मूर्ति
-और
मंदिरो के देश मे मूर्ति भंजक
का क्षणिक उन्माद
भारत
को मंदिरो का देश भी कहा जाता
है यंहा अनगिनत देवी -देवताओ
के मंदिर है ,
जिनके
करोड़ो भक्त भी है |
कुछ
मंदिर तो भक्तो और संपदा के
लिहाज से दुनिया मे अनोखे
माने जाते है |
जैसे
तिरुपति और पद्मनाभ मंदिर
जनहा अरबों रुपये की सम्पदा
और करोड़ो भक्त है |
इतिहास
मे कभी सोमनाथ मंदिर की बी
भ्व्यवाता का वर्णन मिलता
है |
परंतु
महमूद गजन्वी द्वरा हमला कर
के "”मूर्ति
भंजन "”
किया
गया और सम्पदा लूटी गयी |
काशी
विश्व नाथ मंदिर भी ऐसे ही
हमले का शिकार हुआ --उज्जैन
के महाकाल की भी यही कहानी है
|
कुछ
वर्ष पूर्वा अफगानिस्तान के
बामीयान छेत्र मे मौजूद विशाल
बूढ़ा की मूर्ति को नूकसान
पहुंचाया गया |
परंतु
आज भी ये मंदिर और उनकी मूर्तिया
ही पूजी जाती है |
मूर्ति
भंजक के क्षणिक उन्माद को
संतुष्टि देने वाली घटनाए
इतिहास के गर्त मे दब गयी है
|
वे
मूर्तिया आज भी है क्योंकि
मूर्तियो को बनाने मे विश्वास
और श्रद्धा होती है |
उसमे
समय मे किए गए परिश्रम की छाप
होती है |
इसलिए
इसी श्रद्धा और विश्वास का
कारण है की बद्रीविशाल की
खंडित मूर्ति की भी आज हजारो
साल बाद पूजा की जाती है |
गजनी
और आँय हमलावरो द्वरा मंदिरो
और
मूर्तियो
को खंडित
करने का इतिहास भर है क्योंकि
मूर्ति भंजकों का सिर्फ एक
दिन होता है उनका कोई भविष्य
नहीं होता |
इसीलिए
अगर किसी राह चलते से भी पूछो
तो वह यह नहीं बता सकेगा की
महाकाल और विश्व नाथ मंदिर
का आक्रांता कौन था??|
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