अजेय
भारत :अटल
भारतीय जनता पार्टी के मोदी
जी नारे के साथ
अमित
शाह का कहना की 2019
के
बाद भी 50
साल
तक पार्टी चुनाव नहीं हारेगी
!! कुछ
ऐसी ही उद्घोषणा 5
मार्च
1933 को
जर्मनी के एडोल्फ हिटलर ने
नाजी पार्टी के सम्मेलन मे
कही थी ---
1000 वर्ष
का राज !!!!
9सितंबर
2018 को
दिल्ली मे भारतीय जनता पार्टी
की राष्ट्रीय कार्यकारिणी
को संबोधित करते हुए प्रधान
मंत्री और पार्टी प्रमुख का
कार्यकर्ताओ यह आश्वशन कम
और संकेत ज्यादा है |
क्योंकि
शाह का कथन,,
मोदी
जी की कठिन विरोधी श्रीमति
इन्दिरा गांधी के तत्कालीन
पार्टी अध्यक्ष देवकान्त
बरुआ के उस कुख्यात बयान की
याद दिलाता है "””
इन्दिरा
ही भारत हैं और भारत ही इन्दिरा
है "”
!!! लोकतन्त्र
मे चुनावी प्रतिद्वंदीता
आवश्यक है ---
परंतु
चुनाव को "””युद्ध
"””
बनाना
,निश्चय
ही जनमत की स्वाभाविक अभिव्यक्ति
की अवहेलना ही होगी |
हिटलर
ने भी चुनाव को हिंसात्मक रूप
देकर ही सत्ता पायी थी |
क्या
आज हमको इस बात का संकेत नहीं
मिलता की "””भीडतंत्र
द्वरा जिस प्रकार संदेह और
शंका के आधार पर लोगो की हत्या
की जा रही है ----उस
पर तो देश का सर्वोच्च न्यायालय
ने भी चिंता व्यक्त की है “””|
प्रधान
न्यायधीश दीपक मिश्रा ने
केंद्र और राज्य सरकारो को
इस प्रशासनिक ---राजनीतिक
और सामाजिक कैंसर से निपटने
के लिए ,
लंबा
-चौड़े
निर्देश दिये है |
परंतु
विगत चार वर्षो का अनुभव बताता
है की सरकार उनही न्यायिक
फैसलो के अनुपालन मे तत्परता
दिखती है -----जो
उसके लिए "””राजनीतिक
रूप से लाभदायक होते है "””
| शेष
मे वह फाइस्ल्प को लटकाए रखती
है |
उदाहरण
के तौर पर विश्वविद्यालयो
की शिक्षा और परीक्षा तथा
छात्रों के साथ हो रहे अन्याय
के लिए जब सरकार के कान उमेठे
गए तो --मामला
'’’’दाखिल
दफ्तर कर दिया गया '’’
!! ऐसा
ही सरकारी सेवाओ मे खाली पड़े
पदो की संख्या अगर '’सुरसा
'’ की
भाति है तो बेरोजगारो की लाइन
तो बजरंग बाली के आकार की तरह
है !
परंतु
50 लाख
से अधिक शिक्षको के पद रिक्त
है ---परंतु
उन्हे नियत समय सीमा मे भरने
के फैसलो पर सरकार का '’’’टकसाली
जवाब होता है ----प्रक्रिया
चल रही है ,कुछ
समय लगेगा !!
“”” सरकार
किसी भी दल की हो कोई भी "””किसी
भी काम को निश्चित समय सीमा
मे पूरा करने की तारीख नहीं
देता "”
शायद
नेताओ से ज्यादा इस के दोषी
नौकरशाह है ---जिनहे
मंत्रियो के कमजोर हाथ लगाम
नहीं लगा पा रहे है !!
अभी
तक आम चुनावो के लिए राजनीतिक
पार्टिया पाँच साल के कार्यक्रम
की रूप रेखा ही जनता के सामने
अपने चुनावी घोषणा पत्र मे
करती थी |
परंतु
ऐसा पहली बार देखने मे आ रहा
है की कोई पार्टी "”
संसद
या सदन की आयु से अधिक के बारे
मे वादे करती जा रही है !!!
भले
ही आप को विजय की आशंका हो
परंतु जब आप पाँच साल के आगे
का वादा करते है -----तब
लगता है की आप "”””हैसियत
से ज्यादा अथवा क्रडिट
वर्दिनेस्स से अधिक क़र्ज़ की
बात कर रहे है !!
इसलिए
ऐसे वादो और घोसनाओ --का
हाल "”नान
पेरफरमिंग असेट '’
की
भांति ही होने उम्मीद रहती
है |
अभी
तक का अनुभव तो यही बताता है
| मोदी
जी का कार्य काल 2019
तक
ही है ----
जब
वे मंगल यान और बुलेट ट्रेन
की बात 2025
तक
की करते है ----
तब
लगता है की वे "””
अपने
बाद आने वाले प्रधान मंत्री
का एजेंडा सेट कर रहे है !!
जैसा
की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
मे होता है |
परंतु
ऐसा उसी संस्था मे संभव है ,,
जिसका
कोई वैधानिक अर्थात किसी समूह
द्वरा निर्वाचित --जिसका
कोई लिखित संविधान हो ---सदस्यता
सूची हो --और
उनके आय -
व्यय
की निगरानी हो !!
संघ
के मामले मे ऐसा नहीं होता !!
चीन
और रूस की सत्ताधारी पार्टियो
मे भी संघ ऐसी ही प्रणाली है
| रूसी
नेता पुतिन जब चाहते है प्रधान
मंत्री बन जाते है ---जब
लगता है की राष्ट्रपति बनना
ज्यादा सम्मानजनक है तब संविधान
मे संशोधन कर के राष्ट्रपति
पद को प्रशासनिक ताकत से लैस
कर दिया जाता है |
फिर
वे एक ऐसा चुनाव लड़ते है -जिसमे
"””वे
खुद विरोधी उम्मीदवार को चुनते
दिखायो पड़ते है !!!
चीन
मे भी ऐसा ही हुआ चार साल के
लिए चुने गए श्रीमन ची ने
संविधान मे संसोधन करा कर
'’’’स्वयं
को आजीवन राष्ट्रपति निर्वाचित
करा लिया "””
| अक्सर
आजीवन पदासीन रहने की वारदाते
दक्षिण अमेरिकी देशो मे ज्यदा
हुई है |
परंतु
क्यूबा मे कास्त्रो और स्पेन
मे द्वतीय विश्व युद्ध के समय
स्पेन मे सैनिक तानाशाह काफी
दिनो तक बिना चुनाव के शासन
पर क़ाबिज़ रहे ----पर
आखिरकार पुनः शाही परिवार को
सत्ता सौपनी पड़ी ----जिससे
उन्होने गद्दी छीनी थी !
जब
कोई राजनीतिक दल अपने क्रिया
कलापों के लिए अपने देश के
कानूनों और जनता के प्रति
उत्तरदायी नहीं होगा -----तब
वह लोकतान्त्रिक संगठन नहीं
रहता वरन --एक
'’’जुनटा'’
यानि
एक गिरोह मे परिवर्तित हो जाता
है |
जैसा
पड़ोसी देश म्यांमार मे है !
वनहा
नागरिक अधिकारो की लड़ाई के
लिए सैनिक शासन की क़ैद मे सालो
रहने के बाद भी श्रीमति आंग
सान सु ची आज अपने देश के
रोहिङ्ग्य मुस्लिमो का सेना
द्वारा नर संहार किए जाने की
--- सर्व
विदित घटना की निंदा नहीं का
रही है |
क्योंकि
सेना के जनरलो ने उन्हे '’’
देश
का सर्वोच्च काउन्सलर '’’बनाया
हुआ है |
आज
संयुक्त राष्ट्र संघ भी
रोहिङ्ग्य नर संहार की निंदा
कर चुका है |परंतु
अंग सान सु ची चुप है !!!
इसी
प्रकार अगर आज देश के प्रबुध
वर्ग और राजनीतिक दल सचेत
नहीं हुए -----तो
जैसे हिटलर के राष्ट्रवाद
और आर्य जाति की सर्वोच्ता
'’’
के
नारे ने वनहा युवा लोगो को
भरमा दिया ------
और
पाँच साल तक दुनिया को भाय और
आतंक के साये मे रहने को मजबूर
किया ---------परंतु
उस गलती का दुष्परिणाम जर्मनी
को 40
साल
तक भुगतना पड़ा !!
देश
का विभाजन विजेताओ ने किया
--और
1000 साल
तक राज की तमन्ना लिए हिटलर
को बनकर मे आतंहत्या करनी पड़ी
||
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