गाय – एक आस्था और ,वैज्ञानिक -पर्यावरण ?
गाय को लेकर आम हिन्दुस्तानी
केमन में श्रद्धा का भाव सनातनीयों के मन में
भक्ति भाव उभरता हैं | परंतु न्यूजीलैंड की सरकार ने पर्यावरण की द्रष्टि से गाय को अत्यंत
हानिकारक घोषित किया हैं | सनातन परंपरा के
आस्थावान कामधेनु को {जो गाय स्वरूपा है } दैविक
मानते हैं | परंपरा से भारत में
गहर के बाहर बैल और गाय बंधे होना अमीर परिवार {किसान } की निशानी मानी जाती रही हैं |
गाय इस देश में धार्मिक मुद्दे के साथ एक राजनीतिक मुद्दा
भी बनी रही हैं | सबसे पहले देश में
पंडित नेहरू के समय में तत्कालीन जनसंघ के
प्रभुदत्त ब्रांहचारी ने गौवध को लेकर आंदोलन
किया था और दिल्ली में सैकड़ो लोगो केसाथ गिरफ्तारी दी थी | बाद में देश के प्रथम चुनावो में वे 1952 में
पंडित नेहरू के वीरुध जनसंघ के उम्मीदवार के
रूप में चुनाव लड़े और बुरी तरह पराजित भी हुए |
विगत सात सालो में गाय के नाम
पर मुस्लिम पशु पालको के साथ जितनी हिंसा की घटनाए हुई , उनमें घटनाए हुई है , उनमें निशाने पर हमेशा ही मुस्लिम रहे हैं | यह साबित करता हैं की आखिर हमलावर कौन रहे होंगे
! पर केंद्र और राज्य की सरकारे “” मुंहबाए
इस सत्य की ओर से आंखे मूँद कर बैठी हैं “”|
परंतु न्यूजी लैंड की प्रधान मंत्री
जेसीन्दा आर्डेन ने पर्यावरण सुरक्षा के लिए देश की गायों पर टैक्स लगाने का एलन किया हैं | उन्होने वैज्ञानिक परीक्षण के परिणाम देश के सामने
रखते हुए गौ माता को देश के पर्यावरण के लिए हानिकारक बताया | इस रिपोर्ट में कहा
गया हैं की गाय के गोबर -पाद और डकार से मिथेन नामक जहरीली गॅस का उत्सर्जन होता हैं ! एवं
गौ मूत्र में नाईटरस
ऑक्साइड नामक जहरीला तत्व होता हैं ! यह दोनों ही तत्व देश के पर्यावरण के लिए घातक
हैं !
अब इस रिपोर्ट के बाद देश के भक्तो और गौ भक्तो की आस्था
पर वैसा ही आघात होगा जैसा गॅलिलिओ द्वरा यह
बताए जाने पर की प्रथवि सूर्य
के इर्द -गिर्द चक्कर लगाती है | परंतु
अंततः सत्या तो गैलीलियो ही हुए | अब गाय के बारे में
इस सत्या के उदघाटन के बाद , कुछ भक्त यह भी कहना शुरू करेंगे की यह तथ्य
विदेशी गाय के बारे में हैं ----हमारे यानहा तो पुराणो में कामधेनु को देवी
माना गया हैं ---और इच्छा पूर्ण करने वाला
माना गया हैं | परंतु आस्था और विज्ञान में विज्ञान
ज्यादा शासवत हैं |
अब दूसरी
घटना के बारे में बात करते हैं , अमरीका की डेमोक्रेटिक पार्टी की काँग्रेस सदस्य और आरएसएस
तथा बीजेपी की प्रिय तुलसी गाबार्ड ने पार्टी से इस्तीफा देते हुए इसे कहा की पार्टी
आस्था वां और आध्यात्मिक लोगो के वीरुध
हैं , एवं लोगो की भलाई नहीं कर रही हैं | वे विगत कुछ समय
से रेपब्लिकन राष्ट्रपति ट्रम्प के समर्थन में बयान देते रही हैं |
आरएसएस और बीजेपी
से उनके संबंध इस तथ्य से उजागर होते हैं की 2015 में जब गाबाबर्ड का हवाई द्वीप समूह में विवाह हुआ था तब संघ के
नेता राम माधव उसमें मौजूद थे | ईन दोनों
घटनाओ का असर भारतीय राजनीति में क्या होगा
–यह तो नहीं कहा जा सकता परंतु सत्तारूद दल के लिए कष्टकारी तो हैं ही |
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