हे रामदेव - राम का नाम अपने अहंकार से बदनाम मत करो ? है --
भगवा धारी योग शिक्षक कब स्वामी बने -कौन इनके गुरु थे --किस संप्रदाय में ये दीक्षित हुए वे यह
नहीं बता सके की --उन्हे किस गुरु ने दीक्षा और दंड प्रदान किया ? आदि गुरु शंकराच्रया ने सन्यासियों के लिए एक कोड बनाया था , हे रामदेव - राम का नाम अपने अहंकार से बदनाम मत करो ?
भगवा वस्त्र धारी योग आसनो की शिक्षा देने वाले रामदेव कब स्वामी बन गए -इसका कोई तथ्य नहीं हैं | ए अपने को सन्यासी कहते काश्मीर से कन्याकुमारी तक स्वीकार किया जाता है | उनके प्रथम चार शिष्यो और उनके धामो के अंतर्गत ही मौजूदा शंकरा चार्य की परंपरा चली आ रही हैं |
अब यानहा दो सवाल रामदेव जी से है – उनके गुरु कौन थे ? वे किस शाखा से संबन्धित थे ? चूंकि इन सवालो के जवाब आज तक सार्वजनिक रूप से नहीं दिये हैं -----तो शायद आज भी इन सवालो ए जवाब में कोई असंयत भाषा का इस्तेमाल करे | खैर अब आगे |
वे आयूएर्वेद के पक्ष में बहुत ज़ोर शोर से बोल रहे हैं | साफ है उनका व्यावसायिक लाभ है | अभी तक जितनी बार भी कोरोना के लिए उन्होने कोई गोली "””ईज़ाद "की उसे भारत सरकार की दवा की टेस्टिंग करने वाली संस्था ने उसे अमानी कर दिया | बावजूद इसके की दो दो केंद्रीय मंत्री उन आयोजनो में शामिल रहे | रामदेव जी को असफलता ही मिली |
सवाल यह हैं की क्या पतंजलि की द्वाए पूर्ण आयूएर्वेद तरीके से बनती है ? इस श्रंखला में सबसे पहले पतंजलि के शहद को "””अमानक स्तर का पाया गया "”” \| तब दुबारा जांच करनी पड़ी और शहद एकत्रीकरण की प्रक्रिया की जांच हुई | जिसकी रिपोर्ट पतंजलि द्वरा उन सभी चैनलो में दिखयी गयी ---जनहा रामदेव जी विज्ञपन का भुगतान करते है
अब योग शिक्षक से रामदेव जी उद्योगपति हो गए हैं | इंदौर की एक एक औदोगिक इकाई को नीलाम में खरीदने की खबरे काफी छाप चुकी है |कहा तो यानहा तक जा रहा है ---रामदेव जी अनेक परदेशो में आयूएर्वेद दवाओ के उत्पादन के लिए जमीन आवंटित करा रहे है \उनका एक फंडा '’’राष्ट्रवाद'’’ का भी है |जो उन्हे सत्ताधारियों से जोड़ता है |इसीलिए अहंकार में डूबे राम देव भारत की कानून व्यवस्था को चुनौती देते हुए कहते है "””किसके बाप में दम है की मुझे गिरफ्तार करे ? मोदी सरकार इस खुली चुनौती क्यू बर्दाश्त कर रही है |
और अब तो वे खुले आम टीवी चर्चा में एलोपथी की उपयोगिता और वैक्सीन को व्यर्थ बता रहे हैं |
जिस
व्यक्ति ने एक भी कोरोना
संक्रमित को बेहतर कर के घर
नहीं भेजा ----वह
झोला छाप ही तो हुआ
|अन्यथा
रामदेव जी आयूएर्वेद की डिग्री
सार्वजनिक करे ?
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