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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Dec 22, 2015

अपनों पर करम और गैरो पर सितम की कहानी बनाम जेटली का मान हानि का मुकदमा , काम किसका और मुकदमा किस पर ?

अपनों पर करम और गैरो पर सितम की कहानी बनाम जेटली का मान हानि का मुकदमा , काम किसका और मुकदमा किस पर ?
दिल्ली क्रिकेट कंट्रोल असोशिएशन मे घपला और धन के दुरुपयोग के मामले मे काफी अजीब हो रहा है – भारतीय जनता पार्टी के सांसद कीर्ति आज़ाद ने तत्कालीन अध्यक्ष और मौजूदा वित्त मंत्री अरुण जेटली केआर कार्यकाल के समय मे हुई आर्थिक गड्बड़ियों की सीडी जारी कर के मामले को उजागर किया | परंतु जेटली ने मुकदमा दायर किया दिल्ली के मुखी मंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके चार सहयोगीयो पर ! जबकि आज़ाद खुले आम चुनौती दे रहे है की जेटली मे हिम्मत हो तो मुझ पर मुकदमा चलाये | परंतु जेटली ने ऐसा नहीं किया | यह भीउजागर तथ्य है की जेटली ने आज़ाद को पहले संघ और पार्टी के नेताओ से दबाव डलवा कर प्रैस वार्ता करने से माना किया था | परंतु आज़ाद अडिग रहे और रविवार को पत्रकारो के समक्ष सीडी वितरित की जिसमे वित्तीय अनियमितताओ का खुलासा किया गया था |
इस घटना क्रम से एक बात साफ होती है की जेटली अपना "”दामन "” साफ तो करना चाहते है -परंतु इसी बहाने राजनीतिक स्वार्थ भी सिद्धकरना चाहते है | परंतु "आफ्नो पर वार नहीं करना चाहते "| सवाल है क्यो ?
सीडी के तथ्यो से यह तो उजागर हो गया है की जेटली के कार्यकाल मे भयंकर घपले हुए - उसी प्रकार जैसे कोयला खानो के आवंटन मे मनमोहन सिंह के समय हुए थे | अब मनमोहन सिंह भले ही निर्दोष रहे हो -परंतु उस मामले की जांच सीबीआई से हुई और मनमोहन सिंह को अदालत मे पेश होना पड़ा | अब इस मामले मे भी अगर जेटली "बेदाग " भी हो तो भी सीबीआई से जांच और अदालत तक तो उन्हे भी जाना होगा | कम से कम तार्किक रूप से तो ऐसा ही लगता है |
लेकिन जेटली सीबीआई से जांच नहीं चाहते है ,क्योंकि ऐसा होने पर उन्हे पद से इस्तीफा देना होगा | क्योंकि उनके मंत्री रहते "”निष्पक्ष" जांच संभव नहीं | बस यही कारण है की वे इस पूरे मामले को अदालत मे फंसा कर के बचना चाहते है | विरोधियो की इस्तीफा देने की मांग पर ---उनका टकसाली उत्तर होगा की "”मामला अदालत मे है "
अतः कोई जवाब संसद मे नहीं दिया जा सकता और ना ही कोई कारवाई की जा सकती है | इसीलिए वे इन आरोपो को राजनीतिक प्रेरित बताते हुए --सिद्ध करने के लिए अदालत चले गए |इस प्रकार वे संसद मे तथा बाहर भी बेदाग बनेंगे | लेकिन उनके दो मुकदमो के जवाब मे केजरीवाल ने भी गोपाल सुबरमानियम की सदारत मे पूरे मामले की न्यायिक जांच करने क फैसला किया है | जिस से की उनकी कानूनी कारवाई का कानूनी जवाब दिया जा सके | अब बीजेपी की ओर से इस आयोग की वैधता पर सवाल किए जा रहे है | यह कह कर दिल्ली सरकार को यह फैसला करने का विधिक अधिकार नहीं है | यह भी हो सकता है की इस फैसले को नजीब जंग - लेफ़्टिनेंट गवर्नर से रोक लगवाई जाये | पर केजरीवाल ने इसलिए विधान सभा का आपातकालीन सत्र बुला कर अदालती जांच आयोग की नियुक्ति को वैधता प्रदान करने का तीर चलाया है | अब दो स्थानो पर एक मामले की कानूनी जांच होगी | देखना होगा की अगर दोनों ने एक दूसरे के विपरीत फैसला दिया तब क्या होगा ?? देखना दिलचस्प रहेगा |




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