मोदी
जी कहते हैं -सेना
और उसकी कारवाई पर सवाल नहीं
-वरना
राष्ट्रद्रोह होगा !!
परंतु
सेना भी अपनी कारवाई के दौरान
हुई घटनाओ की जांच करती हैं
|
तब
सवाल भी पुछे जाते हैं और -
फैसले
भी लिए जाते हैं |
प्रधान
मंत्री नरेंद्र मोदी ऐसी
अष्नतुष्ट आत्मा लगते हैं
---जिसे
अपने अलावा सारी कायनात से
शिकायत हैं !
चाहे
वह आज़ादी की लड़ाई हो अथवा उसमाइन
भाग लेने वाले नेताओ का योग
दान हो |
या
फिर किसको सम्मान कम क्यो दिया
और इनको जायदा क्यों दिया ?
इतिहास
मैं हुई घटनाओ को अपने सोच के
अनुसार नहीं होने को वे
---इतिहासकारो
को दोष देते हैं |
जवाहरलाल
नेहरू -इन्दिरा
गांधी और राजीव गांधी के फैसले
भी उन्हे जन विरोधी लगते हैं
!
इसी
कड़ी मैं काश्मीर मैं हुई सैन्य
कारवाई पर सवाल करने वालो को
या जांच की मांग करने वालो को
भी वे "”देशभक्त
"”
नहीं
मानते !!
काश्मीर
मैं सैनिक कारवाई के दौरान
फौज की टुकड़ी पर पत्थर फेकने
वाले युवको को मोदी भक्तो ने
देशद्रोही बताया !
जबकि
अख़लाक्क की भीड़ द्वारा पीट
-पीट
कर हत्या किए जाए की घटना को
--”””जन
आक्रोश बताया जाता हैं !!””
2018 मैं
ऐसे ही काश्मीरी युवको द्वरा
सेना की एक टुकड़ी पर पथराव
करने वालो को रोकने के लिए
मेजर लितुल गोगोई ने अपनी जीप
के सामने एक कश्मीरी युवक को
बांध दिया |
जिससे
की आंदोलनकारी पत्थर फेकने
से बाज़ आए ----क्योंकि
सारे पत्थर उनके ही बिरादर
को लगेंगे |
उस
समय मोदी समर्थको और "”भक्तो
"”ने
इस कारवाई की तारीफ करते हुए
गोगोई को सम्मानित किए जाने
की मांग की |
सेना
ने इस घटना की जांच के आदेश
दिये |
क्योंकि
यह कारवाई सेना के मानदंडो
के विपरीत हैं !!
ऐसी
कारवाई नाजी सेनाओ द्वरा
आन्दोल्ङ्कारियों को विरत
किए जाने के लिए की जाती थी |
तब
देश के बहुत से लोगो {{
मात्र
कुछ हाजरों को ही }}
को
यह अत्यंत वीरता वाला कार्या
लगा था ,की
देखो की पाकिस्तान समर्थक
और आतंकवाद के साथी काश्मीर
के मुसलमानो को सबक सिखाने
का बड़िया तरीका हैं !
पर
वे अति उत्साही लाल और भक्त
गण यह भूल गए की सेना भी अपनी
सभी कारवाई की जांच भी करती
हैं और संबन्धित अफसर से सवाल
भी किए जाते हैं !
उसे
उन सवालो का जवाब भी देना होता
हैं |
ऐसी
ही कारवाई का नाम है "””
कौर्ट
मार्शल "”
| भक्तो
के प्यारे इस मेजर लितुल गोगोई
को भी ऐसी जांच का सामना करना
पड़ा |
जनहा
तक जीप से युवक को बांधने का
मामला था ---उस
पर सेना ने इन्हे "””चेतावनी
"”
देकर
छोड़ दिया |
परंतु
लोगो द्वरा अपनी कारवाई की
सराहना किए जाने और मीडिया
द्वरा इस कारवाई को अद्भुत
निरूपित किए जाने की खबरों
ने गोगोई का हौसला बड़ा दिया
|
वे
भूल गए की फौज मैं कडा अनुशासन
होता हैं |
हर
कारवाई को नियमो की कसौटी से
गुजरना होता हैं |
इस
कारवाई के बाद राष्ट्रीय राइफल
के मेजर लितुल गोगोई ने 23
मार्च
2018
को
श्रीनगर के दल झील इलाके स्थित
होटल ग्रैंड ममता मैं ऑन लाइन
एक कमरा बूक किया |
जब
वे अपने ड्राईवर समीर और एक
कश्मीरी युवती के साथ सादे
कपड़ो मैं कमरे मैं जाने लगे
|
तब
होटल कर्मियों ने इन्हे सैनिक
अधिकारी के नाम से बूक कमरे
मैं जाने से मना कर दिया |
इस
पर वनहा विवाद हुआ |
बात
बदने पर उच्च सैनिक अधिकारी
मौके पर पहुंचे और उन्होने
गोगोई को पलटनउसके बाद मैं
जाने का हुकुम दिया !
उसके
बाद इस घटना की जांच के लिए
"”कोर्ट
मार्शल "”
की
कारवाई शुरू हुई |
काश्मीर
हो या अरुणाञ्चल अथवा कोई
अशांत छेत्र जनहा फौज हो ,
और
वह नागरिक प्रशासन की मदद के
लिए तैनात हो ,
ऐसी
स्थिति मैं सेना के कर्मियों
के लिए कुछ गाइड लाइन हैं |
जिन
मैं कहा गया हैं की वे "”
किसी
भी स्थानीय स्त्री या पुरुष
से अंतरंग संबंध नहीं रखेंगे
"”
| अनेकों
सेना के अधिकारियों को इसी
नियम के चलते सेना छोडनी पड़ी
हैं |
साथ
के दशाक मैं नागा नेता फिजों
की बहन से एक फौजी अधिकारी के
संबंध हो गए थे |
उससे
फिजों की आतंकवादी हलचलों
का तो पता चलता था |
परंतु
इस सामरिक लाभ के बावजूद सेना
ने संबन्धित अधिकारी को इस्तीफा
देने का सुझाव दिया ,
जिससे
वह सम्मान पूर्वक सेवा निवरत
हो जाए |
मेजर
गोगोई ने तो सिर्फ अपनी "”ख़्वाइश
"”
के
लिए स्थानीय काश्मीरी युवती
को पकड़ा !!
करीब
एक साल तक चली कोर्ट मार्शल
की कारवाई ने उन्हे "”नियमो
की अवहेलना का दोषी पाया "”
| अब
उनके सामने दो ही विकल्प हैं
-----
सेवा
मुक्त के लिए अर्ज़ी देना अथवा
मेजर से पदावनत हो कर पुनः
कैप्टन के पद पर काम करना |
गोगोई
का कार्या "”साहस
अथवा सूझ -बूझ
का नहीं था "”
वह
एक दुस्साहस था जो न केवल फौज
की गौरवशाली परंपरा के विपरीत
था वरन वह एक "”
आक्रामक
सेना की कारवाई मैं आता था "”
जिस
मैं नागरिकों के अधिकारो की
कोई परवाह नहीं की जाती |
वे
भूल गाये की सेना से भी ऊपर
भारत का संविधान हैं |
जो
नागरिकों के अधिकारो की रक्षा
का वचन देता हैं |
यह
मोदी समर्थको और "”भक्तो
"”
के
लिए भी एका सबक है ,
की
कोई दुस्साहसिक काम ---वीरता
का पर्याय नहीं होता |
जिस
प्र्करा सहारनपुर मैं बजरंग
दल के नेता ने भीड़ को उकसा कर
झूठ ही गाय काटे जाने की अफवाह
फैला कर ,
इलाके
मैं अफरा तफरी फैला दी |
बजरंग
दल का मक़सद निकट ही चल रही
मुस्लिम तबलीग मैं व्यवधान
डालना था |
इस
पूरे प्रकरण मैं पुलिस थाने
के इंस्पेक्टर की हत्या जिस
प्रकार निर्दयता से की गयी
---वह
साफ तौर पर एक षड्यंत्र ही
हैं |
हिंसा
की कारवाई को समाधान माने वाले
भीड़ के सदस्यो को यह नहीं मालूम
होता की वे किस तरह से झूठी
शान के लिए लोगो का अंधा समर्थन
कर रहे हैं |
फिर
चाहे वह मुस्लिम विरोधी हो
या मोदी विरोधी |
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