आज एक एडवोकेट साहब का बोर्ड पड़ा व्हतासप पर जिसमे वकील साहब ने ज़मीन पर कब्जा दिलाने और कब्जे को खाली करने का काम करने का दावा किया है | इतना ही नहीं विवादित भूमि का भी काम कर किया है | सवाल यह है की बार काउंसिल के सदस्य के रूप मे कोई ऐसा काम करने को ""सदस्य ""'की अयोग्यता माना है | प्रथम किसी भी वकील को अपन विज्ञापन देने को निसिद्ध किया हुआ है | फिर इस प्रकार का साइन बोर्ड बनवा कर प्रदर्शित करना ,तो
व्यावसायिक रूप से वैध नहीं है | फिर उन्होने तो अपने को बार असोशिएशन का पदाधिकारी बताया ह है | इतना ही नहीं उन्होने तो तीन -तीन कार्यालय खोल रखे है |
उनकी विशेषज्ञता भूमि आवंटन की मुश्किलों को आसान करना - तथा विवादित अर्थात मुकदमे बाज़ी मे फांसी ज़मीन का भी ""'निपटारा"" करने का काम हाथ मे लिया ह कहने का मतलब की वे भूमि से संबन्धित सभी फ़ौजदारी और राजस्व के मुकदमे को निपटने का भी
वादा अपने साइन बोर्ड मे किया हुआ है |
वैसे भूमि के विवादो के चलते राजधानी मे अनेक लोगो ने आत्महत्यआ
भी की है | इन मामलो मे एडवांस लेकर भूमि की रजिस्ट्री नहीं करना और पैसा वसूल करने के लिए
पुलिस की मदद लेकर दबाव बनाना है | अभी दो दिन पूर्वा ही एक व्यक्ति ने कर्जदारों के दबाव और
धमकाने के लिए प्लिके का सहारा लिए जाने का मामला सामने आया है | इसमे एक ट्रेनी आईपीएस
अफसर की भूमिका होने का तथ्य सामने आया है | राजधानी मे """क़र्ज़ मगरमच्छ "" या अङ्ग्रेज़ी मे
कहे तो """""लोन शार्क """ बड़ी संख्या मे है | जो अपने काले धन को क़र्ज़े पर देकर दस प्रतिशत प्रतिमाह तक का ब्याज वसूलते है | ऐसा तब हो रहा है जबकि प्रदेश मे ""साहूकारी का लाइसेंसे """ लेना होता है
क़र्ज़ देने और अनुमान्य दर का ब्याज वसूलने के लिए यह वैधानिक व्यसय है | परंतु आजतक कर्ज़
की वसूली मे आतम हत्या के मामलो मे क़र्ज़ ""देने वाले """ कभी भी वैधानिक रूप से महाजन नहीं थे |
इन गैर कानूनी महाजनो के वीरुध ना तो प्रशासन और ना ही पुलिस कोई कारवाई कर रही है | आखिर
कब तक इन सफेदपोश लोगो द्वारा गैर कानूनी रूप से """जान लेने वाला ब्याज """वसूला जाएगा ?
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