क्या सही कहा हैं की - विश्व की प्रतिभाए अमीरों की समस्याओ को सुलझाने में लगे हैं , इसलिए गरीब तबका उपेछित हैं ,
सैम पिटरोडा जो की प्रधान मंत्री के सलहकर हैं ने यह बयान अमरीका की राजधानी वॉशिंग्टन मैं दे कर कोई नयी बात नहीं कही , लेकिन ऐसा कह कर उन्होने एक भद्दा सच दुनिया के सामने रखा | आज जब की बड़े - बड़े शिक्षा संस्थान और बड़ी बड़ी कंपनिया """ जन हितकारी "" और गरीबो के लिए शिक्षा और स्वास्थय सुलभ करने के लिए करोड़ो रुपये खर्च कर रहे हैं , ऐसे मैं एक धनवान और सफल उद्योगपति का कथन उसके दर्द को बया करता हैं | गौर रहे की पित्रोदा इस देश मैं कम्प्युटर और इंटरनेट तथा मोबाइल की शुरुआत के कारक रहे है | राजीव गांधी से परिचय के बाद इनहोने सी - डॉट टेक्नाल्जी के माध्यम से संचार क्रांति की शुरुआत की |
आज देखते ही देखते मोबाइल का उपयोग गाँव - गाँव मे हो रहा हैं | आज कोई कनही भी ''कमाने '' गया हो पर हफ्ते दस दिन वह अपने घर वालों से बात करके उनकी चिंताओ को दूर कर देता हैं |आज गैर पड़ी - लिखी महिलाओ को गाँव मे अपने लड़के और लड़कियो से बात करते देखा जा सकता हैं , वे अपने परिचितों और सगे - सम्बन्धियो के हाल चाल जान लेती हैं , बाबा की खांसी और बहू के पैर भारी होने की खबर भी ले लेती हैं | लड़के के लिए बहू और बिटिया के लिए दामाद की खोज के लिए हर हफ्ता दस दिन मैं अपने मायके वालों को ताकीद करती रहती हैं |
सच मैं इतना नजदीक उनका पीहर कभी न था , कुछ अछि या बुरी घटना का पता बिना समय खोये लग जाता हैं | बीमार को इलाज़ भी अब तुरंत ही मिल जाता हैं , इसलिए नहीं की स्वस्थ्य सेवाए बहुत बदिया हो गयी हैं वरन इस लिए की घर के गाँव के लोग मदद के लिए पहुँच जाते हैं | अब गाँव मैं बिजली आने के बाद भी , जो की दस - बारह घंटे बाद आहि जाती हैं , लोग मोबाइल पहले चार्ज करते हैं बाकी काम बाद में | लड़के अपने कम्प्युटर के बैटरी बैक अप को भी चार्ज करने की पहल करता हैं |
यह सब हुआ जब एक आदमी ने ईमानदारी से गरीबो के लिए कुछ करना शुरू किया | आज लाँड़ लिने से ज्यादा देश मैं मोबाइल हैं , क्या यह तरक़्क़ी नहीं हैं ? आज गरीबो की सेहत और शिक्षा की ओर ध्यान देना ज़रूरी हैं , और गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों की चिंता करने की हैं | क्या कोई राजीव गांधी और पित्रोदा इन समस्याओ को सुलझाएँगे ?धन तो काफी मात्रा मैं इन छेत्रों में आ रहा हैं परंतु उस से जिस मात्रा मे परिणाम मिलने चाहिए वह नहीं हो रहा हैं |+ बेईमानी और झूठ ने गरीबो का हिस्सा खा लिया हैं , कोई योजना ले उसमे अरबों करोड़ो रुपये की हेरा - फेरि मिल जाए जाएगी | विकास और उन्नति को '''कुछ लोग '''' खा रहे हैं |
सैम पिटरोडा जो की प्रधान मंत्री के सलहकर हैं ने यह बयान अमरीका की राजधानी वॉशिंग्टन मैं दे कर कोई नयी बात नहीं कही , लेकिन ऐसा कह कर उन्होने एक भद्दा सच दुनिया के सामने रखा | आज जब की बड़े - बड़े शिक्षा संस्थान और बड़ी बड़ी कंपनिया """ जन हितकारी "" और गरीबो के लिए शिक्षा और स्वास्थय सुलभ करने के लिए करोड़ो रुपये खर्च कर रहे हैं , ऐसे मैं एक धनवान और सफल उद्योगपति का कथन उसके दर्द को बया करता हैं | गौर रहे की पित्रोदा इस देश मैं कम्प्युटर और इंटरनेट तथा मोबाइल की शुरुआत के कारक रहे है | राजीव गांधी से परिचय के बाद इनहोने सी - डॉट टेक्नाल्जी के माध्यम से संचार क्रांति की शुरुआत की |
आज देखते ही देखते मोबाइल का उपयोग गाँव - गाँव मे हो रहा हैं | आज कोई कनही भी ''कमाने '' गया हो पर हफ्ते दस दिन वह अपने घर वालों से बात करके उनकी चिंताओ को दूर कर देता हैं |आज गैर पड़ी - लिखी महिलाओ को गाँव मे अपने लड़के और लड़कियो से बात करते देखा जा सकता हैं , वे अपने परिचितों और सगे - सम्बन्धियो के हाल चाल जान लेती हैं , बाबा की खांसी और बहू के पैर भारी होने की खबर भी ले लेती हैं | लड़के के लिए बहू और बिटिया के लिए दामाद की खोज के लिए हर हफ्ता दस दिन मैं अपने मायके वालों को ताकीद करती रहती हैं |
सच मैं इतना नजदीक उनका पीहर कभी न था , कुछ अछि या बुरी घटना का पता बिना समय खोये लग जाता हैं | बीमार को इलाज़ भी अब तुरंत ही मिल जाता हैं , इसलिए नहीं की स्वस्थ्य सेवाए बहुत बदिया हो गयी हैं वरन इस लिए की घर के गाँव के लोग मदद के लिए पहुँच जाते हैं | अब गाँव मैं बिजली आने के बाद भी , जो की दस - बारह घंटे बाद आहि जाती हैं , लोग मोबाइल पहले चार्ज करते हैं बाकी काम बाद में | लड़के अपने कम्प्युटर के बैटरी बैक अप को भी चार्ज करने की पहल करता हैं |
यह सब हुआ जब एक आदमी ने ईमानदारी से गरीबो के लिए कुछ करना शुरू किया | आज लाँड़ लिने से ज्यादा देश मैं मोबाइल हैं , क्या यह तरक़्क़ी नहीं हैं ? आज गरीबो की सेहत और शिक्षा की ओर ध्यान देना ज़रूरी हैं , और गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों की चिंता करने की हैं | क्या कोई राजीव गांधी और पित्रोदा इन समस्याओ को सुलझाएँगे ?धन तो काफी मात्रा मैं इन छेत्रों में आ रहा हैं परंतु उस से जिस मात्रा मे परिणाम मिलने चाहिए वह नहीं हो रहा हैं |+ बेईमानी और झूठ ने गरीबो का हिस्सा खा लिया हैं , कोई योजना ले उसमे अरबों करोड़ो रुपये की हेरा - फेरि मिल जाए जाएगी | विकास और उन्नति को '''कुछ लोग '''' खा रहे हैं |
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