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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Dec 18, 2016

मूर्ति -और मंदिरो के देश मे मूर्ति भंजक का क्षणिक उन्माद

भारत को मंदिरो का देश भी कहा जाता है यंहा अनगिनत देवी -देवताओ के मंदिर है , जिनके करोड़ो भक्त भी है | कुछ मंदिर तो भक्तो और संपदा के लिहाज से दुनिया मे अनोखे माने जाते है | जैसे तिरुपति और पद्मनाभ मंदिर जनहा अरबों रुपये की सम्पदा और करोड़ो भक्त है | इतिहास मे कभी सोमनाथ मंदिर की बी भ्व्यवाता का वर्णन मिलता है | परंतु महमूद गजन्वी द्वरा हमला कर के "”मूर्ति भंजन "” किया गया और सम्पदा लूटी गयी | काशी विश्व नाथ मंदिर भी ऐसे ही हमले का शिकार हुआ --उज्जैन के महाकाल की भी यही कहानी है | कुछ वर्ष पूर्वा अफगानिस्तान के बामीयान छेत्र मे मौजूद विशाल बूढ़ा की मूर्ति को नूकसान पहुंचाया गया |

परंतु आज भी ये मंदिर और उनकी मूर्तिया ही पूजी जाती है | मूर्ति भंजक के क्षणिक उन्माद को संतुष्टि देने वाली घटनाए इतिहास के गर्त मे दब गयी है | वे मूर्तिया आज भी है क्योंकि मूर्तियो को बनाने मे विश्वास और श्रद्धा होती है | उसमे समय मे किए गए परिश्रम की छाप होती है | इसलिए इसी श्रद्धा और विश्वास का कारण है की बद्रीविशाल की खंडित मूर्ति की भी आज हजारो साल बाद पूजा की जाती है |

गजनी और आँय हमलावरो द्वरा मंदिरो और

मूर्तियो को खंडित करने का इतिहास भर है क्योंकि मूर्ति भंजकों का सिर्फ एक दिन होता है उनका कोई भविष्य नहीं होता | इसीलिए अगर किसी राह चलते से भी पूछो तो वह यह नहीं बता सकेगा की महाकाल और विश्व नाथ मंदिर का आक्रांता कौन था??| 

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