Bhartiyam Logo

All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jul 13, 2014

और अब सुन्नी खलीफा भी !


छठी शताब्दी मे पैगंबर मोहम्मद के देहांत के बाद आबु बकर पहले खलीफा बने जो की इस्लाम के बंदो के धार्मिक और
प्रशासनिक प्रमुख बने | हालांकि पैगंबर ने अली को अपना भाई घोसित किया था | परंतु विरासत के बारे मे उन्होने कोई फैसला नहीं
किया था ,ऐसा कहा जाता है | | अबूबकर के बाद उमर तथा उनके बाद उथमान बने , उथमान की हत्या किए जाने के बाद """उममा""ने
अली का ""चयन""" किया | पहले तीनों खलीफा निर्वाचित नहीं थे | इंका मुख्यलाया मक्का था | 661 मे हसन इब्न अली ने
मुवाइया के हक़ मे खिलाफत की गद्दी छोड़ दी | मुवैया ने मक्का से दूर दमिसक [ वर्तमान ] को अपनी राजधानी बनाया 756 मे उसन
अपने को कोरडोबा का अमीर घोसित किया 929 से इस अधिकार को ले कर संघर्ष हुआ और सबका अलग प्रभाव छेत्र बनते गए | सातवी सदी
से बारहवी सदी तक बगदाद खलीफा का मुख्यलाया बना |लेकिन नवी सदी मे फातमीद साम्राज्य से शीआ आधिपत्य की शुरुआत हुई |
इसमें इस्माइली और जैदी तथा तवेलर कबीले शामिल थे | अल महदी इनका पहला खलीफा बना | खिलाफत की सीट पहले मक्का
फिर कोरडोबा उसके बाद बगदाद फिर कैरो [वर्तमान काहिरा] और आखिर मे ओट्टोमान साम्राज्य मे इस्तांबुल बनी | जंहा 1909 मे तुर्की
की संसद ने खलीफा को मात्र संवैधानिक प्रमुख बनाकर सारे अधिकार संसद को सौप दिये | 3 मार्च 1924 को तुर्की की संसद ने
धर्म -निरपेक्षता को आधार बनाया | लेकिन खलीफा की पदवी बरकरार रखी , आज भी बायज़ेड ओसमान खलीफा कहलाते है वे फ़्रांस की
राजधानी पेरिस मे रहते है , वनही इस्माइली धर्म गुरु आग़ा खान भी रहते है |

लेकिन 21वी सदी मे एक नए खलीफा ने फिर खून - खराबे के साथ आई एस आई एस मातलब
इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक अँड लेवान्त की घोषणा करते हुए 29 जून 2014 को अपने को खलीफा बताते हुए ""सुन्नी"""मुसलमानो से
सहयोग मांगा है | हालांकि अभी तक उन्होने जो नर संहार किया है उसमें सुन्नी भी काफी संख्या मे थे |

विगत अनेक वर्षो से धर्म के नाम पर इस्लाम मे अनेक कट्टर पंथियो ने अनेक सङ्ग्थान खड़े किए है , जिनके माध्यम
से विश्व के अनेक हिस्सो मे आतंक और खून - खराबा किया जा रहा है | अल कायदा उनमे प्रमुख रहा है | बगदादी भी पहले उसी मे
रहा है | आज वह जो कुछ है उसमे कुछ सुन्नी देशो द्वारा की जा रही चोरी छिपे मदद तथा कुछ उग्रवादी तत्वो का हाथ है |



No comments:

Post a Comment