अदालत क्यू नहीं स्पष्ट
निर्देश दे पा रही हैं ?
हाल के सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसले आम लोगो के मध्य शंका को जनम दे रहे हैं | जैसे की पूनम शर्मा के मामले में अदालत ने उन्हे सुप्रीम दाँत तो लगाई – पर दिल्ली पुलिस को यह निर्देश
नहीं दिया की वे उन्हे खोज कर लाये | जबकि उसी वजह से आल्ट न्यूज़ के जुबाइर को वही दिल्ली पुलिस एक फिल्म पर किए हुए ट्वीट
को नफरत फैलाने वाला करार दे कर गिरफतार करती हैं | फिर तो जैसे बटन दबाते ही सीतापुर -लखीमपुर और अन्य स्थानो पर प्राथमिकी दर्ज़ हो जाती हैं ! यानहा तक की भगवधारी मुख्यमंत्री आदित्यनाथ की पुलिस
तो उनके मामले पर एस आई टी तक बना देती हैं
–मानो की उनका मामला कोई बहुत संगीन अपराध का हो ! जबकि जिस ट्वीट के आधार पर दिल्ली पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज़ की हैं -उस व्यक्ति को को वह नहीं खोज पायी हैं -हैं ना
अचरज की बात ! रिपोर्ट करने वाला गुमशुदा और
जिसके खिलाफ रिपोर्ट हैं उसे पुलिस लिए लिए घूमा रही हैं | उनकी जमानत की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट
में अभी होनी हैं |
एका और फैसले में जमीयत ए उलेमा की अर्ज़ी पर सुप्रीम
कोर्ट का कहना हैं की “””हम बुलडोजर “” के इस्तेमाल पर रोक नहीं लगा सकते | अगर स्थानीय निकाय के अनुसार कोई भवन गैर कानूनी बना
हैं तब उसे गिराया जा सकता हैं ! पर अदालत ने यह नहीं बताया की नगर निगम नोटिस देकर पहले उस इमारत को अवैध साबित करे तब उसके गिराने का काम करे | अगर नगर निगम एक तरफा कारवाई करके बिना यह सीध किए हुए की इमारत अवैध हैं “”मात्र
नोटिस देकर ध्वस्त कर दे ---तब दिल्ली के सनिक फार्म के घरो को भी बचाया नहीं जा सकता | इलाहाबाद में जिस मकान को बुलडोज़ किया गया उससे भवन
कर -जल कर बाकायदा कैसे वसूल किया जा रहा था | क्या अवैध मकानो या कालोनियों से ऐसे कर वसूले जा सकते हैं ? अवैध कालोनियों या घर को निगम पानी के कनेकसन तक नहीं
देता हैं | फिर इस मुद्दे पर कैसे विचार नहीं हुआ !
महाराष्ट्र विधान सभा के शिवसेना के दलबदलू
विधायकों के बारे में अयोग्यता की अर्ज़ी पर
अदालत ने तारीख दे दी | जबकि सदन में सरकार के बहुमत में उन
विधायकों के भी मत थे जिनकी “”वैधता “” पर
निर्णय होना था ! सरकार बन गयी – स्पीकर का
चुनाव भी हो गया , अब सुप्रीम कोर्ट स्पीकर महोदय को “”कहती है की वे उन विधायकों की अयोग्यता पर फैसला पर जल्दबाज़ी नहीं करे ! अब यह सलाह मानी
जाये या निर्देश ? अगर स्पीकर उनकी सलाह नहीं
माने तब अदालत क्या करेगी ? क्या उन विधायकों अयोग्य घोशीत करेगी ? अथवा इस मामले को विधान सभा और स्पीकर का मामला मानकर दखल देने से माना कर देगी | होना तो यह चाहिए था की सरकार के विश्वास मत के पूर्व
इस पर अपना फैसला देकर रुख साफ कर देना चाहिए था | पर ऐसा न हो सका |
पूनम शर्मा आज भी आज़ाद
हैं और सुप्रीम कोर्ट की डांट फटकार का कोई असर सरकार और पुलिस पर नहीं दिखाई पड रहा
हैं | उन पर भी जुबाइर
की तरह अनेक राज्यो में मुकदमे दर्ज़ हैं | पर वे अपने घर या परिचितोके यानहा नहीं
हैं ! जबकि ज़ी न्यूज़ के ऐंकार की गिरफ़्तारई
के लिए छतीस गढ़ की पुलिस को जिस प्रकार नोएडा पुलिस द्वारा गिरफतार करने में बाधा डाली गयी –वह उत्तर प्रदेश
पुलिस की ईमानदारी पर सवाल हैं ! यानि जो लोग सत्ता से कंधा मिलाकर चल रहे हैं ---उन्हे पुलिस और कानून से सुरक्षा
हैं , भले ही वह कानुनन सही ना हो | यह सभी घटनाए यह तो इंगित करती हैं
की “”व्यवस्था में कुछ तो ऐसा हो रहा जो –कानून के राज की अवहेलना हैं “” अब इसके लिए
कौन जिम्मेदार हैं यह तो सरकार और अदालत को ही तय करना होगा | अगर ऐसे ही निर्दोष लोगो को सिर्फ इसलिए उलझाया गया की उनका धरम अथवा काम ऐसा हैं जो सत्ता
को नापसंद हैं , तब जन आक्रोश उभर सकता हैं | इसका उदाहरण
श्री लंका की वर्तमान स्थिति भी हो सकती है , क्यूंकी वह भी तो आम जन की उपेक्षा से ही तो पनपा हैं |
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