?निर्वाचन आयोग
क्या चुनाव का चौकीदार नाबीना हैं जो उसे आचार संहिता का सार्वजनिक उल्ल्ङ्घन नहीं दिखयी पड़ता ??
आज पूर्व चुनाव आयुक्त
शेषन की बहुत याद आएगी !!
चुनाव
मैं आचार संहिता का पालन इसलिए
जरूरी है की --इस
मैं भाग लेने वाले सभी दलो को
एक समान अवसर मिले |
सरकार
और विपक्ष के गठबंधन के दल एक
ही नियम का पालन का करें |
श्रीमति
इन्दिरा गांधी का रायबरेली
का चुनाव इलाहाबाद हाइघ कोर्ट
के जस्टिस जगमोहन लाल द्वरा
इसलिए "”
अवैध
"
घोषित
कर दिया गया था ----
की
उनकी सभाओ मैं शासन ने सुरक्षा
कारणो से मंच का बंदोबस्त "”
ब्लू
बूक "”
के
अनुसार किया था |
जबकि
यह सुविधा उनके वीरुध लड़ रहे
राजनारायन न को नहीं मिली थी
|
88888888888888888888888888888888888888888888888888888888888888888888888
आज
तो उससे कही ज्यादा और कई गुना
अधिक निर्वाचन आयोग के नियमो
का खुले आम उल्लंघन हो रहा हैं
-----चुनाव
का चौकीदार नाबीना बना हुआ
हैं !
जिन
घटनाओ और कारणो से सट्टधारी
पार्टी और उसके मुखिया नरेंद्र
मोदी पर कारवाई होनी अपेक्षित
हैं वे निम्न हैं ::---
1 :-
उपग्रह
की सफलता पर प्रधान मंत्री
का राष्ट्र के नाम सम्बोधन
रूप
से आचार संहिता का उल्लंघन
हैं |
आचार
संहिता का मूल नियम हैं की
“”कोई
भी ऐसा कार्य जो चुनाव मैं भाग
ले रही पार्टियो मैं किसी एक
द्वरा
नहीं
किया जा सके -चाहे
वह सत्ता मैं रहने के कारण हो
अथवा किसी अन्य
कारण
से हो -----
वह
आचार संहिता का उल्लंघन हैं
"”
| क्योंकि
चुनाव एक
प्रतियोगिता
हैं -जिस
मैं सभी भाग लेने वाले समान
नियमो और अवसरो के
भागी
होते हैं |
परंतु
जिस प्रकार उपग्रह भेदी उपग्रह
के सफल प्रक्ष्पेन की घटना
का
राष्ट्र के नाम सम्बोधन किया
गया वह -----अन्य
दलो को रेडियो और टेलीविज़न
पर प्रचार के लिए मिलने वाले
समय से बिलकुल अलग हैं !
अब
क्या यही सुविधा अन्य दलो के
नेताओ को मिल सकेगी ?
नहीं
नरेंद्र मोदी ने प्रधान मंत्री
पद के अधिकारो का अपनी पार्टी
की छ्वी के लिए किया |
निर्वाचन
आयोग ने आँय राजनीतिक दलो की
शिकायत पर इस मामले की जांच
के लिए उप निर्वाचन आयुक्त
सक्सेना के अधीन एक जांच समिति
गठित की हैं |
परंतु
अधिक से अधिक वह कर क्या सकती
हैं !!!
यह
तो वैसा ही हुआ जैसे एक अपराधी
"”
राजनयिक
आज़ादी "”
का
कारण देकर दंड से बच निकले |
इस
मामले मैं भी जांच रिपोर्ट
कुछ ऐसी ही होगी !
2:--- राजस्थान
के राज्यपाल कल्याण सिंह -
जो
की बाबरी मस्जिद को गिराए जाने
के समय उत्तर परदेश के मुख्य
मंत्री थे --और
उन्होने तत्कालीन प्रधान
मंत्री नरसिंघा राव को आश्वासन
दिया था की सब कुछ कानून के
डायरे मैं होगा |
उन्होने
सुप्रीम कोर्ट मैं लिखित
हलफनामा दिया था जिस मैं
विवादित परिसर को ज्यों का
त्यों रखे जाने का वादा किया
था |
परंतु
दूनया जानती हैं इन महानुभाव
ने कसं खा कर झूठ बोला और मस्जिद
तथा अखंड रामायण का स्थल तोड़
डाला गया !
अभी
अलीगद के दौरे के समय ,
जनहा
वे अपने पुत्र के चुनाव के
सिलसिले मैं गए थे |
वनहा
उन्होने अपनी माता संस्था
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ
और उसकी संतान भारतीय जनता
पार्टी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता
साबित करते हुए उन्होने कहा
"””
मैं
भाजपा का कार्यकर्ता हूँ और
हम चाहते है की मोदी जी दुबारा
प्रधान मंत्री बने |”””
अब
संवैधानिक पद पर रह कर इस
प्रकार दलीय रुझान "”उनकी
निष्पक्षता को दूषित करता
हैं "”
| क्या
निर्वाचन आयोग राष्ट्रपति
से सिफ़ारिश करेगा की ऐसे
पक्षपाती राज्यपाल को पद से
हटाये ??
3:- नरेंद्र
मोदी को मानव से नायक बनाने
वाली फिल्म "”
पीएम
मोदी "”
का
प्रदर्शन और एक्सीडेंटल
प्राइम म्निस्टर जैसे फिल्म
का चुनाव के समय रिलीज़ होना
भी कोई संयोग तो नहीं ही हैं
| वरन
सोची समझी चाल हैं |
आज
तक कभी ऐसा नहीं हुआ |
आँधी
फिल्म को लोगो की शिकायत पर
सेंसर बोर्ड ने रोका परंतु
श्रीमति इन्दिरा गांधी ने
सेंसर बोर्ड को ऐसा नहीं करने
को कहा |
जबकि
उस फिल्म के बारे मैं कहा जाता
था की वह इन्दिरा गांधी के
जीवन पर बनी हैं |
जबकि
ऐसी कोई समानता नहीं देखि गयी
|
4::- आत्म
मुग्धता के पर्याय बन चुके
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी
जी का प्रचार मैं बने रहने का
शौक इतना ज्यादा हैं की – कैमरा
मैनो को हिदायत रहती हैं की
वे मात्र उनही का फोटो लें
--- उनके
अगल बगल लोगो को ज्यादा से
ज्यादा काटे |
वे
भीड़ से दूर ही रहना चाहते हैं
| शायद
इसी लिए उनके समर्थको {{
जिन
मैं अफसर ज्यादा हैं }}}
मैं
भी होड रहती हैं की किस प्रकार
उनकी शकल को अधिक से अधिक लोगो
तक दिखाये |
रेल्वे
के टिकट और हवाई यात्रा के
बोर्डिंग पास मैं उनके फोटो
को छ्प्वा दिया गया |
अब
निर्वाचन आयोग ने इस संबंध
मैं दोनों संगठनो से जवाब तलब
किया हैं |
निश्चित
ही जवाब आने तक तो चुनाव परिणाम
घोषित हो चुके होंगे |
न्याय
तो उस समय के नियमो से होगा
!!!
मध्य
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री
शिव राज सिंह को भी यानहा के
अफसरो ने वाहवाही लूटने के
लिए अनुदान से बनने वाले
सौचालयों और गरीबो के लिए
बनने वाले भवनो मैं शिवराज
सिंह के चित्र वाले "”टाइल्स
"”
लगवा
दिये थे |
विधान
सभा चुनावो मैं शिकायत के
बाद उन सभी टाइल्स का ढेर सभी
जगह लग गया !!!
4: :- इन
स्वयंसिद्ध नियमो के उल्लंघन
की जांच की प्रक्रिया यदि
मतदान के पूर्व नहीं निपटा
गयी ---तब
निश्चित ही कहना पड़ेगा -
चुनाव
के इस क्रिकेट मैच मैं निर्वाचन
आयोग पाकिस्तानी रेफरी की
भांति व्यवहार कर रहा हैं |
आज
चुनाव आयोग की निष्क्रियता
देख कर पूर्व चुनाव आयुक्त
शेषन की बहुत याद आ रही हैं ,
जो
किसी भी मुख्य मंत्री या मंत्री
की परवाह नहीं करते थे |
नियमो
को कठोरता से पालन करने मैं
उनका कोई सानी नहीं था |
यहा
मोदी जी द्वरा छोटे से कारण
से राष्ट्र के नाम सम्बोधन
का मौका निकाल लेने को "””
उनकी
पार्टी राष्ट्र की जनता के
प्रति कर्तव्य बताने से नहीं
चूकेंगे |
सवाल
यह है की चुनाव के दरम्यान ही
क्यों ??
उनको
लगता होगा की ऐसा मौका फिर
कान्हा मिलेगा !!!
इन्दिरा
गांधी और अतलबिहारी जी ने
आण्विक विस्फोट की जानकारी
देश को देने मैं इतनी हड़बड़ी
नहीं दिखाई थी !
अब
विचार करे की निर्वाचन आयोग
इस मसले मैं क्या करेगा ?
वह
इस खर्चे को सट्टधारी पार्टी
के चुनावी खर्च मैं जोड़े जाने
का आदेश दे सकता हैं !
अथवा
प्रधान मंत्री से उन कारणो
के बारे मैं पूच्छ जा सकता
हैं ---
जिन
वजहों से चुनाव के बीच उन्हे
सतर्कता छोड़ कर स्वयं का प्रचार
करने के लिए उपग्रह का बहाना
लिया ??
परंतु
इस जवाबतलबी मैं चुनाव के दो
महीने तो निश्चित ही निकल
जाएँगे !!
फिर
इस नख -
दांत
विहीन और सरकार की ओर मुंह देख
कर न्याया करने वाले संस्थान
का क्या होगा ?
अब
हालत यह है की नीति आयोग के
एक सदस्य राजीव कुमार जो की
एक नौकरशाह हैं उन्होने राहुल
गांधी की न्याया योजना का
मज़ाक उड़ाते हुए सार्वजनिक
रूप से बयान दिया !
अब
सरकारी नौकर भी दलीय चुनाव
मैं भाग ले तब समझा जा सकता
हैं की "””सत्ता
"””
के
संस्थान मैं कितनी हड़बड़ी हैं
!
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