भय या आशंका अथवा सुरक्षा के करमकांड में कोई चूक हुई ?
5 जनवरी दिन बुधवार को पाकिस्तान की सीमा से सटे फिरोजपुर में आयोजित एक सभा को के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं पहुँच पाये अथवा सुरक्षा कारणो से उनका कार्यक्रम बाधित हुआ | इसको लेकर विगत 24 घंटो में हिन्दी हिंटरलैंड में महाम्र्तौंजय मंत्र का पाठ होने लगा , तथा पंजाब सरकार और काँग्रेस को बीजेपी समर्थक लोगो ने सड़क पर प्रदर्शन करना चालू कर दिया | बुधवार का दिन मोदी जी के लिए मनोकामना सिद्ध करने वाला नहीं हुआ | किसानो के धरणे के कारण वे अपने गंतव्य को नहीं पहुँच पाये | एवं भटिंडा हवाई अड्डे पर एक न्यूज़ एजेंसी के अनुसार उन्होने मौजूद पंजाब सरकार के अधिकारियों से कहा की " सी एम को थैंक्स कहना की की मैं भटिंडा एयरपोर्ट तक ज़िंदाटी लौट पाया "”| अब इस घटना को लेकर जो जनहा था वनही से अपनी -अपनी पसंद से बयान करने लगा |
मोदी भक्त जनहा इसे प्रधान मंत्री की हत्या का षड्यंत्र बताने लगे | वनही दूसरे लोग इस मामले में पंजाब पुलिस को जिम्मेदार बता रहे थे | सोशल मीडिया पर युद्ध के बादल मंडराने लगे , क्यूंकी इस घटना में कई तथ्य तार्किक नहीं थे | जैसे प्रधान मंत्री के जारी दौरा कार्यक्रम में हुसैनीवाला जाने का उल्लेख नहीं था | दूसरे मौसम की खराबी की वजह से हेलिकापटर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था |एस पी जी के मैनुअल के अनुसार प्रधान मंत्री को सुरक्षा कारणो से सड़क मार्ग को से ले जाने के पूर्व उस "”मार्ग "” का निरापद { सैनी टाई जेशन } हैं ,ऐसा करना जरूरी हैं | चूंकि 140 किलोमीटर के रास्ते को अचानक "”निरापद "” करना संभव नहीं होता हैं | परंतु प्रधान मंत्री की मर्ज़ी के कारण , आखिरी वक़्त पर सड़क से जाने का फैसला हुआ | अब यानहा दो सवाल हैं :-
1- हूसनी वाला जाने का कार्यक्रम कब एस पी जी ने तय किया ? पंजाब पुलिस को कितना समय दिया गया था ? -उस मार्ग को सनीटाइजेशन करने में के लिए पंजाब पुलिस को कब पहली बार कहा गया ? क्यूंकी 140 किलोमीटर की पथयात्रा के लिए कितने
व्यक्तिओ की जरूरत थी और क्या उतना पुलिस बल राज्य के पास उस समय सुलभ था ?
दूसरा सवाल यह है की की संसद के कानून के अनुसार 800 करोड़ के सालाना बजट वाली स्पेशल प्रोटेक्सन ग्रुप का एक मात्र काम "””प्रधान मंत्री "”की सुरक्षा करना हैं | इस दायित्व को निभाने के लिए उसको असीमित अधिकार भी हैं | राज्यो की पुलिस भी उनके "”मातहत "” होती हैं , जब प्रधान मंत्री उस राज्य में होते हैं |
इस घटना को लेकर बीजेपी और उसकी सरकार के केंद्रीय मंत्री भी पंजाब सरकार को ही फ्लाई ओवर में प्रधान मंत्री के काफिले को रास्ता नहीं मिलने का दोषी बता रहे हैं | पहला मुद्दा तो यह हैं की किसने राजपथ से 100 किलोमीटर की यात्रा मोटर से करने को "””प्लान "” किया ? क्या मोदी जी ने ही यह निर्णय लिया था ? अथवा एस पी जी ने ? क्यूंकी सड़क से इतनी बड़ी दूरी शायद नरेंद्र मोदी जी इसके पूर्व कभी की हो ,इसका कोई उदाहरण नहीं हैं |
3- तीसरी बात यह हैं की इस घटना में ना तो किसी ने मोदी जी ने "”काले झंडे "” दिखाये अथवा नाही कोई पथरबाजी हुई और किसी भी प्रकार की कोई वारदात भी नहीं हुई ! केवल उनके काफिले को विरोध प्रदर्शन करते हुए आन्दोलंकारियों सड़क जाम भर किया | किसान आंदोलन कारी अपनी मांगो के बारे में मोदी सरकार के वादे में "” विलंब "” होने से आक्रोशित थे | उन्हे सरकार के विरोध में प्रदर्शन करने का संवैधानिक अधिकार हैं | अब मोदी जी के भक्त और समर्थक , आयोजित सभा में नहीं पहुँच पाने के दुख से लबरेज हैं | तब क्या यश कहना सही नहीं होगा की सभा स्थल पर 70 हज़ार कुरसियों की व्यसथा की गयी थी , परंतु सोशल मीडिया पर वाइरल तस्वीरों से यह साफ होता हैं की वनहा कुछ
“”सौ लोग "”ही आए थे !! तो क्या इस असफलता की खीज ही थी जिसे मोदी जी के तथाकथित प्रचारित बयान "” अपने सी एम को थैंक्स कहना की मैं भटिंडा एयर पोर्ट तक ज़िंदा लौट पाया "”” पर भी अभी तक कोई स्पष्टीकरण नहीं आया की क्या मोदी जी ने ऐसा कोई बयान दिया भी था ? और किस् से कहा था ? ना कोई आधिकारिक बयान एस पी जी से अथवा गृह मंत्रालय से आया है ? सारी खबरे बिना किसी का नाम लिए छापी जा रही है , और फैलाई जा रही हैं |
काँग्रेस की ओर से यही कहा गया हैं की मोदी जी की सभा में 70 हज़ार लोगो के बजाय कुछ सैकड़ा लोगो के आने से
अपनी "”साख "” को बचाने के लिए सभा में नहीं गए !~!
प्रायोजित सभा में लोगो की कमी --नेता की हैसियत को रेखांकित करता हैं | और आयोजको की असफलता को भी ?
4---- केंद्र सरकार ने और पंजाब सरकार ने सुरक्षा में चूक की जांच के लिए समितियां गठित की हैं | परिणाम सबको ही मालूम हैं की केंद्र की जांच समिति पंजाब सरकार द्वरा "”वीआईपी की सुरक्षा में पूरी तरह के इंतजाम नहीं किए थे ! और पंजाब सरकार की जांच समिति ---एसपीजी की गफलत और ऐन मौके पर सड़क से
हुसैनीवाल जाने की खबर मिलने के बाद , जरूरत के अनुसार पुलिस बल सुलभ नहीं कराया जा सकता था | प्रधान मंत्री जी के जीवन को किसी भी प्रकार का ना तो कोई खतरा हुआ और ना ही कोई अशोभनीय घटना ही हुई !
इस वाकये से यह तो पता चलता हैं की प्रधान मंत्री जी अखबारो को हेड लाइन और चैनलो को ब्रेकिंग न्यूज़ सुलभ कराने में सिद्धहस्त हैं | ऐसा नहीं की वे ऐसी बाते बेखयाली में करते हैं , नहीं वे सब कुछ एक एजेंडे के अनुसार करते हैं |
4---- प्रधान मंत्री जी को इस वाकये के दौरान ना तो कोई विरोध प्रदर्शन झेलना पड़ा और नाही कोई उन्हे "”खरोंच आई |
इसके मुक़ाबले अगर हम 8 फरवरी 1967 में ओड़ीसा की राजधानी भूव्नेस्वर में एक चुनावी सभा को जब इन्दिरा गांधी ,प्रधान मंत्री के रूप में संभोधित कर रही थी तब हुए पथराव में एक पथर से उनकी नाक टूट गयी थी , परंतु उन्होने भासन चालू रखा ,बाद में उसी हालत में वे कलकत्ता गयी और वनहा भी उन्होने चुनावी सभा में भासन दिया | उन्होने ना तो राज्य सरकार को और ना ही किसी संगठन को जिम्मेदार बना कर वाह वाही नहीं लुटी |
दूसरी घटना दिल्ली किही हैं जब प्रधान मंत्री राजीव गांधी अपनी माता इन्दिरा गांधी की समाधि स्थल पर पुष्प अर्पित करने गए तब वनहा एक आदमी ने गोली चलायी | उस वक़्त भी राजीव गांधी ना तो भयभीत हुए और नाही आपा खोया | वरन मौके पर मौजूद पत्रकारो ने जब पूछा की आप कैसे हैं ---तब मुस्कराते हुए उन्होने कहा कोई बात नहीं मई ठीक हूँ | उस समय प्रधान मंत्री की सुरक्षा की कमान उनके मामा के लड़के विक्रम कौल थे | जिनहे इस घटना के बाद उन्होने हटा दिया था |
तीसरा वाक्या इंदिराजी का ही हैं ,ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद उहे कहा गया की सिखो में उनके फैसले को लेकर काफी गुस्सा हैं | इसलिए वे अपने सिख अंगरक्षकों को हटा कर दूसरे लोग ले ले | परंतु उनहों कहा की ऐसा करना सिख समाज पर शक करना होगा |मैं एक देश की प्रधान मंत्री हूँ | अगर उनके मन में मेरे लिए नफरत हैं तो भी मैं उनपर अविश्वास नहीं व्यक्त करूंगी |
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बाक्स
मोदी जी जिस पंजाब के मुख्य मंत्री को "”थैंक्स "” कह कर अपना "”अशन्तोष व्यक्त कर रहे थे , उसी पंजाब के दो मुख्य मंत्री की हत्या की गयी थी | हमलावरो ने प्रताप सिंह कैरो की हत्या कर के नेपाल भाग गए थे | जनहा से पंजाब पुलिस ही उन लोगो को पकड़ के लायी थी | मारे जाने वाले दूसरे मुख्य मंत्री थे बेअंत सिंह जिनकी सचिवालय से निकलते समय गोली मर कर हत्या कर दी गयी थी | तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा की भी हत्या बिहार में समस्ती पुर में छोटी लाइन को बड़ी लाइन में बदले जाने के उदघाटन के समय हुए बम विस्फोट में उनकी हत्या कर दी गयी थी |
विदेशो में अमेरिकी राष्ट्रपति केनेडी की हत्या हुई , जब की उनकी सुरक्षा भी काफी चाक चौबन्द थी | फ्रांस के राष्ट्रपति दगाल की भी हत्या का प्रयास हुआ था जो उनके झुक जाने से निष्फल हो गया |
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