दंगो की आंच मे बिखरता अजगर का गठबंधन
उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग के मुजफ्फरनगर मे 27 अगस्त से दस दिनो तक चले दंगो ने उस इलाके मे जो जातीय वैमनस्य का बीज बो दिया हैं , वह खतम होने मे काफी समय लगेगा | वैसे संयुक्त प्रांत के समय से ही यानि की आज़ादी के पहले से बरेली - मेरठ आदि के इलाको के लोगो को अलग प्रांत की चाहत थी | परंतु आज़ादी के बाद उत्तर प्रदेश बनने के बाद भी यह मांग धीमी पद गयी | परंतु इस छेत्र के पुरोधा नेता चौधरी चरण सिंह ने जब 1967 मे काँग्रेस को छोड़ कर जन काँग्रेस बनाई , और चन्द्र भानु गुप्ता की साकार गिरा दी | शब्द '''फ्लोर क्रोससिंग " भी उसी समय से बना अस्तित्व मे आया अगले चुनाव मे जब उनकी ज़न क्रान्ति दल पार्टी चुनाव मे उतरी तब उन्होने पश्चिमी ज़िलो के लिए अलग प्रदेश की मांग उठाई | यही आरंभ थी ''हरित प्रदेश ''' की आवाज की | साथ ही उन्होने काँग्रेस के वोट बैंक के मुक़ाबले '''अजगर'' बने |
अजगर जातियो का एक संगठन था जो चरण सिंह को अपना नेता मानते थे | इसमे उनकी जाति जाट के साथ अहीर या यादव और गुज़र और राजपूत थे साथ मे वे मुस्लिम भी थे जिनके सरनम जाटो जैसे थे मसलन मालिक - जाट आदि वे भी इस अजगर मे शामिल हो गए और चौधेरी साहब का काँग्रेस के समानान्तर एक वोट बैंक बन गया | जिसके कारण उनके समर्थक इस छेत्र मे प्रभावी हो गए | हरित प्रदेश और अजगर के बाद लगा की इन खेतिहर किसानो के समुदाय को एक राजनीतिक पहचान मिली | हालांकि हरियाणा मे देवीलाल उर्फ ''ताऊ'' भी जाटो के नेता थे परंतु अजगर की अन्य जातीय उन्हे नेता नहीं मानती थी | इस कारण उनका रास्तरीय राजनीति मे उदय तभी हो पाया जब चरण सिंह का अवसान हो गया | उनकी राजनीतिक विरासत भी तभी पायी |
आज एक बार फिर इस अजगर की एकता बिखर रही हैं , देखना होगा की चौधरी चरण सिंह के पुत्र और केन्द्रीय मंत्री अजित सिंह इस विरासत को कितना सम्हाल पाते हैं |
अजगर जातियो का एक संगठन था जो चरण सिंह को अपना नेता मानते थे | इसमे उनकी जाति जाट के साथ अहीर या यादव और गुज़र और राजपूत थे साथ मे वे मुस्लिम भी थे जिनके सरनम जाटो जैसे थे मसलन मालिक - जाट आदि वे भी इस अजगर मे शामिल हो गए और चौधेरी साहब का काँग्रेस के समानान्तर एक वोट बैंक बन गया | जिसके कारण उनके समर्थक इस छेत्र मे प्रभावी हो गए | हरित प्रदेश और अजगर के बाद लगा की इन खेतिहर किसानो के समुदाय को एक राजनीतिक पहचान मिली | हालांकि हरियाणा मे देवीलाल उर्फ ''ताऊ'' भी जाटो के नेता थे परंतु अजगर की अन्य जातीय उन्हे नेता नहीं मानती थी | इस कारण उनका रास्तरीय राजनीति मे उदय तभी हो पाया जब चरण सिंह का अवसान हो गया | उनकी राजनीतिक विरासत भी तभी पायी |
आज एक बार फिर इस अजगर की एकता बिखर रही हैं , देखना होगा की चौधरी चरण सिंह के पुत्र और केन्द्रीय मंत्री अजित सिंह इस विरासत को कितना सम्हाल पाते हैं |