क्या राजीव गांधी के हत्यारो को रिहा किया जाएगा ? 21 मई 1991 मी श्रीपेरंबदूर मे तमिल उग्रवादी संगठन “”लिट्टे’’ के लोगो के द्वारा राजीव गांधी की हत्या करने वाले अपराधियो को जेल से छोड़े जाने का निश्चय तमिलनाडू सरकार ने लगभग कर लिया है | याक़ूब को फांसी दिये जाने के मसले पर मीडिया मे हुए विवाद मे एक प्रश्न यह भी उठा था की पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी और पंजाब के मुख्य मंत्री बेअंत सिंह की हत्या करने वाले अपराधियो को क्यो नहीं फांसी दी गयी ?राजीव गांधी की हत्या के मामले मे 6 अभियुक्त जेल मे है | जबकि बेअंत सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह राजौरा को 2007 मे फांसी की सज़ा सुनाई जा चुकी है परंतु बादल सरकार पंजाब मे राजौरा को फांसी “””नहीं देने “””की वचन बढ़ता बता रहे है | गौरतलब है की बेअंत सिंह के हत्यारो को पंजाब की जेल मे तबादला किए जाने को लेकर पंजाब की अकाली सरकार और केंद्र के मध्य टकराव की स्थिति बन गयी थी | कई बार तो इतनी ज्यादा राजनीतिक खीच- तान हो गयी थी की लगता था की एनडीए गठबंधन की एकता मे दरार सी पड़ने की संभावना सी लगने लगी थी | जबकि बात सिर्फ एक क़ैदी के जेल के तबादले भर की थी!!! राजनीतिक हत्या का दौर तो देश को आज़ादी मिलने के साथ ही शुरू हो गया था ,||, जब राष्ट्र पिता महात्मा गांधी को दिल्ली के बिरला मंदिर मे उनकी सायंकालीन प्रार्थना सभा मे 30 जनवरी 1948 को नाथुराम गोडसे ने गोली मार कर हत्या कर दी थी | गोडसे किस विचार धारा का था? किस संगठन से जुड़ा हुआ था ? किन लोगो ने या संगठनो ने उसके अपराध के लिए सुविधा मुहैया कराई आदि अनेक प्रश्न उठे थे | शिमला मे अदालती कारवाई के बाद 8 नवम्बर 1949 गोडसे को फांसी की सज़ा सुनाई गयी | उस वक़्त भी बहुत से “””कट्टर हिंदुवादी संगठनो ने “” गोडसे को फांसी की सज़ा माफ किए जाने की कोशिस की थी | परंतु राष्ट्र पिता की हत्या देश की जनता की ‘’समवेदनाओ “”’ से जुड़ा हुआ था इसलिए गोडसे को 15 नवम्बर 1949 को अंबाला जेल मे नारायण आपटे के साथ फांसी दे दी गयी | गोडसे के समर्थक कुछ हल्कों मे ही सिमट के रह गया था |कोई महत्वपूर्ण प्रतिक्रीया नहीं हुई थी | उस समय गिने –चुने अखबार ही थे | हा कुछ मराठी पत्रिकाओ मे जरूर यह लिखा गया की गोडसे ने “””क्यो हत्या की “””| मुख्य कारण पाकिस्तान को वित्तीय मदद के लिए महात्मा द्वारा दबाव बनाए जाने के खिलाफ था |इस तरह देश के लिए पहली ह्त्या की “”बलि “” राष्ट्रपिता की हुई | गोडसे के भाई गोपाल ने कहा था की “””हम चरो भाई नाथुराम – दत्तात्रेय – गोपाल और –गोविंद चरो ही राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ के सदस्य थे ,,हत्या के समय भी | दूसरी राजनीतिक हत्या भी पंजाब के तत्कालीन मुख्य मंत्री प्रताप सिंह कैरो की हुई | उस समय भी इस हत्या को “’रंजिश”””का कारण बताने की कोशिस हुई थी --- इस कांड मे भी एक अकाली दल का नाम लिया गया था | हत्यारे सुचचा सिंह को नेपाल मे गिरफ्तार किया गया था | अदालती कारवाई के बाद उसे फांसी पर लटका दिया गया | आपरेशन ब्लू स्टार 3 जून से 8 जून तक चला लगभग पाँच सौ से ज्यादा लोग मारे गए | सिख समुदाय मे स्वर्ण मंदिर को लेकर भावनाए आहात थी | सेना के भी कुछ लोगो ने बगावत करी | प्रधान मंत्री इन्दिरा गांधी को सिखो का शत्रु मानते हुए उनके ही अंग रक्षक बेअंत सिंह ने उनकी हत्या कर दी | देश मे सिखो के विरुद्ध उपदरव हुए सैकड़ो लोग मारे गए | तीस साल बाद अभी भी सिख अपने साथ हुए “””अन्याय””” की गुहार देश और विदेश मे लगाते रहे है | अकाल तख़त ने 2007 मे बेअंत सिंह को सतवन्त सिंह को और केहर सिंह को शहीद का दर्जा दिया | प्रधान मंत्री के हत्यारे को “””धार्मिक सम्मान””’ देकर “””पंथिक “” सर्वोचता संदिग्ध कर ली है | खैर इन्दिरा गांधी के हत्यारे बेअंत सिंह की मौत गार्ड हाउस मे हुई झड़प मे हुई और सतवन्त तथा केहर सिंह को फांसी की सज़ा हुई | परंतु क्या राजीव गांधी के हत्या के छह अभियुक्तों को सज़ा मिल पायी ?? सुप्रीम कोर्ट ने प्रथम अपील मे फांसी की सज़ा बहाल राखी | परंतु वारंट नहीं जारी किया | दूसरी अपील मे सज़ा को आजीवन कारावास मे बादल दिया गया | और अब तमिलनाडु सरकार इन छह अपराधियो को इस तर्क के आधार पर रिहा करने की दलील सुप्रीम कोर्ट मे दी की अगर महात्मा गांधी के हत्यारे गोपाल गोडसे को सोलह साल जेल का कारावास काटने के बाद रिहा कर दिया गया | तो राजीव गांधी के हत्यारो को क्यो नहीं ?? यक्ष प्रश्न यही है क्या की राजीव गांधी को न्याय मिला ??
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