने ही विद्या चरण के रायपुर के फार्म हाउस पर विधायकों को राज़ी किया की "”हाइ कमान "”” की मंशा है की आदिवासी को यह पद दिया जाये --और इस परिभाषा मे अजित जोगी फिट बैठते थे | सो वे पहले मुख्य मंत्री पद पर आसीन हो गए | इसके पहले वे कभी भी "”मंत्री पद "” पर नहीं रहे थे | परंतु उनके तीन वर्षो के शासन काल मे उनका शासकीय आतंक भरपूर रहा |

उसका परिणाम हुआ की गठन के समय कांग्रेस् की सदस्य संख्या 62 थी जो अगले विधान सभा मे 34 पर पहुँच गयी | तब से लेकर तीसरे और चौथी विधान सभा मे यह आंकड़ा 38 और 39 के पार नहीं जा पाया | वनहा विधान सभा की कुल सदस्य संख्या 91 है | अगर सूत्रो की माने तो कांग्रेस्स की इस हालत के लिए माननीय जोगी जी के नामांकित उम्मीदवारों को पार्टी का टिकट नहीं दिया जाना है | यह भी कहा जाता है की तब से जोगी जी अपनी ताक़त "”हाइ कमान "”को दिखाने या जताने के लिए अपने समर्थको को पार्टी उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव मे उतार दिया |


अब जिस प्रकार के बेईमानी के आरोप वे प्रदेश के कांग्रेस नेत्रत्व पर लगा रहे है उनसे ज्यादा तो उनके वीरुध उनकी अफ़सरी के दौरान भी लग चुके है --यह बात और है की उनको उनमे "””क्लीन चिट "” मिल गयी | अब उनके रमन मुक्त प्रदेश के नारे को भारतीय जनता पार्टी के कांग्रेस् मुक्त के नारे से जोड़ा जा रहा है | क्योंकि बीजेपी की कांग्रेस पर दस विधायकों की बदत का कारण पार्टी के लोग "”इनके माथे "” पर ही डालते है | क्योंकि जिस प्रकार केंद्र मे सत्तासीन पार्टी उत्तर प्रदेश मे --मध्य प्रदेश मे और हरयाणा मे राज्य सभा के चुनावो मे अति शेष वोटो की राजनीति के आसरे डालो से क्रस्स वोटिंग कराने की कोशिस हो रही है ,,उसको देखते हुए बीजेपी की तह चाल कांग्रेस के लिए आगामी चुनाव मे भारी पड़ेगी  

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