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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Dec 21, 2015

जेटली द्वारा आप नेताओ के विरुद्ध मानहानि का मामला

जेटली द्वारा आप नेताओ के विरुद्ध मानहानि का मामला

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट मे वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके चार अन्य सहयोगीयो के खिलाफ मानहानि के दायर मुकदमे की अगली सुनवाई 2016 के पहले माह मे होगी | दिल्ली क्रिकेट असोशिएशन मे विगत तेरह वर्षो मे हुए वित्तीय घपलो को लेकर भारतीय जनता पार्टी के सांसद किर्ति आज़ाद द्वारा रविवार को प्रैस कान्फ्रेंस मे जारी की गयी विडियो सीडी मे तेरह फर्जी कंपनियो को सैकड़ो करोड़ के ठेके दिये जाने का आरोप लगाया गया है | मज़े की बात है की इन सालो मे असोशिएशन के आदयक्ष अरुण जेटली ही थे | परंतु मानहानि के मामले मे कीर्ति आज़ाद को पच्छकार नहीं बनाया गया है |
अरुण जेटली की यह पहल देश की राजनीति के लिए बहुत शुभ संकेत है – क्योंकि आज कल अधिकतर नेताओ को बिना "”आधार "” और "”बिना तथ्यो "”” के आरोप लगा कर अभियुक्त बनाने की रीति चल पड़ी है | हालांकि सीडी के हिसाब से जेटली जी कम से कम आरोपित गडबड़ियों की "””अनदेखी "” करने के जिम्मेदार तो साफ रूप से है | यह वैसा ही है जैसा जेटली जी कोयला खानो के आवंटन के लिए पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह को "”कर्तव्य निर्वाह मे असफल "””” होने का दोषी बताते रहे है |
अब आरोपी को अभियुक्त बनाने का दावा करने की आदत पर कुछ तो "”लगाम "”” लगेगी,,ऐसा अनुमान किया जाना चाहिए | वैसे देखा जाये तो 2014 के लोकसभा चुनावो से आरोप -प्र्त्यरोपो का जो सिलसिला शुरू हुआ था वह तो जारी है ही --साथ मे भारतीय जनता पार्टी के नेता अक्सर ''लोगो''' को देशद्रोही होने का फैसला सुनते रहे है | इतना ही नहीं अनेकों विरोधियो को तो देश से निकाल कर पाकिस्तान भेजने का भी दावा करते रहे है | अब ऐसे सभी नेताओ को सोचना होगा की क्या "”वे अपने बयान से किसी की मानहानि तो नहीं कर रहे है ?””” क्योंकि जेटली जी ने राजनीति मे आरोपो को "”कानून "”” की कसौटी पर कसने की जो शुरुआत की है वह तो बहुत दूर तलक जाएगी | इसका सबसे ज्यादा खामियाजा तो केंद्र की सत्तारूद पार्टी के नेताओ को ही भुगतना पड़ेगा ,, क्योंकि हर दिन अपने विरोधियो पर "”एका नया आरोप चस्पा " करने का सिलसिला तो उधर से ही शुरू हुआ है |
सुभरमानियम स्वामी इस कतार मे प्रथम है | वे अपने सभी आरोप अदालत मे ज़रूर ले जाते है --भले ही वहा वे पराजित हो कर आए | हाल के वर्षो मे सुप्रीम कोर्ट तक ने उन्हे सलाह दी है की वे गैर ज़रूरी मुद्दो से अदालत का समय बर्बाद करने से बचे | नेशनल हेराल्ड मामले मे भी सोनिया और राहुल गांधी को जमानत मिलने पर ''हताश'' स्वामी ने ,,अमेठी मे इस परिवार के ट्रस्ट द्वारा भूमि खरीद का मामला 2017 मे उठाने की घोषणा की है ! उनकी दूरंदेशी का स्वागत होना चाहिए |
वैसे अगर गंभीरता से देखा जाये तो जेटली जी जिस प्रकार "”खुद अदालत मे मामले को दायर किए जाने के समय मौजूद रहे -वह उनकी गंभीरता को दिखाता है | वे खुद सुप्रीम कोर्ट के "”बड़े वकील"”है उन्होने ज़रूर कोई न कोई मुदा तो खोजा ही होगा , मुकदमा दायर करने से पहले वरना खाली - पीली मामले को दायर कर जान बचाने की जुगत तो नहीं लगती है | हो सकता हो की वे मुकदमे के दौरान खबरों के छपने पर "”रोक "” लगाना चाहते हो | अनेकों मामलो मे अदालत सुनवाई के दौरान ऐसी रोक लगा सकती है | चूंकि यहा मामला "” मान या इज्ज़त "” का है और खबरों से प्रतिष्ठा पर तो प्रभाव तो पड़ता ही है | अब बोफोर्स वाला ही मामला देख ले --- राजीव गांधी या उनके परिवार के किसी सदस्य द्वारा किसी भी प्रकार " धन "”” लिए जाने की बात कभी नहीं सिद्ध हुई | परंतु मीडिया ट्राइल द्वरा गांधी परिवार को बदनाम किया गया |
फलस्वरूप काँग्रेस परत्यु चुनाव मे पराजित हुई | अब जेटली जी तब यह कदम उठाते तो शायद काँग्रेस और गांधी परिवार भी ''मानहानि का आपराधिक मामला "”दायर करता तथा उच्च न्यायालय मे मानहानि के बदले मुआवजे का मुकदमा दायर कलर सकता था | परंतु तब जेटली जी ने भी "'आरोप ''लगाने मे कोई कसर नहीं छोड़ी थी |

वह कहावत है ना की "”जाके पैर न फटी बिवाई ,सो का जाने पीर पराई "”' तो अब जेटली जी को महसूस हो रहा होगा की जिनके विरुद्ध वे आरोप लगते है वे कैसी पीड़ा से गुजरते है

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