यादों के झरोखे से :-
बात तब की है जब मैं जूनियर हाई स्कूल का छात्र हुआ करता था | लखनऊ में पंडित नेहरू का दौरा था ' | अमौसी हवाई अड्डे पर उनका विमान उतरना था | अब हवाई अड्डे का नाम चौधरी चरण सिंह विमानपत्तन हो गया हैं | पंडित जी विक्टोरिया पार्क में सभा को संबोधित करने वाले थे | शाम को नियत वक्त पर देश के प्रथम प्रधान मंत्री पालिमाउथ कार से उतरे | उनके साथ शार्क स्किन की बुसशर्त और पैंट पहने लंबे से गलमुछ वाले व्यक्ति भी उतरे | पंडित जी पीछे की सीट से उतरे और यह सज्जन ड्राइवर की बगल से उतरे | पार्क में अनुमान से 20 से 30 पुलिस वाले थे ,जो व्ययस्थ देख रहे थे | वे नेहरू टोपी भी लगाए थे जो गुलाबी रंग की थी| पंडित जी के पीछे की कार से सम्पूर्णानन्द जी और एक और मंत्री भी उतरे थे | उनके साथ कोई भी आदमी नहीं था |
पूछने पर मुझे बताया गया की गलमूचों वाले व्यक्ति रॉय बहादुर जमुना प्रसाद त्रिपाठी थे ,जो उत्तर प्रदेश पुलिस मे पुलिस कप्तान थे | जो प्रधान मंत्री की सुरक्षा मे थे ,यानि बॉडीगार्ड थे | बाकी मंत्री अकेले थे | नेहरू जी के साथ शायद तीन या चार गड़िया थी हाँ दो पिकअप थी जिसमे से ही कुछ सिपाही उतरे थे | बस इतनी ही सुरक्षा प्रधान मंत्री की थी |
दूसरे वीआईपी थे ईरान के तत्कालीन शहंशाह आर्यमहर और एम्प्रेस
सुरैया का लखनऊ का दौरा | तब स्कूल की तरफ से हम लोगों को उनके गुजरत्ने वाले सड़क पर लाइन से खाद्य कर दिया गया था | हमरे मास्टर साहब ने कहा था की जब वे गुजरे तब नर लगाना था "” शाहे ईरान ज़िन्दाबाद " \| विदेशी शाही जोड़े के साथ खुली कर में दो लोग शायद सुरक्षा के थे | तीसरा वाकया था , प्रथम अंतरिक्ष यात्री रूस के "”यूरी गाग्रिन "” की लखनऊ यात्रा थी | तब शूली छात्रों को बस हाथ हिलाने थे | उनके साथ भी पाँच छा ही गड़िया रही होंगी | ये सभी राष्ट्र के प्रथम नागरिक के बराबर को उनकी सुरक्षा की हकदार थे |
ये वाकया इसलिए याद आया क्यूंकी भोपाल मे औद्योगिक अधिवेशन के उद्घाटन मे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को आना था ___ शहर को "” sanitaiez करने के एनएसजी के निर्देश पर भोपाल की एक तिहाई इलाके को बड़ाबांदी कर दी गई | बीस -तीस सड़क मार्ग को एकांगी कर दिया गया | अनेकों मार्गों को बंद कर दिया गया | प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के राजभवन से ट्राइबल मूजियाम के रास्ते को तो घंटों पहले लोगों की आवाजाही को रोक दिया गया था | अब सुरक्षा के नाम पर ऐसी कवायद शायद ही किसी अन्य राष्ट्र में होती होगी , जन्हा तक मुझे जानकारी हैं | वैसे इतनी तो सुरक्षा इंदिरा गांधी या राजीव गांधी की भी नहीं हुआ करती थी | हाँ आवागमन से आधे सेएक घंटे पूर्व ही ट्रैफिक रोक जाता था | पर अब तो ................|
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