असहमति की या विपरीत धारा का चिंतन --गर्भपात ?
समुक्त राज्य अमेरिका को विसवा मे न केवल सर्वाधिक विकसित राष्ट्र माना जाता हैं , वरन व्यक्ति की स्वतन्त्रता के मामले मे अगुआ माना जाता हैं | परंतु अभी कुछ ऐसे मुद्दे सामने आए हैं , जिसने वंहा के समाज के नैतिक और वैचारिक मूल्यो पर दुनिया की धारणा को गलत साबित किया हैं | एक मुद्दा हैं महिलाओ को गर्भपात के अधिकार का , दूसरा हैं व्यक्ति स्वतन्त्रता का |
आम तौर यह धारणा रही हैं की डेमोक्रेटिक पार्टी और रिपुब्लिकन पार्टी का अंतर किसको टैक्स करे और किस उदयोग को कितनी सहूलियत दे | डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उदरवादी रुख को उनके विपक्षी दल अत्यंत नाराज़ हैं | साधारणतया दोनों दल विवादित मुद्दो पर बातचीत कर के अथवा दोनों सदनो मे वाद- विवाद द्वारा मामले को सुलझा लेते थे | पर गर्भपात के मामले पर रुड़ीवादी रिपुब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक प्रशासन न केवल आमने - सामने खड़े हैं वरन टकराव की मुद्रा मे हैं | प्रतिनिधि सभा मे वंहा रिपुब्लिकन पार्टी का बहुमत हैं , अतः उन्होने बीस माह से ज्यादा के गर्भ के गर्भपात को गैर कानूनी बनाए जाने का विधेयक पारित कर के सीनेट को भेज दिया हैं | अब सीनेट मे डेमोक्रेटिक पार्टी का बहुमत हैं , जनहा इस बिल का गिरना निश्चित हैं |
वैधानिक रूप से दोनों सदनो की असहमति का निपटारा संयुक्त अधिवेसन मैं किया जाता हैं | वंहा फैसला बहुमत से किया जाता हैं , और संख्या मे प्रतिनिधि सभा के मत सीनेट से कनही अधिक हैं | परंतु राष्ट्रपति ओबामा ने इंगित किया हैं की वे इस बिल के पारित किए जाने के बावजूद ''वीटो ''के अधिकार का प्रयोग करेंगे | जिसका तात्पर्य हुआ की बिल पारित होने के बावजूद भी कानून नहीं बन सकेगा |
सवाल यहा यह हैं की '' उदरवादी ''' अमेरिकी समाज मे ऐसा कठमुल्ला विचार क्यों पनपा ? कैथॉलिक धर्म मे गर्भपात '''को पाप ''' माना हैं | अभी हाल ही मे आयरलैड मे एक भारतीय महिला डॉक्टर की मौत इस कारण हो गयी की उसके गर्भ को साफ नहीं किया गया परिणाम स्वरूप भारत समेत अनेकों देशो ने मेडिकल आधार पर माता की जान बचाने के लिए गर्भपात को ज़रूरी बताते हुए ''इसे धार्मिक आस्था '' से अलग रखने की वकालत की | ईरान -इराक और अनेक मुस्लिम देश मे भी यह हालत हैं | जिसे बुरा ही माना जाता हैं | जबकि अमेरिकी महिला संगठनो ने इसका विरोध किया हैं | वंहा के मतदाताओ मे महिलाओ की संख्या काफी और निर्णायक हैं | कारण यह बताया जा रहा हैं की दक्षिण के राज्यो जैसे टेक्सास - कंसास आदि के निवासी कैथॉलिक हैं वे इस बिल के समर्थक हैं , इसीलिए उनके प्रतिनिधियों को इस कानून को लाना पड़ा |
पर क्या बहुमत हमेशा सही होता हैं ? अथवा उसके सोच को मानना अपरिहार्य हैं ?
समुक्त राज्य अमेरिका को विसवा मे न केवल सर्वाधिक विकसित राष्ट्र माना जाता हैं , वरन व्यक्ति की स्वतन्त्रता के मामले मे अगुआ माना जाता हैं | परंतु अभी कुछ ऐसे मुद्दे सामने आए हैं , जिसने वंहा के समाज के नैतिक और वैचारिक मूल्यो पर दुनिया की धारणा को गलत साबित किया हैं | एक मुद्दा हैं महिलाओ को गर्भपात के अधिकार का , दूसरा हैं व्यक्ति स्वतन्त्रता का |
आम तौर यह धारणा रही हैं की डेमोक्रेटिक पार्टी और रिपुब्लिकन पार्टी का अंतर किसको टैक्स करे और किस उदयोग को कितनी सहूलियत दे | डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उदरवादी रुख को उनके विपक्षी दल अत्यंत नाराज़ हैं | साधारणतया दोनों दल विवादित मुद्दो पर बातचीत कर के अथवा दोनों सदनो मे वाद- विवाद द्वारा मामले को सुलझा लेते थे | पर गर्भपात के मामले पर रुड़ीवादी रिपुब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक प्रशासन न केवल आमने - सामने खड़े हैं वरन टकराव की मुद्रा मे हैं | प्रतिनिधि सभा मे वंहा रिपुब्लिकन पार्टी का बहुमत हैं , अतः उन्होने बीस माह से ज्यादा के गर्भ के गर्भपात को गैर कानूनी बनाए जाने का विधेयक पारित कर के सीनेट को भेज दिया हैं | अब सीनेट मे डेमोक्रेटिक पार्टी का बहुमत हैं , जनहा इस बिल का गिरना निश्चित हैं |
वैधानिक रूप से दोनों सदनो की असहमति का निपटारा संयुक्त अधिवेसन मैं किया जाता हैं | वंहा फैसला बहुमत से किया जाता हैं , और संख्या मे प्रतिनिधि सभा के मत सीनेट से कनही अधिक हैं | परंतु राष्ट्रपति ओबामा ने इंगित किया हैं की वे इस बिल के पारित किए जाने के बावजूद ''वीटो ''के अधिकार का प्रयोग करेंगे | जिसका तात्पर्य हुआ की बिल पारित होने के बावजूद भी कानून नहीं बन सकेगा |
सवाल यहा यह हैं की '' उदरवादी ''' अमेरिकी समाज मे ऐसा कठमुल्ला विचार क्यों पनपा ? कैथॉलिक धर्म मे गर्भपात '''को पाप ''' माना हैं | अभी हाल ही मे आयरलैड मे एक भारतीय महिला डॉक्टर की मौत इस कारण हो गयी की उसके गर्भ को साफ नहीं किया गया परिणाम स्वरूप भारत समेत अनेकों देशो ने मेडिकल आधार पर माता की जान बचाने के लिए गर्भपात को ज़रूरी बताते हुए ''इसे धार्मिक आस्था '' से अलग रखने की वकालत की | ईरान -इराक और अनेक मुस्लिम देश मे भी यह हालत हैं | जिसे बुरा ही माना जाता हैं | जबकि अमेरिकी महिला संगठनो ने इसका विरोध किया हैं | वंहा के मतदाताओ मे महिलाओ की संख्या काफी और निर्णायक हैं | कारण यह बताया जा रहा हैं की दक्षिण के राज्यो जैसे टेक्सास - कंसास आदि के निवासी कैथॉलिक हैं वे इस बिल के समर्थक हैं , इसीलिए उनके प्रतिनिधियों को इस कानून को लाना पड़ा |
पर क्या बहुमत हमेशा सही होता हैं ? अथवा उसके सोच को मानना अपरिहार्य हैं ?
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