विजय
माल्या ने माल लिया --
दिया
नहीं
लोग
कुछ भी कहे ---परंतु
शराब के कारोबारी विजय माल्या
ऋषि चार्वाक के प्रथम तो नहीं
,,परंतु
"”सर्वोत्तम
"” शिष्य
ज़रूर सिद्ध होंगे |
ऋग्वेद
मे उनके सिद्धांत को स्थान
मिला है | प्रख्यात
कथन "”” यावत
जीवेत सुखम जीवेत ,
ऋण
कृत्वा घ्रतम पीवेत "””
का शत
– प्रतिशात अनुपालन किया है
| उन्होने
कल्पना किए जाने वाले जीवन
को हक़ीक़त मे बदला |
उनके
लाइफ स्टाइल मे ज़िंदगी की
कडुआहटो के लिए कोई स्थान नहीं
था | लोग
सूरज के साथ अपना दिन शुरू
करते है ---परंतु
इस शकख्स का सबेरा उसके अनुसार
होता था | उनकी
रात ब्रामह मुहूर्त से शुरू
होती थी --जब
वे सूरा से मदमस्त सुंदरियों
के शरीर के अंग -
प्र्त्यंगों
का स्पर्श सुख लेते हुए आलीशान
पलंग पर गिरते थे |
इतने
बड़े शराब के कारोबारी ने दोपहर
से पहले कभी कोई मुलाकात या
भेंट नहीं की |
हाँ
राज़ नेताओ के मामले मे थोड़ा
बहुत उन्हे अपनी जीवन शैली
मे फेर बादल करना पड़ता था |
आखिर
उनही की क्रपा से ही तो वे
'''हैसियत
से ज्यादा का क़र्ज़ ''''
ले
पाते थे |वरना
किराए के जहाज़ो और किराए पर
ली गयी जगह पर ग्यारह बैंको
ने 9000 करोड़
का क़र्ज़ा दे दिया |
अब
क़र्ज़दार कह रहा है हानि -
लाभ
तो धंधे का आवश्यक परिणाम है
| यह
तो उन बैंको को देखना चाहिए
था की उनका क़र्ज़ वापस होगा या
नहीं ? यानि
अब महाजनो की अक़ल पर सवाल ?
धन्य
हो |
इस मामले
से अब बैंको के अगर "”कान
"” खड़े
नहीं हुए तो उनके पास अरबों
देशवासियों की जमा पूंजी
स्वाहा होते देर नहीं लगेगी
| क्योंकि
बड़े - बड़े
उद्योगपतियों जैसे अडानी
-अम्बानी-रूईया
– -मित्तल
- आदि
को हजारो करोड़ो का क़र्ज़ वितिय
'''आधारो''
पर
नहीं वरन नेताओ की सिफ़ारिशों
पर दिये जाते है यह स्पष्ट
करता है की हमारी अर्थ व्यसथा
मे दीमक कौन लगा रहे है ??
शराब
के पुश्तैनी धंधे से अरबों
रुपये की संपत्ति की विरासत
पाने के बाद हवा मे उड़ने वाले
इस रईस का धंधा ऐसा ठप हुआ की
देश के ग्यारह बैंकों के 7300
करोड़
रुपये भी डूब गया |
गोवा
के सागर तट पर सुंदरियों को
लेकर ऐश करने वाले इस सेठ की
ज़िंदगी GOOD TIMES का
उदाहरण बन गया था |
लेकिन
अब इनके अच्छे दिन को ग्रहण
लग गया है | जब
आयकर के इन्फ़ार्समेंट निदेशालय
ने उनके विरुद्ध मनी लौंडेरिंग
का मुकदमा दर्ज़ किया है |
साथ
ही क़र्ज़ वसूली अधिकरण ने भी
ब्रिटेन की शराब बनाने वाली
डिआजियो कंपनी से मिलने वाली
5000 करोड़
रुपये की राशि को निकालने पर
रोक लगा दी है |
साथ
ही कर्ज़ की वसूली की बैंको
की दरख्वास्त पर कारवाई करते
हुए इस धन राशि पर रोक लगाई है
| क्योंकि
किंग फिशर एयर लाइन के कर्मचारी
भी अपने वेतन -भत्ते
के देयकों के भुगतान की लड़ाई
लड़ रहे थे | वही
बैंको भी अपने क़र्ज़ को वसूलने
की कारवाई कर रहे है |
इस
मामले मे एक नया मोड है की किंग
फिशर एयर लाइन के पास कोई "अपनी
संपति "”””
नहीं
है |
इस
कंपनी का सब कुछ किराए पर था
------जहाज
से लेकर जगह और गड़िया तक|
”सभी
कुछ किराए का !
इस्से
याद आता है एक पाकिस्तानी नाटक
किस्सा जिसमे __
शादी
के लिए लड़के को देखने वाले
आने वाले थे तो पिता और माता
ने पड़ोस से सोफा सेट -
पर्दे
- चाँदी
का टी सेट और यनहा तक की एक
स्कूटर भी खड़ा करा लिया ||
जब
लड़के वाले बात करने आए तब यह
सब देख कर उन्हे लगा की घर और
वर दोनों ही सम्पन्न है |
हक़ीक़त
यह थी की साहबज़ादे ]””रोड
इंस्पेकटरी '''
करते
थे यानि की बेकार थे |
ऐसे
ही माल्या जी ने बैंको को भी
"””एयर
लाइन का "”ताम-झाम
"” दिखा
कर ही 9000 करोड़
का क़र्ज़ा लिया |
हालत
यह थी की साहेब तो सड़क पर थे
----क्योंकि
वे तो सब कुछ मांग कर ही लाये
थे | पाँच
जहाज जोई उन्होने बोइंग कंपनी
से लीज़ पर लिए थे उनका "””किराया
"”” बाकायदा
भुगतांकर दिया गया है |
किंग
फिशर मे अगर किसी के साथ नाइंसाफी
या कहे "”चूना
''नहीं
लगा तो यह अमरीकी मल्टी नेशनल
कंपनी बोइंग ही थी |
बाक़ी
तो सभी यानहा तक की कर्मचारियो
का भी 400 करोड़
बकाया है |
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