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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Aug 22, 2015

महालेखाकर की रिपोर्ट अब मोदी सरकार को चुभने लगी है

अब सरकार को महालेखाकार की रिपोर्ट भी नामंज़ूर !!

      महालेखाकर  नियंत्रक यानि की  सरकारो के लेखा –जोखा का हिसाब रखने वाला ---ज एक संवैधानिक संस्था है | इनका  काम  सभी मंत्रलाया और –विभागो के खर्चे की जांच करना होता है |  दरअसल राजनीति के “”घोटालो “” का जनम  भी इनकी रिपोर्ट से होता है | जब  वे सरकार की पोल पट्टी खोल कर सार्वजनिक कर देते है की –सरकार का काम  ईमानदारी से किया गया है ,अथवा  सिफ़ारिश या  नियमो को धत्ता बता के किया
 गया है |
        इनकी रिपोर्ट ने सरकारो को उल्टा दिया है –सत्तारूद दलो को  कुर्सी से उतार दिया है | क्योंकि देश की जनता को  इनकी रिपोर्ट की सत्यता और निसपछता
पर पूरा भरोसा होता है |  सेना के लिए स्वीडिश  फ़र्म से खरीदी गयी  “””बोफोर्स “””  तोपों की खरीद पर  न केवल तत्कालीन  प्रधान मंत्री  राजीव गांधी पर पैसे लेने का आरोप लगा वरन  उनकी पत्नी सोनिया गांधी के परिवार पर भी इस  घोटाले के छीटे  पड़े | जो आज भी उनके विरोधी  इस्तेमाल करते है | जबकि सुप्रीम कोर्ट  ने सुब्रामानियम स्वामी की याचिका  पर इन आरोपो को  एकदम बकवास बताते हुए कुप्रचार निरूपित किया | परंतु  विरोधी तो  दुहराते ही रहेंगे | दूसरा घोटाला हुआ इनकी रिपोर्ट पर 2जी  और 3 जी  के सौदे  मे गड़बड़ी पर ,,जिसके कारण  मंत्री भी गिरफ्तार  हुए सांसद भी जेल गए |  इस कड़ी मे कोयले की खानो  की नीलामी  मे हुई  अनियमितता  का खुलासा |
           इस प्रष्टभूमि  मे मोदी सरकार द्वारा  दिल्ली की बिजली कंपनियो  के आडिट रिपोर्ट को “””अमान्य’’’’ करना  , बिलकुल समझ मे नहीं आता है |   महालेखाकर की रिपोर्ट मे स्पष्ट किया गया है की  बिजली वितरण की  कंपनियो ने 8000 करोड़ का “”घपला किया है |  दिल्ली सरकार के मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल  ने चुनाव के दौरान  वादा किया था की वे इन कंपनियो की गदबड़ियों का पर्दाफाश करेंगे | उन्होने  आडिट के लिए महालेखाकर  से आग्रह किया | जिनहोने  अपनी रिपोर्ट मे इन निजी कंपनियो के उल –जलूल खर्चो को  गैर ज़रूरी बताया |
      ताज्जुब की बात है जिस भारतीय जनता पार्टी ने  बोफोर्स – 2जी 3जी या कोल गेट मे  महालेखाकर  की रिपोर्ट को  ‘’वेद वाक्य’’’ प्रचारित करके देश की जनता के सामने कॉंग्रेस  को बदनाम किया | बोफोर्स के कारण राजीव गांधी की सरकार चली गयी थी  और वीपी सिंह की सरकार बनी थी |   2जी और कोल गेट  की बदनामी के कारण मनमोहन सिंह  की सरकार गयी और नरेंद्र मोदी की सरकार आई |

   लेकिन  अब नरेंद्र मोदी सरकार का यह कहना की  आडिट का आदेश  केवल लेफ्टिनेंट गवर्नर नजीब जंग दे सकते है |  सवाल यह है की आदेश किस ने दिया  यह महत्वपूर्ण है अथवा यह निर्णायक  है की रिपोर्ट  मे क्या कहा गया ?? क्या यह रुख  अनिल अंबानी की कंपनियो को बचाने की कोशिस नहीं है ?  केंद्र सरकार को अपना पाखंड  छोड़ना होगा वरना  वैसे ही दिल्ली की जनता बीजेपी को नकार चुकी है – और इस कदम से अब और भी मोदी सरकार  नज़ारो से उतार जाएगी |  

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