सरकार
-संगठन
और अदालत के कवच से जेटली
निर्दोष होंगे क्या
डीडीसीए
की गदबड़ियों के आरोप से बचने
के लिए वित्त मंत्री अरुण
जेटली ने आखिरकार सरकार और
संगठन की ताक़त के बल पर अपने
आलोचक सांसद कीर्ति आज़ाद को
पार्टी से निलंबित करवा ही
दिया | वैसे
पार्टी के दूसरे सांसद शत्रुघन
सिन्हा ने ट्वीट कर के अपने
"”सभी
मित्रो से आज़ाद का समर्थन
करने का आग्रह किया है "””|
बीजेपी
नेत्रत्व की
मौजूदा
''हालत''
को
देखते हुए यह उम्मीद करना
तार्किक ही होगा की अब उनको
भी अनुशासन का पाठ पढाया जाएगा
| एक
और सांसद है वे भी बिहार से है
,, पूर्व
गृह सचिव आर के सिंह -जिनहोने
ने पैसा लेकर विधान सभा चुनावो
मे पार्टी के प्रदेश नेत्रत्व
द्वारा पैसा लेकर टिकट दिये
जाने का आरोप लगाया था |
अब
देखते है की पार्टी के नेताओ
के काम -काज
की आलोचना का क्या परिणाम इन
दोनों सांसदो को मिलेगा ??
लेकिन
निलंबन के फैसले से सार्वजनिक
जीवन मे ना तो जेटली "””निर्दोष
"”” साबित
होंगे --और
ना ही दल के कार्यकर्ताओ मे
''उपजे
'' अविश्वास
और असंतोष ''को
दबाया जा सकेगा |
एक
निलंबन प्रदेश के वरिष्ठ नेता
का भी हुआ था -लक्ष्मी
कान्त शर्मा का ,,जिनहे
500 दिन
जेल मे रहने के बाद जमानत मिली
है | उनके
जेल से बाहर आते ही राष्ट्रीय
महा मंत्री कैलाश विजयवर्गीय
ने इस निलंबित नेता --का
ना केवल स्वागत किया वरन अनकहे
शब्दो मे पार्टी मे उनकी वापसी
की उम्मीद भी बताई |
अब इन
दो निलंबन आदेशो का भविष्य
क्या होगा इंतज़ार रहेगा ,,
की किस
आधार और किस ओर जाते है |पार्टी
के आदेश ?
एक
स्थिति का अनुमान लगाए की अगर
अदालत जेटली को Derliction
ऑफ
ड्यूटी का दोषी करार देती है
--तब
पार्टी कैसे उन्हे अपील करने
की इजाजत देगी ?
क्योंकि
निलंबन के बाद लक्ष्मी कान्त
शर्मा को अपील करने का तो
"””मौका
"””नहीं
दिया गया था ?? तो
इंतज़ार रहेगा की की भारतीय
जनता पार्टी का नेत्रत्व
भविष्य मे क्या फैसला करेगा
?
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