“”” मै
ही सर्व श्रेष्ठ -
मैं
ही अंतिम समाधान हूँ --जो
मेरा विरोध करे
वे
सब निक्रष्ट "”
हम
ही हीरा है ''
प्रधान
मंत्री नरेंद्र मोदी का यह
स्वभाव है अथवा उनका अहंकार
यह तो समय ही मूल्यांकन करेगा
| परंतु
उनकी
टकसाली
भाषा सभी अवसरो पर एक ही जैसी
होती है |
अहम
ब्रहंमासमी
अध्यातम
के लिए तो अनिवार्य है ,
परंतु
साधारण जीवन मे इस को अभिमान
के अलावा और कुछ भी नहीं कहा
जा सकता |
चुनाव
सभाओ मे एक परिपाटी रही है की
आप अपने कार्यक्रम और दावो
का बाखँ करते है ,
जिसके
आधार पर मतदाता आपका समर्थन
करते है |
परंतु
मोदी जी इसके उलट अपनी बात
नहीं बताते वरन सामने के विरोधी
को कभी कभी असंन्यत भाषा मे
आलोचना भी करते है |
यह
प्रथा उनके "”भक्तो
'' मे
दिखाई देती है |
जो
बहस के दौरान गाली -
गलौज
पर उतार आते है |
इसका
अनुभव सोशल मीडिया पर होता
रहता है |
अभी
उन्होने त्रिपुरा मे विधान
सभा की एक चुनावी सभा मे रत्नो
की नवीन व्याख्या की है |
रत्न
शास्त्र के अनुसार ''माणिक"”
सुख
- समद्धि
के लिए धारण किया जाता है |
परंतु
हीरा अथवा नीलम ऐसे रत्न है
जो प्रभावकारी तो बहुत होते
है ----
परंतु
बिरले लोगो के लिए |
यह
रत्न अगर उस राशि के जातक के
अनुकूल नहीं है तो --भयंकर
प्रभाव देता है !
परंतु
हमारे प्रधान मंत्री को तो
"”तुकबंदी
'' लगाने
का काफी उत्साह है ,
इस
लिए उन्होने त्रिपुरा के 20
वर्षो
से मार्क्सवादी पार्टी के
मुख्य मंत्री रहे माणिक सरकार
को निशाना बनाया |
चूंकि
वे देश मे सबसे ''गरीब
मुख्य मंत्री है ''
इसलिए
उनके निजी जीवन मे कोई खोट
निकाल पाना ---असंभव
ही है |
इसलिए
एक बार फिर मोदी जी ने वनहा
के वोटरो को ललचाने के लिए
बड़े -
बड़े
सपने दिखाये है |
जैसे
हाइ वे -
एयर
वेज इंटरनेट आदि ,
गौर
तलब है की जंगल की अधिकता के
कारण यहा सदको का निर्माण
नहीं हुआ है |
दूसरे
यहा पर भूमिगत संगठनो द्वरा
सदको के निर्माण का भी हिंसक
विरोध किया जाता रहा है |
जिसके
कारण देश मे गडकरी जी की 22
किलोमीटर
प्रतिदिन सड़क निर्माण के दावे
के बावजूद इस प्रदेश मे 22
इंच
भी सड़क का निर्माण नहीं हुआ
| अब
यह इस कारण नहीं हुआ की यानहा
मार्क्सवादी सरकार थी अथवा
कोई अन्य कारण इसका जवाब मोदी
सरकार के पास होगा तो ----वे
देंगे |
क्योंकि
बिहार के विधान सभा चुनावो
मे भी मोदी जी ने प्रदेश के
लिए बड़ी बड़ी घोसनाए की थी –
परंतु बीजेपी की कूल संख्या
दहाई मे सिमट जाने से "””वे
दावे सिर्फ वादे रह गये "””
|
अभी
तक जिन प्रांतो मे विधान सभा
चुनाव हुए है वनहा के मतदाताओ
ने विकास की कमी के कारण बीजेपी
को वोट दिया और सरकार बनवाई
| परंतु
अभी तक उन वादो पर काम नहीं
हुआ है |वरन
अब वादो की सच्चाई सामने आने
से वोटर नाराज़ हो कर बीजेपी
से दूर भी जाने लगा है |
हाल
मे हुए लोकसभा स्थानो के
उपचुनावों मे यह साफ रूप से
झलकता है |
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