उत्तम खेती माध्यम बान निषिद्ध चाकरी भीख निदान --कितना सही ?
सौ साल पहले यह कहावत कितनी सही लगती थी , परंतु आज दो हज़ार तेरह साल मे यह कहावत बिलकुल गलत सिद्ध हो चुकी हैं | यद्यपि आज भी देश और प्रदेश का शासन चलाने वालो मे आधे से अधिक नेताओ का पेशा कृषि ही हैं | परंतु फिर भी उनकी आय का मुख्य श्रोत्र किसानी नहीं हैं |
हालांकि देश के किसानो की भलाई के लिए विगत समय मे सरकारो द्वारा अनेक कदम उठाए गए , परंतु औद्योगिक राष्ट्र बनने की दौड़ मे किसानी का काम ''''हेय''' हो गया | कहने को सहकारी आंदोलन - उर्वर्को पर अनुदान आदि के कदम उठाए गए | सभी कृषि उत्पादो के न्यूनतम मूल्य निर्धारित किए गए | परंतु बात बनी नहीं |
कृषि की दुर्दशा का उदाहरण पंजाब के किसानो का आंदोलन हैं जिसमे उन्होने अपने क़र्ज़ चुकाने के लिए अपने ''अंग''' बेचने की अनुमति प्रधान मंत्री से मांगी हैं | पंजाब और हरियाणा गेंहू और तिलहन तथा कपास के उत्पादन के लिए देश मे सबसे आगे हैं | दोनों ही परदेशो मे केमिकल खाद का उपयोग इतना ज्यादा किया गया की , ना केवल खेतो की उर्वरता बहुत कम हो गयी वरन उत्पादन बड़ाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओ के दामो के कारण किसान कर्ज़ दर हो गया | उम्मीद के सहारे अगली फसल के ठीक होने पर ''क़र्ज़ '' चुकाने की उम्मीद भी झूठी पड़ती गयी | और बैंको का कर्जा चक्रवृद्धि ब्याज की दर के कारण तीन सालो मे मूल का दोगुना होता गया | पहले तो ज़मीन बेच कर बैंको की उधारी चुकाने की कोशिस की परंतु वह भी व्यर्थ सिद्ध हुई |
जब कर्जा साल दर साल बदता ही गया तब इन लोगो ने अपने ''अंग'' बेच कर उधर पटाने का प्रयास किया | परंतु कानून की उलझन के कारण वे सफल नहीं हुए |
परंतु पंजाब के किसानो के इस आंदोलन ने एक सवाल खड़ा कर दिया हैं की कृषि छेत्र मे दिये जाने वाले कर्ज़ से पचासों गुना अधिक धनराशि उद्योग के छेत्र मे दी जाती हैं | उद्योग के छेत्र मे बड़े - बड़े बक़ायादारों के खिलाफ बंकों द्वारा कोई कारवाई नहीं की जाती | क्योंकि इन बैंको पर इनहि उद्योगपतियों का नियंत्रण होता हैं | उदाहरण के तौर पर सूती मिलो - शक्कर कारखानो - शराब उत्पादको -- हवाई जहाज कोंपनियों पर अरबों -अरब रुपये का बकाया हैं , परंतु नहीं सत्यम के मालिको ने न किंग फिशर हवाई कंपनी के मालिको की संपातीय कुर्क की गयी | कृषि और उद्योग छेत्र के बीच इस दो तरह के पैमानो से यह साफ हो गया की सरकार को भी कृषि और कीससनों की परवाह नहीं हैं |
सौ साल पहले यह कहावत कितनी सही लगती थी , परंतु आज दो हज़ार तेरह साल मे यह कहावत बिलकुल गलत सिद्ध हो चुकी हैं | यद्यपि आज भी देश और प्रदेश का शासन चलाने वालो मे आधे से अधिक नेताओ का पेशा कृषि ही हैं | परंतु फिर भी उनकी आय का मुख्य श्रोत्र किसानी नहीं हैं |
हालांकि देश के किसानो की भलाई के लिए विगत समय मे सरकारो द्वारा अनेक कदम उठाए गए , परंतु औद्योगिक राष्ट्र बनने की दौड़ मे किसानी का काम ''''हेय''' हो गया | कहने को सहकारी आंदोलन - उर्वर्को पर अनुदान आदि के कदम उठाए गए | सभी कृषि उत्पादो के न्यूनतम मूल्य निर्धारित किए गए | परंतु बात बनी नहीं |
कृषि की दुर्दशा का उदाहरण पंजाब के किसानो का आंदोलन हैं जिसमे उन्होने अपने क़र्ज़ चुकाने के लिए अपने ''अंग''' बेचने की अनुमति प्रधान मंत्री से मांगी हैं | पंजाब और हरियाणा गेंहू और तिलहन तथा कपास के उत्पादन के लिए देश मे सबसे आगे हैं | दोनों ही परदेशो मे केमिकल खाद का उपयोग इतना ज्यादा किया गया की , ना केवल खेतो की उर्वरता बहुत कम हो गयी वरन उत्पादन बड़ाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओ के दामो के कारण किसान कर्ज़ दर हो गया | उम्मीद के सहारे अगली फसल के ठीक होने पर ''क़र्ज़ '' चुकाने की उम्मीद भी झूठी पड़ती गयी | और बैंको का कर्जा चक्रवृद्धि ब्याज की दर के कारण तीन सालो मे मूल का दोगुना होता गया | पहले तो ज़मीन बेच कर बैंको की उधारी चुकाने की कोशिस की परंतु वह भी व्यर्थ सिद्ध हुई |
जब कर्जा साल दर साल बदता ही गया तब इन लोगो ने अपने ''अंग'' बेच कर उधर पटाने का प्रयास किया | परंतु कानून की उलझन के कारण वे सफल नहीं हुए |
परंतु पंजाब के किसानो के इस आंदोलन ने एक सवाल खड़ा कर दिया हैं की कृषि छेत्र मे दिये जाने वाले कर्ज़ से पचासों गुना अधिक धनराशि उद्योग के छेत्र मे दी जाती हैं | उद्योग के छेत्र मे बड़े - बड़े बक़ायादारों के खिलाफ बंकों द्वारा कोई कारवाई नहीं की जाती | क्योंकि इन बैंको पर इनहि उद्योगपतियों का नियंत्रण होता हैं | उदाहरण के तौर पर सूती मिलो - शक्कर कारखानो - शराब उत्पादको -- हवाई जहाज कोंपनियों पर अरबों -अरब रुपये का बकाया हैं , परंतु नहीं सत्यम के मालिको ने न किंग फिशर हवाई कंपनी के मालिको की संपातीय कुर्क की गयी | कृषि और उद्योग छेत्र के बीच इस दो तरह के पैमानो से यह साफ हो गया की सरकार को भी कृषि और कीससनों की परवाह नहीं हैं |
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