जेटली
जी खुदरा फजीहत -
दीगरा
नसीहत 65
लाख
क्यो ?
8 नवम्बर
से देश मे शुरू हुई हलचल के
बाद आम नागरिक को उम्मीद थी
की बड़े -
बड़े
सफेदपोश लोगो के चेहरे से नकाब
उतरेंगे |
परंतु
ऐसा 26वे
दिन भी नहीं हो पाया है |
ना
तो कोई बड़ा अफसर -
डाक्टर
-वकील
-
व्यापारी
या उद्योगपति को बैंक की लाइनों
मे देखा गया और ना ही उनके
ठिकानो पर छापे पड़े और कोई
लंबी चौड़ी बरमदगी भी नहीं हुई
|
जैसा
की मोदी जी के बयान से उम्मीद
बंधी थी की `काले
धन और भ्रस्टाचार पर नकेल कस
जाएगी |पर
ऐसा कुछ हुआ नहीं |
जेटली
जी ने 65
लाख
रुपये के 500
और
1000
के
नोट जमा कराये -प्रदेश
के एक अतिरिक्त मुख्य सचिव
है राधे श्याम जुलनीया जिनहोने
भी 1
करोड़
से अधिक की राशि बंकों मेड जमा
कराई |
सवाल
यह है की इन मंत्री और अफसर को
इतनी बड़ी धन राशि घर पर रखने
की ज़रूरत क्या थी |
?? अगर
इंका काम कानूनी रूप से चोखा
है तब तो दूसरे भी आखिर घर मे
नकद रख सकते है की नहीं --अगर
नहीं तो कौन सा कानून आड़े आ
रहा है ??
1000 और
500
के
पुराने नोट बदलने के लिए जिन
लोगो ने अपने बैंक खातो मे
पैसे जमा कराये उनमे वितता
मंत्री अरुण जेटली जी ने 65
लाख
जमा कराये |
सभी
केन्द्रीय मंत्रियो ने पाँच
से आठ लाख रुपये जमा
परंतु
विगत दो साल से उनकी वकालत ठप
है क्योंकि वे "”
मंत्री
"”
है
और उनका वेतन भी ज्यडा नहीं
है |
दूसरा
इतना "”नक़द
"””
घर
पर रखने की उन्हे क्या ज़रूरत
थी ?क्योंकि
उन्होने ही तो आमजन के लिए
2.50
लाख
की राशि तो विवाह के लिए नीयत
की थी ?
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