तथ्य और कानुन से परे फैसलो का हश्र
राहुल गांधी को मानहानि के आरोप से मुक्ति न्यायिक
विजय
बहू प्रतीक्षित राहुल गांधी को ,,चुनाव लड़ने से अयोग्य करने वाले गुजरात के तीन स्तर के अदालती फैसलो को अंततः सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया !! जी हाँ , जस्टिस गवाई ने कहा
भी की “” न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 2 साल की ही
सज़ा क्यू – सुनाई ! वे एक साल 11 माह की भी सज़ा दे सकते थे ! परंतु नहीं
, उनकी सज़ा राहुल गांधी
की लोक सभा की सदस्यता को खतम करने की थी | ज़िला अदालत ने और गुजरात उच्च न्यायालय ने भी आरोपी को सज़ा के परिणाम को समझा था | की वे एक सांसद है
और 2 साल की सज़ा उन्हे ना केवल उनकी लोकसभा
की सदस्यता से वंचित करेगी वरना उन्हे आगामी आठ साल तक चुनाव लड़ने के अयोग्य भी कर
देगी ! उन्होने यह सज़ा एक नागरिक को नहीं वरन
एक सांसद को सुनाई थी !!
सुप्रीम कोर्ट ने हाइ कोर्ट के फैसले को “” “”दिलचस्प”” बताया | शायद न्यायमूर्ति
गुजरात उच्च न्यायलय में सुनवाई के दौरान जज
साहेबन द्वरा राहुल गांधी पर सावरकर को माफ़ीवीर
कह कर अपमान करने की टिप्पणी की थी , संभवतः उसी का संदर्भ रहा
होगा | हालकी अभी सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाइ कोर्ट के फैसले
को ही रद्द किया है –अभी राहुल गांधी को मुकदमा खारिज करने का शायद इंतज़ार करना होगा
|
एक बात
इस प्रकरण से साफ –साफ निकाल कर आई है की गुजरात की सरकार हो या उसका प्र्शसनिक अमला
हो अथवा वनहा की न्यायिक व्यवस्था हो ----सभी तथ्य से हट कर यह देखते है की --- क्या यह व्यक्ति नरेंद्र मोदी
विरोधी है ,अथवा यह हिन्दू राष्ट्र का विरोधी
है , सारी जांच और फैसले
संभवतः इसी आधार पर लिए जाते है | हाल ही में तीस्ता सीतलवाड को जमानत देने का मामला हो ---तब भी सुप्रीम कोर्ट
ने यही कहा था की “” इनके वीरुध केवल दस्तावेजी
सबूत ही है –जिनके लिए इनको जेल रखना उचित नहीं है | अतः जमानत दी
जाती है | यह फैसला गुजरात के आला प्र्शसनिक अफसरो को बहुत भारी
पड़ा था | बताया जाता है की केंद्र ने इस सारे मामले की फाइल दिल्ली बुलवाई है | जिसका अर्थ है की किसी ना किसी अफसर की गरदन नापि जायेगी |
सुप्रीम
कोर्ट की टिप्पणी एक दिशा की ओर साफ साफ इशारा
करती है की – गुजरात में न्याय प्रणाली में प्रदेश अथवा केंद्र के सत्ताधिशो की रुचि और “”उसूलो” का विरोध मंजूर नहीं ! वरना क्या बात है की आज तक गुजरात सरकार और उसके
प्रमुख विभागो के भ्रस्ताचर को उजागर करने वाले राज्य के बाहर से क्यू होते है ? यह वैसा ही है जैसे की चीन का विरोध करने ताइवान के लोग आए !!!
यह स्थिति अत्यंत देश की लोकतान्त्रिक
प्रणाली और संविधान की व्यवस्था ---जिसमे राज्य
को नागरिकों के सभी संवैधानिक मूल अधिकारो की रक्षा का जिम्मेदार बनाया गया है | ना की किसी राजनीतिक पार्टी और उसके
नेताओ की इछा की अधीनता ! लगता है की नरेंद्र मोदी जी का “””गुजरात माडल ‘’ यही है की सभी नागरिक --- हिटलर के
जर्मनी की भांति दिमाग कुंद और हाथ पैर नियंत्रण में और मुंह से बोले ----हेल
हिटलर ! वरना अंजाम तो दुनिया देखा है , यहूदियो
के यातना शिविर और सामूहिक नर संहार | परंतु उसके सहयोगीयो और अफसरो का भी हाल दुनिया ने देखा है –फांसी और
50 से 70 साल का कारावास !! यानहा तक की जर्मनी से भाग कर अर्जेन्टीना में पनाह लेने वाले आईखमन को
इजरायल में फांसी की सज़ा दी गयी |
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