मनचाहा  हो तो अच्छा  ना हो  तो और भी अच्छा  
                                                                    उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य मंत्री अखिलेश यादव  का  दुर्गा शक्ति नागपाल को निलंबित करने का फैसला बरकरार रख कर अपने  ही पैरो पर कुल्हाड़ी मार लिया है | नरेंद्र भाटी की ज़िद पूरा करके वास्तव मे भाटी की  आमदनी को ज़ीरो  कर दिया हैं |  इतना ही नहीं  प्रदेशो  मे सत्तारूद  दल के  नेताओ  की आमदनी  का जरिया भी खतम कर दिया हैं | 
                                         यमुना अथवा गंगा के  कछार  से बालू की खुदाई का मामला हो अथवा बेल्लारी मे आइरन ओर  अथवा  छतीसगढ मे स्टोन या मगनीज की खुदाई हो सभी मे सत्तारूद दल के लोग ''सहयोगी''' रहते ही हैं | जो सहयोग की कीमत भरपूर वसूलते ही हैं |, अब इसे सेवा का प्रतिदान कहे या साझेदारी , कुछ भी नाम आप दे सकते हैं | परंतु तथ्य यही हैं , अब इसमे पार्टी कौन हैं ? यह महत्वपूर्ण नहीं हैं | 
                                       वैसे खनन   के मुखिया लोगो  को तो मेजर मिनेरल्स  का ठेके से नवाजा जाता हैं , ज़िला और नगर स्तर के ''पार्टी''' के स्थानीय नेताओ को  पत्थर  और बालू  ही मिलती हैं | जिस का एक  पट्टा बना दिया जाता हैं , फिर उसकी आड़ मे साल दर साल  हजारो ट्रक  ''माल''' बाज़ार मे भेज दिया जाता हैं | इन  जमीनी  """फलो"" से  लाखो  पॉलिटिकल  व्यक्तित्व  और परिवारों का ''भला''' हुआ हैं | इसी कारण  बालू - मुरम - पत्धर  से संपन्नता का रहस्य अब तिलस्मी राज़ नहीं रहा |  
परंतु समाजवादी पार्टी की सरकार ने दुर्गा शक्ति का निलंबन करके ''राजनेताओ''' के चमचो का घर भरने के रास्ते को ''मूँद दिया हैं | राष्ट्रिय पर्यावरण ट्रिबूनल ने '''तत्काल प्रभाव '''से देश की नदियो से बालू - मुरम की खुदाई पर रोक लगा दी हैं | इस कदम से देश के सभी राज्यो मे सत्तारूद दल के समर्थको पर ''गाज़'''' गिरि हैं | अब देखना यह हैं की क्या पर्यावरण प्राधिकरण अब अपने हुकुम को लागू करवा पाएगा ? अगली कारवाई तक इंतज़ार ............
परंतु समाजवादी पार्टी की सरकार ने दुर्गा शक्ति का निलंबन करके ''राजनेताओ''' के चमचो का घर भरने के रास्ते को ''मूँद दिया हैं | राष्ट्रिय पर्यावरण ट्रिबूनल ने '''तत्काल प्रभाव '''से देश की नदियो से बालू - मुरम की खुदाई पर रोक लगा दी हैं | इस कदम से देश के सभी राज्यो मे सत्तारूद दल के समर्थको पर ''गाज़'''' गिरि हैं | अब देखना यह हैं की क्या पर्यावरण प्राधिकरण अब अपने हुकुम को लागू करवा पाएगा ? अगली कारवाई तक इंतज़ार ............
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