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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Dec 1, 2024

 

मस्जिदों में मंदिर की मूर्ति की खोज ? क्या यह धर्मांधता नहीं है ?


बाबरी मस्जिद को ध्वंस करके -- राम मंदिर के निर्माण के बाद भी भारत के बहुसंख्यकों के एक प्रतिशत "”भक्त"” शायद देश में शांति -सौहार्द के ईछुक नहीं है | इसीलिए अब अजमेर के खवजा की दरगाह हो या सम्भल की सदियों पुरानी मस्जिद हो उसके नीचे देवताओ की मूर्तियो की खोज के लिए सर्वे किए जा रहे हैं | ताज्जुब है की सुप्रीम कोर्ट ने भी संसद द्वारा पारित विधि को मंजूर किया है ---जिसमे कहा गया है की आजादी मिलने के समय जिस उपासना स्थल का जो स्वरूप था उसे वैसा ही कानूनी रूप से माना जाएगा ! हालांकि अयोध्या मंदिर के मामले मे सुप्रीम कोर्ट ने साफ साफ रूप से लिखा था ,की इस मामले को "”अपवाद "” के रूप में माना जाएगा | परंतु जिस प्रकार मथुरा -काशी और उत्तर प्रदेश के अन्य स्थानों पर पुरातत्व सर्वेक्षण के नाम पर जिस प्रकार "”कारवाई "” की जा रही है वह अदालती फैसले का सम्मान तो नहीं हैं | हाँ उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री आदित्यनाथ का बुलडोजर न्याय और उनका अलपसंख्यकों के प्रति "”दुराव"” ही प्रदेश मे हो रही इन गैर कानूनी कारवाई को हवा दे रहा हैं |


एक तरफ अल्पसंख्यकों के उपासना स्थलों को गैर कानूनी बताने की शासकीय कोशिस हो रही है ---- वनही बांग्ला देश मे वन्हा के अल्पसंख्यकों हिन्दू समुदाय पर बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय की प्रताड़ना का विरोध लगभग एक जैसा ही है | अर्थात जो जन्हा बहुमत मे है -----वह अपने से कमजोर को दबा रहा हैं | कहने को तो बांग्ला देश में भी लोकतंत्र और कानून का राज्य है , जैसा की भारत मे , परंतु धार्मिक अतिरेक दोनों ही जगहों पर "”अत्याचार "” स बन गया है | उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश और राजस्थान मे अगर मस्जिदों और दरगाहों को हिन्दू उपासना स्थल पर निर्मित किए जाने का दावा किया जाता है , वनही बांग्ला देश मे इस्कॉन मंदिरों की भूमि को मुस्लिमों से छीने जाने का आरोप लगाया जाता हैं |


ऐसा नहीं है की गैर हिन्दू देश में , खासकर मुस्लिम राष्ट्रों मे भी वनहा के शासकों ने मंदिर निर्माण के लिए नया केवल "”इजाजत "”दी वरन अन्य प्रकार से भी मदद दी है | यूनाइटेड अरब अमीरात , कतार आदि ऐसे ही मुस्लिम राष्ट्र है जान्ह हिन्दुओ ने मंदिरों का निर्माण किया हैं | अब अगर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी श्री होसबोले बांग्ला देश मे हिन्दुओ पर हो रहे अत्याचार के लिए देश मे आवाज उठाने की हांक लगा रहे हैं , तब उन्हे पहले अपने योगी जी से कहना चाहिए की वे अल्पसंख्यकों के प्रति सद्भाव बनाए | अन्यथा बांग्ला देश के हिन्दुओ की "”रक्षा का आरएसएस का आवाहन "” निरुदेश "” ही साबित होगा ----यानि मीडिया मे एक और बयान ! बस उससे आधी कुछ भी नहीं | आरएसएस की कट्टरता का एक उद्धरण झांसी रेलवे स्टेशन के प्लेटफ़ॉर्म पर लगभग 500 से अधिक यात्रियों संघ की प्रार्थना कराई {सदा भक्तवतसले मतरभूमि '] अब यह कोई धार्मिक प्रार्थना नहीं है , लेकिन यह एक ऐसे संगठन का गाँ है जो अन्य धर्मावलंबियों के प्रति "” असहिष्णु "” है | अब प्लेटफ़ॉर्म मे कोच मे नमाज अदा करने पर इस संगठन द्वरा आपती जताई गई थी | तब ट्रेनों के कैंसिल होने के कारण प्रतीक्षारत यात्रियों को सीट दिलाने का आश्वासन दे कर पक्तिबद्ध खड़े करवाना और संघ के गान को आयोजित करना , गैर कानूनी नहीं पर उचित तो तनिक भी नहीं है |


आरएसएस और उसके आनुसंगिक संगठनों द्वरा धर्म को लेकर जिस प्रकार कट्टरतआ का भाव सार्वजनिक छेत्रों मे अभिव्यक्त होता है , वह भारत जैसे बहु धरमी और विभिन्न आस्थाओ वाले देस के लिए उचित नहीं है |

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