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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Aug 31, 2015

भूमि अध्यादेश की वापसी -- प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साहस का परिचय

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने  भूमि अधिग्रहण  अध्यादेश  को चौथी बार जारी करने की बजाय   2013 के  कानून को ही लागू करने का फैसला करके यह तो स्पष्ट कर दिया की वे ""जनता की आवाज "" की अवहेलना नहीं करेंगे | भले ही विरोधी दल के लोग इसे  यू टर्न  कहे अथवा  ''पराजय'' कहे परंतु  ,,, अपने फैसले पर परिस्थितियो  के अनुसार  पुनःविचार करने का साहस और  निर्णय  को बदलने की  नैतिक शक्ति ,, सहज नहीं होता | | पटना की स्वाभिमान रैली मे उनके निरण्य को जनता की जीत बताया गया | जिसके लिए राजनीतिक दलो ने अपने - अपने कारण दिये | वह भी  ''राजनीति ''''है | जो बीजेपी भी करती रही है | अब दूसरे कर रहे है |
                   अध्यादेश को 31 अगस्त को समाप्त होने देने के साथ  उन तेरह कानूनों को भी पुरानी विधि  के तहत ""मुआवजा "" की दर नियत होने का सरकार का आदेश जारी किया | इस से  सड़क निर्माण के लिए अधिग्रहित भूमि का मुआवजा भी उतना ही होगा जितना रेल्वे के लिए अथवा   पुरातत्व के लिए ली गयी भूमि का मिलता है | यह सुविधा  किसानो को उनकी भूमि का मुआवजा की दर के लिए कानूनी  लड़ाई नहीं करनी पड़ेगी |
                         केंद्र सरकार  को इस समय भूमि अधिग्रहण  कानून के आंदोलन को खतम करके -अब पटेलों के आरक्षण आंदोलन तथा पूर्व सैनिको की मांग """एक पद -एक पेंशन """ पर जन आसंतोष   का सामना करने के विकल्प को तलाशे | परंतु मोदी जी के फैसले का स्वागत तो करना होगा ---यद्यपि मई ना तो भक्त हूँ और नाही समर्थक -परंतु स्थिति का मेरा आंकलन यही है ||

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