केजरीवाल की क्यों और कारवाई का सच ? वास्तव मैं भ्रस्टाचार के विरुद्ध एक आन्दोलन हुआ करता था ---अन्ना हजारे का , जिसे कुछ सरकारी नौकरी से छुट्टी पाए कुछ लोगो ने तथा वकील पिता -पुत्र ने अपनी जेबी संस्था बनाने का सफल प्रयास किया ।परन्तु अन्ना ने अपने को इन ''अभिजात्य' लोगो से अपने को अलग कर लिया । फिर भी नेता बनने के इन पूर्व अधिकारियो ने राजनितिक दल बना लिया .
जिसका मुख्य आधार एक हैं ----'''पोल खोल ''
उद्देश्य हैं जिसका --------मीडिया की सुर्खियों में बने रहना
तरीका -----खुद की उपलब्धि के बजाय -दूसरे को गाली देना
राजनीती ----जंतर -मंतर पर बैठक ,धरना,अनशन आन्दोलन
शंखनाद ----हमसे अच्छा कोई नहीं बाकी सब '''बेईमान '''
जिसका मुख्य आधार एक हैं ----'''पोल खोल ''
उद्देश्य हैं जिसका --------मीडिया की सुर्खियों में बने रहना
तरीका -----खुद की उपलब्धि के बजाय -दूसरे को गाली देना
राजनीती ----जंतर -मंतर पर बैठक ,धरना,अनशन आन्दोलन
शंखनाद ----हमसे अच्छा कोई नहीं बाकी सब '''बेईमान '''
- एक बयान में अरविन्द केजरीवाल और वकील प्रशांत भूषण ने सोनिया गाँधी के दामाद रोबेर्ट वाड्रा पर आरोप लगाया हैं की उन्होने तीन साल में पचास लाख रुपये कमाए हैं ।यहसब एक बिल्डर कंपनी डी एल ऍफ़ के साथ मिल कर उन्होने किया . ।वकील प्रशांत के पिता शांति भूषन ने तो सीधे कारवाई करने की मांग की हैं ।लेकिन यह नहीं बताया की किन धाराओ के तहत ऐसा करना हैं ?आरोप यह हैं की बिल्डर कंपनी ने रोबेर्ट को बिना गारंटी के 65 करोड़ रुपये का कर्ज दिया ।इस के पूर्व रोबर्ट की कम्पनी की पूंजी मात्र 50 लाख रुपये ही थी । इतना ही नहीं डी एल ऍफ़ ने उन्हे सस्ती दरो पर संपतियां सुलभ करा यी । अब इस चौकड़ी का एतराज इस बात पर हैं की यह सब सोनिया का रिश्तेदार होने के कारन हुआ ,क्योंकि हरियाणा और हिमांचल की सरकारों ने राजनीतिक दबाव में ऐसा किया ।वे भूल गए की हिमांचल में भारतीय जनता पार्टी की सरकार हैं ।न की कांग्रेस की ।अब अगर हिमांचल की सरकार ने भी सोनिया के दामाद को लाभ पहुँचाया तब तो उन्हे धूमल के विरुद्ध भी मोर्चा खोलना पड़ेगा ।
- वकील भूषण एंड भूषण के अनुसार उनके आरोप अंतिम सत्य हैं ,इसलिए उस पर करवाई करते हुये 10 जनपथ के खिलाफ कारवाई करने की मांग की ।अब सवाल हैं की अगर आयकर विभाग से हटाये गए एक कर्मचारी के कथन पर मुकदमा चलाया जाए तब तो ऐसे मुकदमें बहुत हो जायेंगे ,और कानून का राज्य समाप्त हो जायेगा ।क्योंकि केजरीवाल से हैसियत में काफी बड़े लोग और नेता रोज एक -दूसरे पर आरोप लगते हैं ---पर जिस पर आरोप लगता हैं वह जांच की मांग करता हैं जो वैधानिक भी हैं ,इन स्थितियों में केजरीवाल और भूषण एंड भूषण का दावा तो तभी कुछ ''लायक'' हो पायेगा जब वे जनता पार्टी के नेता स्वामी की सलाह मान कर एक ''जनहित'' याचिका दायर करना चाहिए , तभी उनके कहने का कुछ अर्थ निकलेगा । वरना मीडिया के लिए एक और शगूफा ही साबित होगा ।
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