चुनावी
अश्वमेघ यज्ञ के ब्रम्हा
उर्फ निर्वाचन आयोग जनता रूपी
यजमानो को यह आशवाशन दिये जा
रहे है की होम किए जाने वाली
समिधा की सामग्री यथोचित है
---परंतु
हक़ीक़त मे क्या ऐसा है ?
एक
माह पूर्व काँग्रेस की शिकायत
पर की तीन विधान सभाओ मे अनेक
भूत और गैरहाज़िर मतदाताओ ने
भी वोट डाले !!
अब
फिर वही दो लफ्जो मे मतदाता
सूची पर आपति को खारिज किए जा
रहे है |
जबकि
प्रदेश मुख्य चुनाव अधिकारी
लगातार ज़िलो के कलेक्टरों को
वोटर लिस्ट "”
पुनरीक्षण
"”
के
निर्देश दिये जा रहे है !
अनेक
ज़िलो के अधिकारियों ने 30
जुलाई
के पहले मतदाता सूची को अपडेट
करने मे असमर्थता जताई है !!
काँग्रेस
पार्टी द्वारा मतदाता सूचियो
मे गड़बड़ी के आरोपो को 8
जून
को भी चुनाव आयोग के दो अधिकारियों
ने 48
घंटे
के प्रवास मे "”जांच
करके "”
खारिज
कर दिया था |
हालांकि
उसके बाद वोटर लिस्ट के पुनरीक्षिण
का कार्यक्रम चलता रहा ---और
नाम कट्ते रहे |
भोपाल
मे ज़िलो के कलेक्टरों की बैठक
भी उसके बाद हुई ,
जिसमे
मुख्य निर्वाचन अधिकारी सलीना
सिंह ने प्रशासन अकादमी मे
सख्त ताकीद दी की 3
जुलाई
तक तक सूचियो को अपडेट कर लिया
जाये |
परंतु
ऐसा हो नहीं सका !
पुनः
आठ जुलाई को निर्वाचन आयोग
के अधिकारियों ने बैठक ली |
और
एक बार फिर फिर वही फरमान सुना
दिया "””
सब
कुछ ठीक है "”
!! जबकि
जमीनी हक़ीक़त यह है की भोपाल
ज़िले की नरेला विधान सभा सीट
मे -एक
समाचार पत्र की रिपोर्ट के
अनुसार दस हज़ार से ज्यादा "”
भूत
"”
अर्थात
अस्तित्वहीन मतदाताओ के नाम
है |
इतना
ही नहीं इन मतदाताओ ने विगत
चुनावो मे वोट भी डाला ।ऐसा
उस रिपोर्ट मे दावा किया गया
है |
सवाल
यह है की की जब सत्ता रूपी
सिंहासन को पाने के लिए होने
वाले चुनावी यज्ञ के समय अगर
यह निश्चित नहीं हो सका की
हक़ीक़त मे कितने मतदाता है और
उनका पता क्या है -तब
तक कैसे हम निसपक्ष चुनाव की
अपेक्षा कैसे कर सकते है |
एक
ओर निर्वाचन आयोग के अधिकारी
भोपाल आकार मौजूदा मतदाता
सूची के बारे मे टिप्पणी करते
है की "”
ज्यादा
कुछ गड़बड़ नहीं है "”
! वनही
शिकायत के दावो को पूरी तरह
से खारिज कर के चले जाते है
!!!
अब
हम 8जून
के निर्वाचन आयोग के "”सब
कुछ ठीक है "”
के
फतवे के बाद के प्रदेश के उप
मुख्य निर्वाचन अधिकारी बंसल
के बयान को देखे जिसमे
उन्होने स्वीकार किया है की
91
विधान
सभाओ मे 45
हज़ार
फर्जी वोटरो के नाम हटाये गए
है !
भोपाल
-
सीहोर
और होसंगाबाद की चार विधान
सभा छेत्रों --मे
जनहा फर्जी वोटरो के होने की
शिकायत की गयी थी ,
और
सब कुछ ठीक ठाक होने का प्रमाण
पत्र भी जबानी दे दिया गया था
---
उनमे
भी 2000
मतदाताओ
को फर्जी पाये जाने के बारे
मे निर्वाचन अधिकारी ने भी
माना !!
आइये
अब आठ जून के बाद मतदाता सूची
के पुनरीक्षण की कवायद देखे
--
सीधी
ज़िला मे 374
ब्लॉक
लेवल आफिसरो को "”कारण
बताओ "”
नोटिस
इसलिए जारी किए गए ,क्योंकि
उन्होने मतदाता सूची को अद्यतन
करने की कारवाई पूरी नहीं की
|
भोपाल
के 14
बी
एल ओ को इसी लापरवाही के लिए
निलंबित किया गया !
प्रदेश
मे लगभग सादे चार करोड़ मतदाता
है ,
| अब
उनमे से चुनाव के समय कितने
अपने स्थान पर है ---कितने
स्वर्ग सिधार गए तथा कितनों
ने शहर बदल लिया ,
अगर
इसका भौतिक सत्यापन नहीं हुआ
तब कैसे हम कह सकते है की चुनाव
निसपक्ष है ?
मध्य
प्रदेश मे सरकार बनाने के लिए
बहुमत की संख्या मे लगभग दो
से तीन दर्जन ऐसे विधान सभा
छेत्र होते है ,
जनहा
जय -
पराजय
सैकड़ा मतो से होती है |
अब
ऐसे मे अगर हज़ार वोट भी एक पक्ष
को मिल गए तब उसकी जीत निश्चित
हो जाती है |
विधान
सभा चुनावो की रणभेरी भारतीय
जनता पार्टी और काँग्रेस के
साथ आँय दलो जैसे बहुजन समाज
पार्टी --समाजवादी
दल तथा आप के नाम लिए जा सकते
है |
इनके
अलावा गोंडवाना पार्टी है
|
इन
चुनावो मे आरक्षण हटाओ के
मुद्दे को लेकर एक नए संगठन
का उदय हुआ है "””
सपाक्स
"
| जिसने
भी चुनाव मे सत्ताधारी भारतीय
जनता पार्टी को हारने के
उद्देश्य से सभी विधान सभा
छेत्रों मे प्रत्याशी उतारने
का ऐलान किया है |
वैसे
चुनाव के मौसम मे बहुत से संगठन
सक्रिय हो जाते है |
जिनके
नेताओ का मक़सद सिर्फ अपने
चेहरे का प्रसार करना होता
है |
जिस
से की वे लोगो को बता सके की
वे भी कुछ है |
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