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Dec 11, 2024

पटवारी के शूकराने से लेकर जबराने तक -और पटवारी कैसे हुए लेखपाल !!!

 

पटवारी के शूकराने से लेकर जबराने तक -और पटवारी कैसे हुए लेखपाल !!!


यह वाकिया है सूबा ऐ उत्तर प्रदेश का , वांह भी पटवारियों ने हड़ताल की थी --- वेतन आदि बदने की मांग को लेकर | राजस्व मंत्री थे चौधरी चरण सिंह , जो बाद मे देश के प्रधान मंत्री बने | वे भ्रस्टाचार के सख़्त खिलाफ थे | उनके सभी कारीबियों को यह मालूम था की चौधरी साहब

कायदे - कानून से चलते थे - किसी को भी रियायत नहीं देते थे भले ही वह उनका कोई रिश्तेदार ही क्यू ना हो | जब पटवारियों ने हड़ताल का नोटिस सरकार को दिया , तब उनके नेता से चौधरी साहब ने कहा की की "”बरतानिया हुकूमत के जमाने से आपको तनख्वाह के साथ कुछ जमीन भी दी जाती है , फिर आप बैठे बैठे अपने बस्ते से लोगों के जमीन के "” अमल दरामद"” के लिए भरपूर शुक्राना वसूलते है | आप किसान से अनाज फ्री मे लेते हो चारा भी वसूलते हो फिर काहे बात की कमी ! इस पर हड़ताली पटवारी नाराज होकर चले गए | तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रभानु गुप्ता ने चौधरी साहब से कहा की देख लीजिए किसान कांही परेशान ना हो जाए | कहते है चरण सिंह जी ने गुप्ता जी से इस मामले में फ्री हैंड मांगा | चंद्रभानु गुप्ता जी "”एवमस्तु" कहा |



जब यह बात पटवारियों के नेता को पता चली - तब उन्होंने सरकार का काम काज ठप करने का अल्टिमेटम दे दिया | बस इस घटना ने चौधरी साहेब को उतएजित कर दिया | उन्होंने पत्रकारों को बुला कर बात की और कहा --- पटवारी सिर्फ भूमि प्रबंधन के दस्तावेज़ों सम्हालते हैं | जिसके लिए उन्हे वेतन भी मिलता हैं | साथ ही उन्होंने पटवारियों के वसूली का एक चुटकुला भी सुन दिया | जिसमे बताया गया था की -, किस प्रकार एक ही मद मे वसूली के लिए पटवारी हिन्दी और फारसी के शब्दों का इस्तेमाल करते हैं | यह हकीकत शहर के लोगों को नहीं मालूम था | तब शहर मे पटवारी वाला काम "”रूटीन "” का हुआ करता था | इसलिए उनके बस्ते का आतंक नगरों मे नहीं चलता था | आज की तरह तब गावों मे बिल्डिंग नहीं बना करती थी | इसलिए उनकी हैसियत चहरुम दर्जे की ही हुआ करती थी |


इस परिप्रेक्ष्य में पटवारियों की हडताल कोई महीने भर से ज्यादा चली , जब हड़ताल का राज - काज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा , तब पटवारी लो सुलह -सफाई के लिए सरकार के चक्कर लगाने लगे | इसी दौरान एक तेज तरार पटवारी ने कुछ गैर वाजिब बात सरकार और मंत्रियों के खिलाफ कह दिया | जिसको चौधरी साहब तक पहुंचा दिया गया | चरण सिंह जी ने उत्तर प्रदेश के समस्त पटवारियों को "” बरख़ास्त "” कर दिया , आधार सरकार के निर्देशों की अवहेलना करनी थी ! निकाले जाने पर सभी हड़ताली पटवारी सहम गये | हालत यह हो गई की सभी पटवारियों ने '’अपने अपने हल्के के नेताओ -विधायको को पकड़ना शुरू कर दिया | हालत इतनी दयनीय हो गई की समस्त पटवारी संघ ने "”बिना शर्त हडताल वापस लेने का प्रस्ताव किया "” ! मुख्य मंत्री चंद्रभानु गुप्त ने भी चरण सिंह जी से मामले को निपटाने का आग्रह किया |


चौधरी चरण सिंह जी ने कहा की मैंने "”पटवारियों को बरख़ास्त किया है अब उन्हे वापस नहीं लूँगा | ये लोग गाव मे किसानों को बहुत लूटते है , मैं भी किसान परिवार से हूँ मुझे मालूम हैं | अब मामला फंस गया | तब किसी नौकर शाह ने तरकीब सूझई की सभी हड़ ताली पटवारियों को नई नौकरी दी जाएगी ----- जिसका नाम होगा "”लेखपाल "” | किस्सा कोताह यह की तब से उत्तर प्रदेश में इनका नाम लेखपाल हो गया | अब वैसा ही कुछ वाक्या भोपाल में बन रहा हैं ----- की राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने तीन पटवारियों को उनके भ्रष्ट आचरण और काम की शिकायत मिलने पर "”सिर्फ निलंबित किया "” फलस्वरूप राजधानी की सात तहसीलों मे से पाँच के सभी पटवारी सामूहिक अवकाश पर चले गये ! जबकि इन पटवारियों के कारनामे को एक अखबार ने प्रकाशित किया था | हालांकि इस कारवाई में दो तहसीलों --कोलार और बैरसिया के पटवारी शामिल नहीं , वे अपने ड्यूटी पर कायम रहे |

उधर राजस्व मंत्री ने कहा है की वे पटवारियों के रिश्वतखोरी के इस धंधे को बंद कर के रहेंगे !!! उधर हड़ताली पटवारी कह रहे है की "”” कारवाई हो पर नियमानुसार हो !!”” अर्थात अधिकारी नियुक्त हो जांच के लिए - स्वाभाविक है की जांच अधिकारी भी उन्ही की जमात से आएगा , अब ऐसे अधिकारी से न्याय की उम्मीद तो '’’’’’’’’’’’| अब देखना होगा की मुख्य मंत्री यादव जी चंद्रभानु गुप्त जैसे अपने राजस्व मंत्री की पीठ पर रहते है अथवा बिल्डर लाबी के दबाव मे मामले को रफा दफा कर देंगे !!!!!!



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