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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Sep 6, 2015

कलियासोत से समरधा और कोलार तक बाघ की सैरगाह मे नया शहर

कलियासोत  से समरधा और कोलार  तक बाघ की सैरगाह मे नया शहर

        प्रदेश  की राजधानी  के विस्तार मे भवन निर्माताओ ने ना केवल बसाहट के कानूनों का उल्ल्ङ्घन किया है वर्ण उन्होने अपने मकानो और फ्लॅट  के खरीदारों को जंगल के जानवरो की माँद और राह मे रहने को मजबूर किया है | नेशनल ग्रीन ट्राईब्यूनल  के सामने राज्य सरकार  और नगर निगम तथा नगर एवं निवेश विभाग भी  बारंबार मांगे जाने पर “”हक़ीक़त “” बताने से कतरा रहे है | क्योंकि सच या वस्तुस्थिति सामने आने पर उन सभी ‘’अधिकारियों “” पर ज़िम्मेदारी फिक्स की जा सकती है ---जिनकी लापरवाही और षड्यंत्र से  “””प्रतिबंधित “”” छेत्रों मे निर्माण किए गए |  इसी लिए आखिर मे इन सरकारी एजेंसियो की ताल –मटोल के कारण  न्यायमूर्ति को  टिप्पणी करनी पड़ी की “”” मास्टर प्लान “””  की अवहेलना के लिए कौन जिम्मेदार है इस मुद्दे को “”आठ मामाओ का भांजा नहीं बनाया जाये “”” |
            इस सख़त निर्देश के बावजूद इन भवन निर्माताओ मे कोई ‘’दर या भाय “”नहीं व्याप्त हुआ है | ऐसा लगता है की सरकार मे बैठे नेता और कुछ अधिकारी  इन  मुनफाखोरो की ढाल बने हुए है | अन्यथा कोई ऐसी बात नहीं थी की “””ग्रीन फॉरेस्ट  के प्रतिबंधित “””छेत्र मे प्लाट काटी गए बही मंजिली इमारते बनाई गयी स्कूल बने | जिन लोगो ने यह नियम वीरुध काम किया वे आज भी आशावास्त है की  जब व्यापम ऐसे मामले को दबाया जा सकता है तब यह तो “”उपभोक्ताओ को खतरे मे डालने की थोड़ी सी चूक है “”” | इतना आत्म विश्वास कानून तोडनेवालों मे जभी आता है ---जब की “” सैया भये कोतवाल “” हो |
          तीन माह से अधिक हो गए है  न तो कलियासोत नदी की पैमाइश हुई है ना ही आज तक राजस्व विभाग  नदी के “”मध्य भाग “”” को नियत कर पाया है | क्योंकि जैसे ही नदी मझधार  नियत होगी  उसके 500 मीटर मे बने सभी निर्माण अवैध हो जाएंगे और उनको तोड़ना शासन की मजबूरी होगी | यही पर अधिकारियों की मिलीभगत है | जो  नदी का मध्य भाग और वन छेत्र की ‘’सही स्थिति ‘’’ नहीं बता रहे है |
                कोलार और कलियासोत  के इलाके मे अनेकों बार बाघ को निवास के एरिया मे देखा गया है | लोग भय के मारे  रात को घरो मे बंद रहते है |  अभी निकट के समरधा जंगलो मे एक बाघिनि  ने दो शावको को जन्म दिया | जंगली जानवर प्रजनन काफी  सुरक्षित  क्षेत्र मे करते है –ऐसी जगह जनहा मानव की आवाजही ना हो | क्योंकि ऐसे अवसरो पर माँ अधिक संवेदनशील और क्रोधित रहती है | वह किसी भी हरकत को खतरा समझ कर हमला कर सकती है | अभी रातिबाड की ओर भी हाल मे पुलिस के सैकड़ो जवानो को जाना पड़ा –कहा गया की कुछ गाव वालो नेसड़क पर पतथर रख कर  सड़क पर आने – जाने वालों को लूटने की योजना बनाई थी | परंतु ऐसी शिकायते महीने भर से मिल रही थी अनेक व्ययापरी  उन स्थानो पर लूट के शिकार हुए तब---तो ओली ने इतना बंभीर कदम नहीं उठाया | उस छेत्र मे प्रदेश कुछ वारिस्थ अधिकारियों के फार्म हाउस  और भवन  बने हुए है |  अनुमान है की यह कारवाई अपराध रोकने से अधिक उस इलाके को जानवरो और शिकारियो से सुरक्शित करने की मुहिम है |

      भोपाल के नागरिकों की आश अब बस ग्रीन ट्राईबुनल  के फैसले पर लगी है जो इन नियम वीरुध निर्माणों को भूमि पर ल कर जंगली पाशी जी संरक्षित है उन्हे और  उन बेसहारा कहरीदारों को निजात दिलाएगी जिनके साथ धोका किया गया है + उपभोक्ता परिषद मे ये भवन निर्माता अपनी ज़िम्मेदारी सरकारी अफसरो के माथे  मड़ कर बचने की जुगत कर लेते है +|

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