दिल
बहलाने को गालिब ख्याल अच्छा
हैं की
अब
देश में शाहीन बाग के नाम पर
नफरत नहीं कि जाएगी ,सावधान
?
यूं
तो दिल्ली कि 70
सदस्यीय
विधन सभा चुनाव चार करोड़ कि
आबादी मैं सवा करोड़ मतदाताओ
ने किया ---
परंतु
इस चुनाव में केंद्र सरकार
और बीजेपी तथा राष्ट्रीय
स्वयं सेवक संघ ने जिस इंतेओ
जामत से और शान-ओ
-शौकत
से लड़ा शायद उतना बंदोबस्त
तो उत्तर प्रदेश और बिहार
विधान सभा चुनाव में भीं नहीं
देखा गया |
जिस
चुनाव में प्रधान मंत्री
नरेंद्र मोदी {
कि
दो रैली}और
शक्तिशाली गृह मंत्री अमित
शाह कि{
6 रैली
}
हो
दो दर्जन केन्द्रीय मंत्री
और आधा दर्जन मुख्य मंत्री
तथा इतने ही भूतपूर्व मुख्य
मंत्री कि सभा का बंदोबस्त
करने के लिए 200
से
अधिक पार्टी सांसद लगे हो
---तो
सहज ही में खर्चे का अंदाज़
लगाया जा सकता हैं !!
कि
यह करोड़ नहीं वरन सैकड़ो करोड़
में पहुंचा होगा !!
वह
भी तब जब मुक़ाबले में में बक़ौल
भारतीय जनता पारी के एक बड़े
नेता के कि सामने एक "”पिद्दी
भर कि पार्टी हैं !
“” परंतु
परिणामो ने साबित किया कि
संघ -
और
बीजेपी के संयुक्त ताक़त लगाने
के बाद चींटी ने इस घमंडी हाथी
को धूल चटा दी !!
अगर
इस चुनाव के दौरान निर्वाचन
आयोग कि निस्पक़्श्च्ता को
देखे तो यही कहा जा सकता हैं
---
जिस
प्रकार भारतीय जनता पार्टी
को मिली पैदली मात के बाद संतोष
हैं कि 2015
के
मुक़ाबले उनको प्राप्त मतो
में 4%
कि
बदोतरी हुई हैं ,
उसी
प्रकार केंद्रीय वित्त राज्य
मंत्री अनुराग ठाकुर के "”गोली
मारो गद्दारो को "”
पर
जवाब तलब हुआ |
राष्ट्रपति
के भासन के धन्यवाद प्रस्ताव
कि शुरुआत बीजेपी के सांसद
परवेश चंद्र को केजरीवाल को
'’आतंकवादी
'’
कहने
पर पहले 24
घंटे
कि बंदीस चुनाव प्रचार पर लगाई
,बाद
में उन्हे प्रतिबंधित कर दिया
|
परंतु
दिल्ली विधान सभा चुनाव के
बीजेपी प्राभरी जावडेकर ने
जब केजरीवाल को आतंका वादी
कहा तब ----शायद
"”चुनाव
आयोग के हाथ कारवाई करने से
काँप गए !!
पूर्व
मुख्य चुनाव आयुक्त कुरेशी
ने कहा कि अगर सार्वजनिक रूप
से ऐसे आरोप दंड संहिता में
अपराध कि श्रेणी में आते हैं
----यदि
निर्वाचन आयोग इन मामलो में
पुलिस में रिपोर्ट लिखवा देता
तब आगे से कोई ऐसी हरकत नहीं
करता !!
शायद
ऐसा पहली बार हुआ हैं की मोदी
जी की सरकार के मंत्री और सांसद
को निर्वाचन आयोग ने सज़ा दी
!!!
अगर
देश की राजधानी के विधान सभा
चुनावो के लिए कितना खर्चा
---सुरक्षा
पर कितना लोगो को {सरकारी
}
भुगतान
करने पर कितना उम्मीदवारों
ने किया ,
इसका
वास्तविक
अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता
क्योंकि हमारे देश में जो
विश्व गुरु का दम भरता है
-----वनहा
राजनीति और प्रशसन में सच
बोलने की मनाही हैं -बताने
की भी मनाही हैं !!!
क्या
नफरत वाली भाषा बंद होगी ?
आम
लोगो को ऐसा लाग्ने लगा होगा
की की नरेंद्र मोदी के शाहीन
बाग के "””संयोग
और प्रयोग "””
तथा
अमित शाह के "”ऐसा
मशीन का ऐसा बटन दबाना की
करंट शाहीन बाघ में लगे !
“” भारतीय
जनता पार्टी में इस गुजराती
जोड़ी की पूरी कोशिस के बाद भी
दिल्ली में पार्टी पिछली बार
की ही भांति इकाई में ही सिमटी
रही ----
दहाई
के लिए तरस गयी !
एक
बड़े अखबार की खबर के अनुसार
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने
भी धरम के आधार पर ध्रुवीकरण
की ऐसी "”नंगी
कोशिस "”
पर
अप्रसन्नता व्यक्त की हैं |
तथा
पार्टी के अंदर जिस प्रकार
दिल्ली के स्थानीय नेताओ की
चुनाव के समय टिकट बांटने
---मण्डल
तथा बूथ का बंदोबस्त करने
में भी जावडेकर अँड कंपनी ने
फेर बादल किया |
जिन
-
जिन
लोगो ने भी नेत्रत्व को आपति
दर्ज़ कराई ----सबसे
सुखद परिणामो के इंतज़ार तक
रुकने को कहा गया !!!
जब
वोटो की गिनती के पांचवे राउंड
से बीजेपी उम्मीदवार पिछदने
लगाए तब लोगो में "”साहीन
बाग "”
को
मुद्दा बनाए जाने की आलोचना
मुखर हुई |
लेकिन
जानकारो का कहना हैं की –
शीर्ष नेत्रत्व के पास ना तो
अब मंदिर हैं ना ही काश्मीर
का मुद्दा मुद्दा बचा हैं |
इसलिए
हिन्दू बनाम मुसलमान का संपुट
चुनावी रामायण में देना मजबूरी
ही हैं |
संघ
भी इसी मुद्दे "”
हिन्दू
"”
पर
काम कर रहा हैं |
दो
माह से राष्ट्रीय स्वयंसेवक
संघ के सर संघ चालक भागवत जी
राजस्थान और मध्य प्रदेश के
आदिवासी छेत्रों में अपने 21
आनुसंगिक
संगठनो की मदद से जन जातियो
को यह समझाने का प्रयास कर
रहे हैं की वे आगामी जनगणना
में "””धरम
के कालम "””
में
हिन्दू लिखवाये ,
जिससे
यह दुनिया के सामने बताया जा
सके की इस धरती के "”
मूल
निवासी "”
जन
जातीय भी हिन्दू ही हैं !!!
जबकि
हक़ीक़त इसके विपरीत हैं |
कमलनाथ
सरकार ने भी आरएसएस की मुहिम
की हवा निकालने के लिए आदिवासी
गावों में "””खाट
सभा '’
करके
उन्हे अपनी पुरातन परंपरा
से रूबरू कराणे की योजना का
घोसना की हैं |
आगामी
विधान सभा चुनाव बिहार और
बंगाल में होने वाले हैं |
बिहार
में तो बीजेपी नितीश सरकार
में शामिल हैं |
इसलिए
वनहा उन्हे मुसलमानो के खिलाफ
जहर बुझे तीर चलाने में साव
धनी बरतनी पड़ेगी |
क्योंकि
बिहार में जेदेयु का मुसलमानो
में खासा वोट बैंक हैं |
चूंकि
नितीश पिछड़ा वर्ग से आते हैं
--वनही
बुनकर समुदाय भी पिछड़े वर्ग
में हैं |
गौर
तलब हैं की बुनकरो में अस्सी
प्रतिशत लोग मुस्लिम ही हैं
|
अब
बीजेपी किशन गंज सीट में जहर
उगल सकती हैं |
बंगाल
विधान सभा चुनाव ----
यानहा
पर बीजेपी के साथ संघ भी हलाहल
उगलेगा |
क्योंकि
देश में बंगलादेशी घुसपैठियो
को लेकर जिस नागरिकता कानून
का विरोध हो रहा हैं --उसके
मूल में दो राज्य हैं पहला
आसाम और दूसरा हैं बंगाल |
संघ
और बीजेपी की यह मजबूरी हैं
की उन्होने कभी
अपने काम और फैसलो पर चुनाव
नहीं लड़ा हैं --वरन
अपने किए हुए पर भावनाए भड़का
कर चुनाव लड़ा हैं |
गुजरात
को छोडकर बीजेपी सरकार दुबारा
नहीं चुनी जा सकी |
अब
गुजरात की कुछ विशेस स्थिति
बन गयी है ---
वनहा
गोधरा कांड के बाद मुसलमान
और उदार हिन्दू ---पारसी
समुदायो ने राजनीति को ही
अछुत मान लिया हैं |
इस
कारण संघ और शाह तथा नरेंद्र
मोदी जी हैं |
लेकिन
दिल्ली के चुनाव परिणामो से
जिन लोगो को आशा हुई थी की देश
से नफरत का माहौल खतम होगा
----वह
नहीं होगा |
क्योंकि
इस गुजराती जुगल जोड़ी को
राजनीति में नफरत और शासन करने
में -
अपने
लोगो बचाना और मुसलमानो पर
ही नहीं विरोध करने वालो को
भी मज़ाक का पात्र बनाना |
गंभीर
विषय की समझ ना होने से अफसरो
पर निर्भर्ता हैं ,जो
"”हिन्दुत्व
"”
के
लिए सुरक्षा सलहकार डोवाल
साहब की टोली से हैं |
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