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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Feb 8, 2018

“”” मै ही सर्व श्रेष्ठ - मैं ही अंतिम समाधान हूँ --जो मेरा विरोध करे
वे सब निक्रष्ट "” हम ही हीरा है ''
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का यह स्वभाव है अथवा उनका अहंकार यह तो समय ही मूल्यांकन करेगा | परंतु उनकी
टकसाली भाषा सभी अवसरो पर एक ही जैसी होती है | अहम ब्रहंमासमी
अध्यातम के लिए तो अनिवार्य है , परंतु साधारण जीवन मे इस को अभिमान के अलावा और कुछ भी नहीं कहा जा सकता |
चुनाव सभाओ मे एक परिपाटी रही है की आप अपने कार्यक्रम और दावो का बाखँ करते है , जिसके आधार पर मतदाता आपका समर्थन करते है | परंतु मोदी जी इसके उलट अपनी बात नहीं बताते वरन सामने के विरोधी को कभी कभी असंन्यत भाषा मे आलोचना भी करते है | यह प्रथा उनके "”भक्तो '' मे दिखाई देती है | जो बहस के दौरान गाली - गलौज पर उतार आते है | इसका अनुभव सोशल मीडिया पर होता रहता है |

अभी उन्होने त्रिपुरा मे विधान सभा की एक चुनावी सभा मे रत्नो की नवीन व्याख्या की है | रत्न शास्त्र के अनुसार ''माणिक"” सुख - समद्धि के लिए धारण किया जाता है | परंतु हीरा अथवा नीलम ऐसे रत्न है जो प्रभावकारी तो बहुत होते है ---- परंतु बिरले लोगो के लिए | यह रत्न अगर उस राशि के जातक के अनुकूल नहीं है तो --भयंकर प्रभाव देता है ! परंतु हमारे प्रधान मंत्री को तो "”तुकबंदी '' लगाने का काफी उत्साह है , इस लिए उन्होने त्रिपुरा के 20 वर्षो से मार्क्सवादी पार्टी के मुख्य मंत्री रहे माणिक सरकार को निशाना बनाया | चूंकि वे देश मे सबसे ''गरीब मुख्य मंत्री है '' इसलिए उनके निजी जीवन मे कोई खोट निकाल पाना ---असंभव ही है | इसलिए एक बार फिर मोदी जी ने वनहा के वोटरो को ललचाने के लिए बड़े - बड़े सपने दिखाये है | जैसे हाइ वे - एयर वेज इंटरनेट आदि , गौर तलब है की जंगल की अधिकता के कारण यहा सदको का निर्माण नहीं हुआ है | दूसरे यहा पर भूमिगत संगठनो द्वरा सदको के निर्माण का भी हिंसक विरोध किया जाता रहा है | जिसके कारण देश मे गडकरी जी की 22 किलोमीटर प्रतिदिन सड़क निर्माण के दावे के बावजूद इस प्रदेश मे 22 इंच भी सड़क का निर्माण नहीं हुआ | अब यह इस कारण नहीं हुआ की यानहा मार्क्सवादी सरकार थी अथवा कोई अन्य कारण इसका जवाब मोदी सरकार के पास होगा तो ----वे देंगे | क्योंकि बिहार के विधान सभा चुनावो मे भी मोदी जी ने प्रदेश के लिए बड़ी बड़ी घोसनाए की थी – परंतु बीजेपी की कूल संख्या दहाई मे सिमट जाने से "””वे दावे सिर्फ वादे रह गये "”” |

अभी तक जिन प्रांतो मे विधान सभा चुनाव हुए है वनहा के मतदाताओ ने विकास की कमी के कारण बीजेपी को वोट दिया और सरकार बनवाई | परंतु अभी तक उन वादो पर काम नहीं हुआ है |वरन अब वादो की सच्चाई सामने आने से वोटर नाराज़ हो कर बीजेपी से दूर भी जाने लगा है | हाल मे हुए लोकसभा स्थानो के उपचुनावों मे यह साफ रूप से झलकता है |

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