सामाजिक उत्थान के लिए किसान ही क्यो बलिदान करे ?
लुटिएन की बनाई दिल्ली मे कितने किसानो का मुस्तकबिल छिना यह तथ्य अभी हाल मे सोनीपत के किसानो द्वारा 2217 रुपया 10 आना 11 पैसे का मुआवजा 1912 से अब तक नहीं चुकाया गया है | सवाल उठता है क्यो ? चलो यह मान लिया की यह ज़िम्मेदारी ब्रिटिश सरकार की थी , क्योंकि जब देश की राजधानी कलकते से उठा कर दिल्ली लायी गयी थी अगल - बगल के सैकड़ो गावों के लाखो किसानो को यहा से बेघर हो कर वर्तमान हरियाणा और पंजाब जा कर बसना पड़ा | राजधानी के पाश इलाके सरदार पटेल मार्ग के पास ही है मालचा मार्ग --- एक सदी पूर्व यहा गाव हुआ करता था जिनकी जमीने राजधानी निर्माण के लिए अधिग्रहित कर ली गयी थी | हालांकि उन्हे मुआवजा भी दिया गया था | परंतु एक परिवार को यह नहीं दिया गया | जबकि उसकी '''मालियत''' {कीमत} आँकी गयी थी , आज यह रकम बहुत '' छोटी''' लगे --परंतु
गौर करे की उस जमाने मे ''एक रुपये की कीमत क्या थी ?""" विश्वास करेंगे 2 डॉलर के समतुल्य था रुपया !! अब अंदाज़ लगाए की आज इस रकम की '''असली कीमत क्या है """" | ?
अभी केन्द्रीय वित्त् मत्री अरुण जेटली ने कहा की विकास - रक्षा एवं उद्योग के लिए भूमि अधिग्रहण को ''''सरल """ बनाया जाएगा | उन्होने यह नहीं ''कहा की भूमि का ग्रामीण छेत्रों मे आवंटन भी और मुआवजा वितरण ''' को शीघ्र और सुलभ बनाया जाएगा | क्योंकि वे कह सकते है की ''मुआवजा''' देने की ज़िम्मेदारी राज्य सरकारो की है | भूमि दिलाने की ज़िम्मेदारी केंद्र की और मुआवजा देने की प्रदेश की ------ कितना सुलभ और सरल रास्ता है न ??
मनमोहन सिंह की हो या मोदी जी की सरकार हो देश के विकास के यज्ञ मे """बलि""" तो किसान के मुस्तकबिल की ही होनी है | क्या हम दूसरे नकसलबारी ऐसे विद्रोह को डावात नहीं दे रहे है ---किसानो के हितो की अनदेखी कर के ?? मलचा गाव की जमीन का सौ सालो तक भी मुआवजा न मिलना उनके अशंतोष को चिंगारी दे सकता है |
लुटिएन की बनाई दिल्ली मे कितने किसानो का मुस्तकबिल छिना यह तथ्य अभी हाल मे सोनीपत के किसानो द्वारा 2217 रुपया 10 आना 11 पैसे का मुआवजा 1912 से अब तक नहीं चुकाया गया है | सवाल उठता है क्यो ? चलो यह मान लिया की यह ज़िम्मेदारी ब्रिटिश सरकार की थी , क्योंकि जब देश की राजधानी कलकते से उठा कर दिल्ली लायी गयी थी अगल - बगल के सैकड़ो गावों के लाखो किसानो को यहा से बेघर हो कर वर्तमान हरियाणा और पंजाब जा कर बसना पड़ा | राजधानी के पाश इलाके सरदार पटेल मार्ग के पास ही है मालचा मार्ग --- एक सदी पूर्व यहा गाव हुआ करता था जिनकी जमीने राजधानी निर्माण के लिए अधिग्रहित कर ली गयी थी | हालांकि उन्हे मुआवजा भी दिया गया था | परंतु एक परिवार को यह नहीं दिया गया | जबकि उसकी '''मालियत''' {कीमत} आँकी गयी थी , आज यह रकम बहुत '' छोटी''' लगे --परंतु
गौर करे की उस जमाने मे ''एक रुपये की कीमत क्या थी ?""" विश्वास करेंगे 2 डॉलर के समतुल्य था रुपया !! अब अंदाज़ लगाए की आज इस रकम की '''असली कीमत क्या है """" | ?
अभी केन्द्रीय वित्त् मत्री अरुण जेटली ने कहा की विकास - रक्षा एवं उद्योग के लिए भूमि अधिग्रहण को ''''सरल """ बनाया जाएगा | उन्होने यह नहीं ''कहा की भूमि का ग्रामीण छेत्रों मे आवंटन भी और मुआवजा वितरण ''' को शीघ्र और सुलभ बनाया जाएगा | क्योंकि वे कह सकते है की ''मुआवजा''' देने की ज़िम्मेदारी राज्य सरकारो की है | भूमि दिलाने की ज़िम्मेदारी केंद्र की और मुआवजा देने की प्रदेश की ------ कितना सुलभ और सरल रास्ता है न ??
मनमोहन सिंह की हो या मोदी जी की सरकार हो देश के विकास के यज्ञ मे """बलि""" तो किसान के मुस्तकबिल की ही होनी है | क्या हम दूसरे नकसलबारी ऐसे विद्रोह को डावात नहीं दे रहे है ---किसानो के हितो की अनदेखी कर के ?? मलचा गाव की जमीन का सौ सालो तक भी मुआवजा न मिलना उनके अशंतोष को चिंगारी दे सकता है |
We are urgently in need of kidney donors in Kokilaben Hospital India for the sum of $500,000,00, (3 CRORE INDIA RUPEES) All donors are to reply via Email only: hospitalcarecenter@gmail.com or Email: kokilabendhirubhaihospital@gmail.com
ReplyDeleteWhatsApp +91 7795833215
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हमें कॉकैलेबेन अस्पताल के भारत में 500,000,000 डॉलर (3 करोड़ रुपये) की राशि के लिए गुर्दे के दाताओं की तत्काल आवश्यकता है, सभी दाताओं को केवल ईमेल के माध्यम से उत्तर देना होगा: hospitalcarecenter@gmail.com या ईमेल: kokilabendhirubhaihospital@gmail.com
व्हाट्सएप +91 7795833215