आखिर मामले को रफा -- -दफा करने हो ही गयी सीबीआई की जांच !
हाथरस की पीड़िता के परिवार ने कहा हैं की ----हमने कभी सीबीआई जांच की मांग नहीं की थी ! हमारी मांग ,सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में जांच की थी ! घटना के तीसरे दिन आदित्य नाथ ने एस आई टी बनाई जिसका आद्यकश भगवान स्वरूप को बनाया गया | उनके साथ पुलिस अधिकारी भी हैं | हाथरस में पीड़िता के घरवालो ने जिलाधिकारी लक्षकार पर दबाव डालने का आरोप लगाया था | शुरू से ही उनपर चारो दोषियो को बचाने का तथा पीड़िता के परिवार पर खामोश रहने का दबाव डालते हुए वीडियो वाइरल भी हुआ | जिसे हमेशा की तरह उन्होने झूठा बताया |
इस प्रकरण में राजनीतिक दबाव और --जातिगत वोटो का समीकरण साधने तथा वर्तमान सरकार पर लड़कियो की असुरक्षा का आरोप नहीं लगे इसलिए पीड़िता को आनन -फानन में मुआवजा और मकान तथा परिवार से एक नौकरी की घोसना की गयी | हालांकि अभी तक योगी आदित्यनाथ की सरकार की ओर से कोई भी पीड़िता के परिवार को आर्थिक सहायता का "”चेक "” नहीं दिया गया हैं !!!
कारण खुस्पुसाया जा रहा हैं की अगर अभी सरकार ने पैसा दे दिया , तब उसका उपयोग चारो सवर्ण आरोपियों के खिलाफ मुकदमा लड़ने में खर्च किया जाएगा ! जो अपने पैर काटने के लिए दुश्मन को कुल्हाड़ी देना जैसा होगा !
साथ ही एस आई टी और सीबीआई की जानह प्रारम्भिक चरण में एक साथ चलेगी !!!
ऐसा बिरला ही होता हैं की कोई भी जांच में एक से अधिक एजेंसिया "”जांच "” करे | परंतु सुशांत मामले में मौत की गुत्थी सीबीआई सुलझा रही थी , मेडिकल एंगल एम्स की डाकटरों की टीम जांच कर रही थी | और सुशांत को ड्रग कौन लाकर देता था , इसकी जांच के लिए नरकोटिक्स विभाग जांच कर रहा था | जब महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फदनविस को बिहार विधान सभा चुनावो का इंचार्ज बनाया , उसके दूसरे ही दिन एम्स के डाक्टरों ने मौत को आत्महत्या बता दिया तब सीबीआई के ताजिये ठंडे पद गए | पर कुत्ता घसीटी के लिए उनका बयान आया हैं की ----वे अब उस व्यक्ति को खोज रहे हैं जिसने सुशांत को ऐसा कदम उठाने के लिए "””उकसाया "” !
नरकोटिक्स अधिकारी फिल्मी जगत के नामचीन लोगो को बुला कर "अपनी धाक और रौब दिखा रहे हैं " इस कवायद का मतलब बस इतना ही हैं की --- मौजूदा सरकार और { केंद्र } उसके नेताओ के फैसलो का विरोध और बयानबाजी नहीं करे | क्योंकि समाज में इनकी फैन फालोइंग लाखो में हैं | दीपिका पादुकोण पर तो तब से नज़र हैं जब वे जे एन यू में हड़ताली छात्रों के समर्थन में गयी थी | तभी बीजेपी की ट्रोल आर्मी ने सोश्ल मीडिया में उनकी फिल्मों का बायकाट करने का आवाहन किया था | यह कदम ही साबित करता हैं की मौजूदा निज़ाम के नेता अपने विरोध में उठने वाली आवाज़ को "”कुचल देना "” चाहते हैं |
सुशांत मामले भी आखिरकार वही परिणाम आया ---जो महाराष्ट्र पुलिस पहले ही दे चुकी थी | परंतु राजनीतिक कारणो से पटना में मौत की प्राथमिकी की रिपोर्ट दर्ज़ करा कर बिहार सरकार के अनुरोध पर मामले की जांच सीबीआई को दी गयी | परिणाम सामने हैं | लेकिन इस मामले में '’अपराध प्रक्रिया संहिता "” के उपबंधो का पूरी तरह से उल्लंघन हुआ | एवं उसके लिए सुप्रीम कोर्ट के एकल पीठ को भी शामिल किया गया | जिससे न्याय तंत्र की निस्पक्छ्ता धूमिल हुई |
उधर रहल और प्रियंका के इस मामले में आने से जनता का जोश योगी सरकार के खिलाफ सड़क पर दिखाई पड़ा | इस मामले में आरोपी मुख्यमंत्री की जाति ठाकुर और ब्रामहन हैं | बीजेपी को मालूम हैं की दलित और -पिछड़ा वर्ग तथा मुसलमान उनके वीरुध हैं | मंदिर निर्माण में भी सवर्ण जातियो का ही समर्थन दिखयी दिया | अब इस मामले को लेकर अगर दलित और पिछड़ा वर्ग छिटक जाता हैं , तब आगे आने वाले चुनावो में मुश्किल होगी \ क्यूंकी उन्नाव विधायक ने भी दलित कन्या के साथ बलात्कार किया और उसके परिवार के लोगो की दुर्घटना कराकर स्वर्ग पहुंचा दिया | गंगा के किनारे से शुरू हुए इन अपराधो की दास्तां शाहजनहन पुर के भगवा धारी चिन्मयनन्द द्वरा अपनी ही छात्रा से अश्लील हरकत करने के लिए गिरफ्तार हुए | उसमें भी योगी सरकार पर आरोपी को बचाने के लिए सरकार पर आरोप लगे थे |
अंत में निष्कर्ष यही हैं की उत्तर प्रदेश सरकार ने आरोपियों को बचाने के लिए सीबीआई की जांच की हैं | अगर इतिहास देखा जाये तब व्यायपम हो अथवा सुशांत मामला हो सीबीआई कभी दोषियो को दंड नहीं दिला सकी | जस्टिस काटजू के अनुसार सीबीआई ऐसी जांच एजेंसी है जिसका अदालत में सज़ा दिलाने का सिर्फ 11 प्रतिशत हैं | अर्थात 89 प्रतिशत आरोपी छोत जाते हैं | अथवा उन्हे छोड़ दिया जाता हैं , किसके कहने पर ???
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