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Sep 12, 2013

एक यह भी मंत्री हैं --बिना लाल बती वाला

            एक यह भी मंत्री हैं --बिना लाल बती वाला


    प्रदेश काँग्रेस चुनाव अभियान समिति के   अध्यक्ष  ज्योतिरादित्य  सिंधिया   पर भारतीय जनता पार्टी और मुख्य मंत्री शिवराज सिंह का यह आरोप हैं की वे महाराजा हैं सामंतवाद समर्थक हैं |  जब इस बारे मे उनसे पूछा गया की उनका उत्तर क्या हैं --तो उनका कहना था की मेरी दादी साहब  श्रीमति विजया राजे सिंधिया और बुआ वसुंधरा राजे तथा यशोधरा राजे ने भी कभी राजकूल का होने के कारण अपने को जनता से अलग नहीं माना ,|मेरे पिता माधव राव सिंधिया ने कभी सामंतवादी व्यवहार के हामी नहीं  रहे  | गौर करने की बात हैं की बहुत चतुराई से उन्होने  भारतीय जनता पार्टी पर ही इस आरोप का ठीकरा फोड़ दिया , क्योंकि प्रथम तीनों भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं  इसका अर्थ यह हुआ की आप एक ही कूल के वंश के उन लोगो को ''सामंतवादी'' बना देते हो जो आपके विरुद्ध हो और जो आपके साथ हो वे ''पाक - साफ '' हैं यही राजनीतिक पाखंड हैं |

                
                    पत्रकारो से गैर रस्मी मुलाक़ात मे उनहो ने बुधवार को काँग्रेस कार्यालय मे पत्रकारो और फोटोग्राफरो के साथ हुई ''हाथापाई '' पर माफी मांगते हुए कह की आप के पास देरी से पहुचने का कारण ''लोगो'' कांग्रेस  जनो  को  गेट पर रोकने की कोसिस थी | फिर उन्होने कहा की ''आप लोगो के लिए मैं दरबान बन गया " | मैंने माधव राव सिंधिया की भी प्रैस  कान्फ्रेंस मे रहा हूँ , मैं अपने अनुभव से कह सकता हूँ की वे ऐसे शब्द कभी नहीं कहते | क्योंकि उनमे ''राज'' का जलवा  देखा था , जो ज्योतिरादित्य  ने नहीं देखा इसीलिए वे ''आम'' आदमी के ज्यादा करीब हैं |

                                       दूसरी चुटकी उन्होने शिवराज मंत्रिमल के तौर तरीके पर ली | सभी को मालूम हैं की ''लाल  बती"' वाली गाड़ी को लेकर कितना ऊहापोह मचा हुआ हैं | मंत्रिमंडल की मंशा के बाद परिवहन आयुक्त  ने  चार बार सूची निकली की ''कौन - कौन अपनी गाड़ी मे लाल बती '' लगाने के पात्र हैं और कौन ""हुतर""" लगा सकते हैं | परंतु  हर बार कोई न कोई समूह जा कर संगठन अथवा सरकार - विधायको से ज़ोर दबाव दलवा उसमे  पद नाम बड़वा देता  ऐसा पाँच बार हुआ | यह साफ दिखाता है की सत्तरूद दल के लोगो मे ''पद्लिप्सा""
कितनी हैं ? इस के विरुद्ध सिंधिया  अपनी गाड़ी मे ललबती कभी जलते नहीं हैं | उन्होने कहा की  बाती तो लगी हैं पर उसका तार हटा दिया गया हैं | यह छोटी  बात हैं परंतु मानसिकता को दिखाता हैं | उनकी गाड़ी मे बती हटाई नहीं जा सकती क्योंकि वे केन्द्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य हैं |परंतु जलाने या न जलाने का अधिकार उनके पास हैं , जिसका इस्तेमाल उन्होने किया |

                             तीसरी चुटकी उन्होने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा रोज - रोज घोसना किए जाने की आदत पर ली , उनके अनुसार घोसनाए उतनी करो जिनको पूरा का के दिखा सको , मिसाल के तौर पर मैं चुनाव के दौरान वे चार से पाँच ही वादे अपने मतदाताओ से करते हैं ,फिर उन्हे पूरा करने के बाद कुछ अधिक भी करते हैं      \ जिससे की लोगो को और मुझे भी अधिक संतोष होता हैं | रोज -रोल घोसनाए करने से  उनके पूर्ण न होने और अपूर्ण रह जाने से जनता मे उपजने वाले अशन्तोष का भी दर होता हैं |


                      पहली  निगाह मे इन सब बातों को देखने से लगता हैं ये '''कम बोलने वाला नेता '''' हैं , जिसका अर्थ  हुआ की इसकी काही बात पर भरोसा किया जा सकता हैं | दूसरी बात लाल बती वाली इस बात का इशारा हैं की ''हम जो हैं वह बती से नहीं ''' जबकि लोग बती के लिय मरे जा रहे हैं , तभी तो सरकार को बार - बार लिस्ट बदलनी पद रही हैं , क्योंकि भोपाल मे तो विधायक लाल बती तो हैं ही हूटर  भी लगाए शोर मचाते रहता हैं | जबकि न तो उन्हे बती न ही हुटर लगाने की हैसियत या पात्रता हैं | साफ़ हैं की एक वो हैं जो  '''हैसियत नवा हैं पर चुप बैठे हैः दूसरी ओर वे हैं जो कमजर्फ चिल्ला चिल्ला कर एलन कर रहे हैं की हम हैं हम हैं
 

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